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Baba Bageshwar : महाकुंभ भगदड़ में हुई मौत पर बाबा बागेश्वर धीरेंद्र शास्त्री का बयान: ‘वो मरे नहीं, मोक्ष मिला है’

by Rakesh Pandey
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प्रयागराज: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ मेला में 29 जनवरी को मौनी अमावस्या के अवसर पर मची भगदड़ ने भारी दुख और अफरातफरी मचाई। इस भगदड़ में 30 लोगों की मौत की पुष्टि सरकारी सूत्रों ने की है, हालांकि कई अन्य रिपोर्ट्स में मृतकों की संख्या कहीं अधिक बताई जा रही है। इसी घटना पर अब बागेश्वर धाम के पीठाधीश धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने अपना बयान दिया है, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। हालांकि THE PHOTON NEWS इस वायरल बयान का पुष्टि नहीं करता है। उनका कहना था कि “जो कोई गंगा किनारे मरेगा, वह मरेगा नहीं बल्कि मोक्ष पाएगा।”

भगदड़ में मौत पर प्रतिक्रिया

धीरेंद्र शास्त्री ने इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इस दुखद घटना को लेकर लोगों ने सोशल मीडिया और फोन के जरिए कई सवाल पूछे। उन्होंने बताया कि उनके कई मित्र, विशेष रूप से कम्युनिस्ट विचारधारा के लोग, उनसे पूछ रहे थे कि अब इस घटना पर वह क्या कहेंगे। इसके जवाब में शास्त्री ने कहा, “देश में प्रतिदिन लोग मर रहे हैं। लाखों लोग बिना इलाज के मर रहे हैं, कुछ स्वास्थ्य सेवाओं की कमी से, तो कुछ हार्ट अटैक के कारण।” उन्होंने यह भी माना कि यह घटना निंदनीय और दुखद है, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने इसे मृत्यु के रूप में नहीं देखा।

‘महाप्रयाग’ का महत्व

बाबा बागेश्वर ने इस घटना को महाकुंभ की महिमा से जोड़ते हुए कहा कि यह स्थल महाप्रयाग है, जहां हर व्यक्ति की मृत्यु अवश्यम्भावी है। उनका मानना था कि यहां मरे लोग सचमुच मरे नहीं हैं, बल्कि उन्हें मोक्ष प्राप्त हुआ है। शास्त्री ने आगे कहा, “कोई भी गंगा के किनारे मरेगा तो वह मरेगा नहीं, वह मोक्ष पाएगा। यह घटनाएं असमय हुईं तो दुख की बात है, लेकिन फिर भी ये घटनाएं किसी की मृत्यु नहीं बल्कि मोक्ष प्राप्ति का अवसर हैं।”

शास्त्री का दर्शन

उन्होंने यह भी कहा कि मृत्यु सबकी आनी है। यह तय है कि कोई 20 साल बाद जाएगा, कोई 30 साल बाद। हमें भी जाना है और आपको भी। इस प्रकार, उन्होंने यह संदेश दिया कि मृत्यु तो एक अपरिहार्य सत्य है, लेकिन गंगा के किनारे मरने से व्यक्ति को मोक्ष मिलता है, और यही महाकुंभ की विशेषता है।

धीरेंद्र शास्त्री का यह बयान निश्चित रूप से धार्मिक दृष्टिकोण से एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है, जहां मृत्यु को केवल एक शारीरिक घटना नहीं, बल्कि आत्मा की मुक्ति के रूप में देखा जा रहा है।

‘असमय निधन’ पर दुख

हालांकि, शास्त्री ने इस घटना के बारे में यह भी कहा कि जो लोग असमय इस दुनिया से चले गए, उनके परिवार और प्रियजनों के लिए यह दुख की बात है। उन्होंने इस दुख में सहभागी होने का भी संकेत दिया, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि किसी भी रूप में यह घटना ‘मृत्यु’ नहीं बल्कि ‘मोक्ष प्राप्ति’ के रूप में देखी जानी चाहिए।

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