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Babulal Marandi BJP: आइएनडीआई प्रत्याशी समीर माेहंती के पत्र की फोरेंसिक जांच कराए चुनाव आयोग: बाबूलाल

by Rakesh Pandey
Babulal Marandi BJP
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मेदिनीनगर (पलामू)/Babulal Marandi BJP: भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने जमशेदपुर से आइएनडीआई प्रत्याशी समीर माेहंती के झामुमाे के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरने व अन्य कांग्रेसी नेताओं को वहां के कांग्रेस जिलाध्यक्ष आनंद बिहारी दूबे के खिलाफ लिखे गए पत्र की फोरेंसिक जांच कराने की मांग चुनाव आयोग से की है। रविवार को स्थानीय परिसदन में संवाददाताओं से बात करते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि पत्र के माध्यम से एक बूथ पर चार से छह हजार रूपये के साथ 25 लाख रूपये अतिरिक्त का जिक्र किया गया है।

अगर यह सही है तो सिर्फ इस पत्र के माध्यम से एक लोकसभा क्षेत्र में कम से कम 1.5 करोड़ रूपये खर्च किए गए है, जबकि चुनाव आयोग ने लाेकसभा के लिए खर्च की अधिकतम सीमा 95 लाख रूपये ही निर्धारित किए है। यह तो एक लोकसभा सीट की कहानी उभर कर सामने आई है। इससे स्पष्ट पता चलता है कि झामुमो व कांग्रेस के लोग जहां भी अवसर मिलता है वहां लूट का कोई मौका नहीं छोड़ते है।

बोरा में पैसे भर कर इस चुनाव में खर्च किए गए। एक-एक बूथ पर आइएनडीआई द्वारा एक-एक लाख रूपये तक खर्च करने की बात सामने आई है। झारखंड की सभी पांच एसटी सुरक्षित सीट पर मिली हार का कारण पूछे जाने पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल ने बताया कि 15 से 17 जून तीन दिनों तक चुनाव परिणाम की समीक्षा की जा रही है। लेकिन जो प्रथम दृष्टया में कारण सामने आ रहे है उससे यह प्रतित होता है चुनावों में आदिवासी, दलित व ओबीसी वर्ग के लोगों को एनडीए गठबंधन को 400 सीट मिलने की स्थिति में संविधान संशोधन का भय दिखाया गया।

पूछे जाने पर बताया कि लोकसभा चुनाव के परिणामों की समीक्षा के बाद आसन्न विधानसभा चुनावों की तैयारी प्रारंभ की जाएगी। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि पलामू सहित पूरे राज्य में भीषण गर्मी पड़ रही है, इस स्थिति में राज्य सरकार आम लोगों तक पानी-बिजली पहुंचाने में पूरी तरह नाकाम साबित हुई है। केंद्र सरकार की महत्वकांक्षी नल से जल योजना झारखंड सरकार की भेट चढ़ गई है, वहीं प्रत्येक पंचायत 10-10 चापाकल लगाने की योजना अभी तक शुरू नहीं की जा सकी।

आम जनता के साथ पशु-पक्षी भी त्राहिमाम कर रहे है, पलामू के पांकी में पानी की तलाश में 30 से अधिक बंदरों की मौत कुंआ में डूब कर हाे जाती है। लेकिन इससे राज्य सरकार का आम आदमी सहित पशु-पक्षियों की समस्याओं से कोई लेना-देना नहीं है।

 

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