फीचर डेस्क : भाई दूज पंच दिवसीय दीपोत्सव का अंतिम पर्व है, जिसे दिवाली के दूसरे दिन कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक है और इसका संबंध सूर्य पुत्र यमराज और यमुना से जुड़ा है। भाई दूज को भैया दूज, भाई टीका, यम द्वितीया, भ्रातृ द्वितीया, भाऊ बीज और भतरु द्वितीया जैसे विभिन्न नामों से जाना जाता है।
भाई दूज का महत्व
इस दिन भाई अपनी बहनों के घर जाते हैं, जहां बहनें अपने भाइयों को तिलक कर उन्हें भोजन कराती हैं। इस अवसर पर बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए ईश्वर से प्रार्थना करती हैं। भाई भी अपनी बहनों को उपहार देकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस दिन भाई-बहन के बीच के रिश्ते को और मजबूत किया जाता है।
2024 का भाई दूज पर्व
भाई दूज का पर्व इस वर्ष 3 नवंबर यानी आज मनाया जाएगा। इस बार का पर्व खास है क्योंकि यह दो शुभ योगों सौभाग्य योग और शोभन योग में मनाया जाएगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार सौभाग्य योग सुबह 11:39 बजे तक रहेगा, जबकि इसके बाद शोभन योग शुरू होगा।
भाई दूज का मुहूर्त
कार्तिक शुक्ल द्वितीया का आरंभ: 2 नवंबर को रात 8:22 बजे से
कार्तिक शुक्ल द्वितीया का समापन: 3 नवंबर को रात 10:06 बजे तक
भाई दूज का पर्व: 3 नवंबर को (उदयातिथि के आधार पर)
सौभाग्य योग: सुबह 11:39 बजे तक
शोभन योग: सौभाग्य योग के बाद
पूजा का सबसे अच्छा मुहूर्त: सुबह 11:45 बजे तक
अपराह्न पूजा का मुहूर्त: दोपहर 1:10 से 3:22 बजे तक
स्नान: संभव हो तो सुबह यमुना नदी में स्नान करें।
पूजा: बहन यमराज की प्रतिमा का पूजन कर प्रार्थना करें कि उनके भाई की आयु बढ़े।
भोजन: बहन भाई को भोजन कराएं और तिलक लगाएं।
उपहार: भाई अपनी बहन को उपहार दें।
इस दिन बहनें अपने हाथ से भाई को भोजन कराती हैं, जिससे भाई की उम्र बढ़ती है और उसके जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं। इसी के साथ बहन को अखंड सौभाग्यवती होने का वरदान भी प्राप्त होता है।
यमुना और यमराज की पूजा का महत्व
भाई दूज की पूजा का एक ऐतिहासिक संदर्भ भी है। प्रचलित कथा के अनुसार, एक बार यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने के लिए धरती पर आए। उस दिन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि थी। यमराज को देखकर यमुना ने उन्हें प्रेमपूर्वक भोजन कराया और तिलक कर आदर-सम्मान किया। इस प्रेम को देखकर यमराज ने कहा कि जो भी इस तिथि पर यमुना में स्नान करके यम की पूजा करेगा, उसे मृत्यु के बाद यमलोक की यातना नहीं सहनी पड़ेगी। तभी से यह परंपरा प्रचलित हुई कि भाई दूज पर यमराज की पूजा का विशेष महत्व है।
इस प्रकार, भाई दूज का पर्व केवल एक त्योहार नहीं है, बल्कि यह भाई-बहन के प्रेम और समर्पण का प्रतीक है। यह दिन हमें अपने संबंधों को और गहरा करने का अवसर प्रदान करता है।
Read Also- भाईदूज पर ही क्यों बंद होते है केदारनाथ मंदिर के कपाट, जानिए इसके पीछे का कारण