रांची : झारखंड विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक दलों में दल-बदल की प्रक्रिया तेज हो गई है। हाल ही में बीजेपी के वरिष्ठ नेता और जमुआ विधानसभा से तीन बार विधायक रह चुके केदार हाजरा ने शुक्रवार को झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) का दामन थाम लिया। इसके अलावा आजसू पार्टी के पूर्व विधायक उमाकांत रजक भी झामुमो में शामिल हो गए हैं। इन दोनों नेताओं को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनकी पत्नी कल्पना सोरेन की मौजूदगी में पार्टी में शामिल कराया गया।
केदार हाजरा का झामुमो में शामिल होना बीजेपी के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है, क्योंकि वह गिरिडीह जिले के जमुआ विधानसभा सीट से 2005, 2014 और 2019 में विधायक चुने जा चुके हैं। हाजरा ने अपने राजनीतिक करियर में जमुआ विधानसभा सीट पर एक मजबूत पकड़ बनाई थी, लेकिन इस बार खबरें आ रही थीं कि बीजेपी उनकी टिकट काटने वाली थी। इसी कारण, उन्होंने पार्टी छोड़कर झामुमो का हाथ थाम लिया। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, हाजरा के इस कदम से विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी की स्थिति कमजोर हो सकती है।
दूसरी ओर, कांग्रेस की प्रत्याशी रहीं मंजू कुमारी ने बीजेपी का दामन थाम लिया है। पिछले विधानसभा चुनाव में मंजू कुमारी ने जमुआ सीट से चुनाव लड़ा था और दूसरे स्थान पर रही थीं। उनके बीजेपी में शामिल होने से जमुआ सीट पर मुकाबला दिलचस्प हो गया है, क्योंकि इस क्षेत्र में अब त्रिकोणीय संघर्ष की संभावना है।
इसी प्रकार, झारखंड में चंदनकियारी विधानसभा सीट पर भी सियासी समीकरण बदलते नजर आ रहे हैं। आजसू पार्टी के पूर्व विधायक उमाकांत रजक, जिन्होंने 2009 में चंदनकियारी सीट से बीजेपी के अमर बाउरी को हराया था, अब झामुमो में शामिल हो गए हैं। इसके बाद से अमर बाउरी इस सीट से लगातार जीतते आ रहे हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में बाउरी ने झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) के टिकट पर जीत दर्ज की थी, और अब वह बीजेपी के प्रमुख चेहरा बने हुए हैं।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि झारखंड में दल-बदल की यह गतिविधियां आगामी विधानसभा चुनाव में काफी असर डाल सकती हैं। जहां एक ओर बीजेपी को अपने दिग्गज नेताओं के जाने से नुकसान हो सकता है, वहीं झामुमो और कांग्रेस के लिए यह एक अवसर है कि वे अपनी स्थिति को और मजबूत कर सकें। चुनाव से पहले इस तरह के बदलावों से प्रदेश की राजनीति और अधिक दिलचस्प हो रही है, जहां कई पुराने समीकरण बदलते नजर आ रहे हैं।