चाईबासा पश्चिमी सिंहभूम जिले के नक्सल प्रभावित गुदड़ी के गिरु गांव में रविवार देर रात दो युवकों की हत्या के मामले में मृतक के परिजनों के बयान से गुदड़ी थाना में पीएलएफआई उग्रवादी संगठन के कमांडर मेटा टाइगर, गोमिया के अलावा चार-पांच अज्ञात पीएलएफआई सदस्यों पर उग्रवादी हिंसा व हत्या का मामला दर्ज किया गया है। घटना के बाद से पुलिस ने मामले की छानबीन शुरू कर दी है। इसके साथ ही पुलिस अभियान चला कर फरार हुए पीएलएफआई उग्रवादियों की गिरफ्तारी के लिए छापामारी कर रही है।
बता दें कि रविवार देर रात करीब 11 बजे पीएलएफआई कमांडर मेटा टाइगर, गोमिया व अन्य चार-पांच हथियारबंद उग्रवादियों ने गुदड़ी थाना के गिरुगांव के रवि तांती के घर पहुंचे। इस दौरान रवि के घर आए खूंटी के युवक घनसा टोपनो को घर से निकाल कर जमकर लाठी-डंडे से पिटाई की। इसके बाद धारदार हथियार और कुल्हाड़ी से वार कर हत्या कर दी थी। हत्या करने के बाद उग्रवादियों ने पुलिस को गुमराह करने के लिए गिरुगांव के चौक के एक पेड़ पर भाकपा-माओवादी की ओर से पोस्टर लगा दिया था, जिसमें अवैध बालू उठाव बंद करने, लेवी की मांग करने आदि बातें लिखी गई थीं।
’मृतकों के परिजनों का संबंध पीएलएफआई से रहा है’
पश्चिमी सिंहभूम जिला के एसपी आशुतोष शेखर ने कहा कि गिरू गांव में दो व्यक्ति की हत्या में 4-5 पीएलएफआई के उग्रवादी के शामिल होने की बात सामने आ रही है। मृतकों के परिजनो से पीएलएफआई उग्रवादी संगठन का संबंध रहा है और आपसी रंजिश के कारण ही हत्या किए जाने की आशंका जताई जा रही है। इसके साथ ही पीएलएफआई के उग्रवादियों की गिरफतारी के लिए छापेमारी की जा रही है।
गुदड़ी से बालू का होता है अवैध धंधा
पश्चिमी सिंहभूम जिले के गुदड़ी थाना क्षेत्र में अवैध रूप से बालू का धंधा फल-फूल रहा है। इसमें पीएलएफआई उग्रवादियों के संरक्षक में खुलेआम बालू का उठाव होता हैं। रोजाना दर्जनों ट्रैक्टर और डंपर से बालू का कारोबार होता है। लेकिन पुलिस बालू के रोक पर रोक लगाने में पुलिस तरह नाकाम है। बालू गोइलकेरा और गुदड़ी से दिनदहाड़े उठाव हो रहा है। शाम होते ही बालू का अवैध कारोबार शुरू हो जाता है। यह बालू गोइलकेरा, सोनुवा, गुदड़ी से चक्रधरपुर आता है। बता दें कि पूर्व में बालू से पैसा नहीं मिलने के कारण पीएलएफआई उग्रवादियों ने बालू लदा ट्रैक्टर जलाने और डंपर के ड्राइवर को पीटने और गाड़ी की चाबी छीनने की घटना घट चुकी है।
पूर्व में एसडीओ ने की थी कार्रवाई
अवैध बालू पर चक्रधरपुर की पूर्व एसडीओ रीना हांसदा ने बड़े पैमाने पर कार्रवाई की थी। इसके बाद काफी दिनों तक अवैध बालू कारोबार पर रोक लगी थी, लेकिन इसके बाद इस पर कोई कार्रवाई नहीं होना और खुलेआम तस्करी होना कई तरह का प्रश्न उठ रहा है। इस पाना तो पुलिस और ना ही खनन विभाग द्वारा कोई ठोस कार्रवाई करती है। यही कारण है कि उग्रवादियों का बालू पर एक छत्र राज चल रहा है ।
जेएलटी से बना पीएलएफआई सुप्रीमो दिनेश, नेपाल से था गिरफ्तार
पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएलएफआई) झारखंड में 2007 में गठित एक उग्रवादी माओवादी संगठन है। पहले इसे झारखंड लिबरेशन टाइगर्स (जेएलटी) के नाम से जाना जाता था, जिसकी स्थापना झारखंड के खूंटी जिले के निवासी दिनेश गोप ने 2003 में की थी। बाद में इसका नाम बदलकर पीएलएफआई कर दिया गया। झारखंड में माओवादी घटनाओं में से लगभग आधे के लिए पीएलएफआई जिम्मेदार है और इसके कैडर शुरू में लगभग 150-300 था। इसका बदले हर साल जबरन वसूली के ज़रिए लगभग 1.5 अरब रुपये है। आकलन हुआ था।पीएलएफआई का भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के साथ टकराव रहा है और दोनों समूहों के कैडर एक-दूसरे की हत्या में शामिल रहे हैं। सुरक्षा बलों ने इसका इस्तेमाल सीपीआई (माओवादी) का मुकाबला करने के लिए किया है। लेकिन इसके कारण पीएलएफआई राज्य में एक प्रमुख आतंकवादी संगठन के रूप में उभरा। लेकिन दिनेश गोप के गिरफ्तारी के बाद संगठन टूट गया या फिर पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। वर्तमान में कुछ जगह पर जेल से छूटने के बाद पुराने साथी गिरोह बनाकर संगठन चला रहे हैं।
नेपाल से गिरफ्तार हुआ था 25 लाख रुपया का इनामी दिनेश गोप
दो दशक से झारखंड पुलिस के लिए सिरदर्द रहा पीएलएफआई सुप्रीमो दिनेश गोप कभी फौजी हुआ करता था। उस वक्त खूंटी की सड़कों पर डकैती अपहरण हत्या समेत विभिन्न अपराधों में दिनेश गोप के बड़े भाई सुरेश गोप का आतंक हुआ करता था। लेकिन पुलिस के मुठभेड़ में भाई के मारे जाने के बाद फौज की नौकरी छोड़ उग्रवादी बन गया था दिनेश गोप दो दशक से झारखंड पुलिस के लिए सिरदर्द रहा पीएलएफआई सुप्रीमो दिनेश गोप कभी फौजी हुआ करता था। बड़े भाई के मुठभेड़ में मारे जाने के बाद दिनेश गोप फौज की नौकरी छोड़कर गांव आ गया। गांव आने के बाद उसने 2002 में झारखंड लिबरेशन टाइगर (जेएलटी) नामक एक उग्रवादी संगठन बनाया। इसके बाद उसने अपने संगठन में युवाओं को जोड़ना शुरू किया। वह एक फौजी था, उसे हथियार चलाने का अच्छा अनुभव था। इसका उपयोग उसने युवाओं को हथियार चलाने का प्रशिक्षण देने में किया।
इस तरह धीरे-धीरे अपने संगठन का विस्तार शुरू किया।जयनाथ साहू ने दिया साथ, उपलब्ध कराया हथियार, फिर बना जयनाथ का ही दुश्मन जेएलटी को सम्राट गिरोह के सुप्रीमो जयनाथ साहू का साथ मिल गया। जयनाथ साहू ने ही दिनेश गोप को हथियार उपलब्ध कराया। जयनाथ साहू को बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल का सिपाही राधे हथियार सप्लाई करता था। राधे बिहार के औरंगाबाद का रहने वाला था।राधे को पटना का एक गुरुजी नामक हथियार सप्लायर हथियार देता था, जिसे वह जयनाथ साहू तक पहुंचाता था। जयनाथ साहू से दिनेश गोप को हथियार मिलता था। दिनेश गोप ने जयनाथ साहू से ही लेवी के अर्थतंत्र को समझा। बीड़ी पत्ता, कोयला, लकड़ी आदि की तस्करी से लेवी-रंगदारी में खूब रुपये आने लगे। इसके बाद दिनेश गोप की जयनाथ साहू से खटपट हो गई और दोनों एक-दूसरे के दुश्मन बन गए। दिनेश गोप रंगदारी नहीं देने पर गोली चला देना, हत्या कर देना था आम बात था। एक कारण था कि उसके नाम पर ही करोड़ों रुपया का लैवी मिलता था।
17 जिलों में दिनेश गोप की चलती थी तूती
पीएलएफआई सुप्रीमो दिनेश गोप का 17 जिलों में तूती बोलतीं थी। रांची ,खूंटी, सिमडेगा, गुमला ,लोहरदगा, हजारीबाग, पश्चिमी सिंहभूम, पूर्वी सिंहभूम, सरायकेला, खरसावां सहित 17 जिलों तक पीएलएफआई की उगाही होती थी।