नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय के विवादों में घिरे न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा का इलाहाबाद उच्च न्यायालय में ट्रांसफर करने के निर्णय को केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी है। शुक्रवार को विधि और न्याय मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार, न्यायमूर्ति वर्मा को दिल्ली उच्च न्यायालय से इलाहाबाद उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करने का आदेश जारी किया गया। यह कदम उस समय उठाया गया जब न्यायमूर्ति वर्मा के सरकारी आवास में आग लगने के बाद बड़ी मात्रा में नकदी मिलने की घटना सामने आई, जिसने विवादों को जन्म दिया।
केंद्र की मंजूरी, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश
मंत्रालय की अधिसूचना में कहा गया कि राष्ट्रपति, भारत के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श के बाद, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 222 के तहत इस स्थानांतरण को मंजूरी देते हैं। इसके बाद, न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में अपने कार्यालय का प्रभार संभालने के लिए निर्देश दिए गए हैं।
यह स्थानांतरण सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम द्वारा 24 मार्च को की गई सिफारिश के बाद हुआ। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने न्यायमूर्ति वर्मा को उनके मूल उच्च न्यायालय, इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वापस भेजने की सिफारिश की थी। इस सिफारिश का आधार वह घटना बनी, जब जस्टिस वर्मा के सरकारी आवास में कथित रूप से बड़ी मात्रा में जले हुए रुपए मिले थे।
न्यायमूर्ति वर्मा के आवास से नकदी मिलने की घटना
14 मार्च को दिल्ली के तुगलक रोड स्थित जस्टिस वर्मा के सरकारी आवास में आग लगने की घटना ने काफी सुर्खियां बटोरीं। आग बुझाने के दौरान भारी मात्रा में जलकर नष्ट हो चुके भारतीय मुद्रा नोटों के बोरों का पता चला। इस घटना के बाद दिल्ली उच्च न्यायालय ने जस्टिस वर्मा को तत्काल प्रभाव से उनके न्यायिक कार्यों से हटा दिया था। सीजेआई ने इस मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया था।
न्यायमूर्ति वर्मा ने आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि उनके या उनके परिवार के किसी भी सदस्य ने उनके आवास के स्टोर रूम में कभी भी नकदी नहीं रखी थी। उन्होंने इसे खुद के खिलाफ साजिश करार दिया और दावा किया कि यह एक षड्यंत्र था, ताकि उन्हें बदनाम किया जा सके।
सुप्रीम कोर्ट का दखल और जांच समिति का गठन
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अत्यधिक सख्त रुख अपनाया और 22 मार्च को जस्टिस वर्मा के आवास से कथित रूप से मिली नकदी के मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश द्वारा की गई जांच रिपोर्ट को अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक किया। इसमें यह उल्लेख किया गया कि जस्टिस वर्मा के आवास से भारतीय मुद्रा नोटों से भरी चार से पांच अधजली बोरियां बरामद हुई थीं।
इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने 20 और 24 मार्च को आयोजित अपनी बैठकों में जस्टिस वर्मा को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करने की सिफारिश की थी। यह कदम उनके आवास से मिली कथित नकदी के वीडियो के बाद उठाया गया था, जिसने पूरे न्यायिक समुदाय में हड़कंप मचा दिया।
इलाहाबाद बार एसोसिएशन का विरोध
जस्टिस वर्मा के इलाहाबाद हाईकोर्ट में ट्रांसफर के फैसले का इलाहाबाद उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन ने विरोध किया है। बार एसोसिएशन ने इसे गंभीर रूप से उठाते हुए सवाल किया है कि क्या इलाहाबाद उच्च न्यायालय को अब एक कूड़ेदान मान लिया गया है? उनका कहना है कि इस तरह के फैसले न्यायपालिका की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाते हैं।