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जमशेदपुर : झारखंड पीपुल्स पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष व घाटशिला के पूर्व विधायक सूर्य सिंह बेसरा ने झारखंड मुक्ति मोर्चा की 13वें महाधिवेशन पर त्वरित प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि… ‘खोदा पहाड़ निकली चुहिया’ झामुमो की महाधिवेशन में पारित 16 प्रस्तावों में से ज्वलंत मुद्दे गायब हैं।
- परिकल्प झारखंड यानी वर्तमान राज्य के साथ पश्चिम बंगाल के तीन जिले मेदिनीपुर पुरुलिया बांकुड़ा तथा उड़ीसा (ओडिशा) के चार जिले मयूरभंज, क्योंझर, संबलपुर व सुंदरगढ़ और छत्तीसगढ़ के सरगुजा, रायगढ़ साथ ही बिहार के जमुई और बांका जिला को शामिल नहीं किया गया है।
- 2012 में झारखंड आंदोलनकारी चिह्नितीकरण आयोग का गठन किया गया है, लेकिन उसमें जेल जाने की बाध्यता का प्रावधान है। वर्तमान में झारखंड मुक्ति मोर्चा की सरकार है। लगातार आंदोलन और मांग के बावजूद झारखंड आंदोलन के शहीदों को सम्मान और जेल जाने की बाध्यता को खत्म करते हुए सभी को समान पेंशन देने की मांग होती रही है। इसके बावजूद झारखंड मुक्ति मोर्चा द्वारा सभी को समान पेंशन का प्रस्ताव नहीं लिया जाना एक दुखद आश्चर्य का विषय है।
- संताली भाषा को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल होकर 22 साल बीत चुके हैं, लेकिन उसकी लिपि ‘ओलचिकि’ पर कोई प्रस्ताव नहीं लिया गया, जबकि इस लिपि का आविष्कार हुए 100 वर्ष हो गए हैं।
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