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उदीयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के साथ संपन्न हो गया चैती छठ, ठेकुआ-केला का प्रसाद ग्रहण करने को घाटों पर उमड़े श्रद्धालु

by Rakesh Pandey
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पटना/Chaiti Chhath 2024: लोकआस्था का महापर्व चैती छठ सोमवार सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के साथ संपन्न हो गया। इसके साथ ही पहले व्रतियों ने प्रसाद ग्रहण कर कठिन व्रत का पारण किया, तो छठ घाटों पर ठेकुआ व केला का प्रसाद ग्रहण करने के लिए श्रद्धालु उमड़ पड़े थे। इससे पहले रविवार को अस्ताचलगामी यानी डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया गया था। इस दौरान छठ घाटों पर भगवान सूर्य व छठी मइया के गीतों से पूरा माहौल आध्यात्मिक रंग में डूब गया था। हालांकि चैती छठ बहुत कम व्रती करते हैं, इसके बावजूद नदी व कृत्रिम घाटों पर चहल-पहल बनी रही।

यहां बता दें कि इस व्रत की शुरुआत नहाय-खाय के साथ होती है। दूसरे दिन खरना के साथ 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाता है। तीसरे दिन पहला अर्घ्य और चौथे दिन दूसरा अर्घ्य के साथ पर्व संपन्न हो जाता है। इस साल 12 अप्रैल से नहाय-खाय के साथ चैती छठ शुरू हुआ। 13 अप्रैल को खरना था, जबकि 14 अप्रैल को पहला अर्घ्य पड़ा। 15 अप्रैल को उदीयमान सूर्य को दूसरा अर्घ्य देने के बाद पर्व का समापन हुआ।

छठ को लेकर बिहार की राजधानी पटना में घाटों को विशेष रूप से सजाया गया था। चूंकि इस पर्व में साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखा जाता है, इसलिए नदी घाटों की सफाई को लेकर प्रशासन से लेकर समाजसेवी व तमाम लोग जुटे थे। इस बार भी देश के विभिन्न राज्यों में उसी तरह की तैयारी दिखी। छठ घाट बिजली की रोशनी के अलावा फूल-पत्तियों से सजे थे।

Chaiti Chhath 2024: इस तरह चार दिन चलता है यह पर्व

– 12 अप्रैल : नहाय-खाय।चैत मास की चतुर्थी तिथि के दिन को नहाय-खाय कहते हैं। इस दिन महिलाएं स्नान आदि करने के बाद भगवान सूर्य की पूजा करती है। वहीं, घर की अच्छी तरह से साफ-सफाई के बाद पूर्ण सात्विकता के साथ विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाती है। इस महाप्रसाद को सबसे पहले व्रती ग्रहण करती हैं। इसके बाद परिजन और मित्रजन के बीच वितरित किया जाता है।

– 13 अप्रैल : दूसरे दिन खरना होता है। इस दिन से महिलाएं 36 घंटे का निर्जला व्रत का आरंभ करती है। इसके साथ ही भगवान सूर्य को भोग लगाने के लिए प्रसाद तैयार करती है। इसके साथ ही शाम के समय पीतल या फिर मिट्टी के बर्तन में गुड़ की खीर, ठेकुआ आदि बनाते हैं।

– 14 अप्रैल : रविवार को यानी आज छठ पर्व के तीसरे दिन भगवान सूर्य को अर्घ्य देने की विधान है। डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के लिए जल और दूध का इस्तेमाल करते हैं।

– 15 अप्रैल : सोमवार को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इस दिन सूर्योदय के समय सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है। इसके साथ ही छठ मैया से संतान की रक्षा और परिवार की सुख-शांति की कामना की जाती है।

Chaiti Chhath 2024: चैती छठ का महत्व

चैती छठ का विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन यमुना देवी पृथ्वी पर प्रकट हुई थीं। वहीं, यह भी मान्यता है कि चैती छठ करने से संतान की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। वहीं, विवाहित जोड़ों को संतान प्राप्ति में दिक्कतें आ रही हैं, तो वे भी छठी मइया का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए यह पर्व करते हैं।

 

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