रांची: मसीही समुदाय ने पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ ख्रीस्त जन्मोत्सव मनाया। शहर के विभिन्न चर्च, जैसे जीईएल चर्च, संत पॉल्स कथिड्रल चर्च, संत मरिया महागिरजाघर चर्च, और एनडब्ल्यू जीईएल चर्च, आस्था के केंद्र बने रहे। सुबह से ही चर्चों में बड़ी संख्या में लोग पहुंचे और दिनभर आराधना, प्रार्थना, और बाइबल पाठ का सिलसिला चलता रहा।
जीईएल चर्च में उपदेशक रेव्ह पीसी लकड़ा ने अपने संदेश में कहा, “यीशु मसीह का जन्म मानवता को पाप से मुक्ति दिलाने के लिए हुआ। उनका जन्म निर्धन परिवार में हुआ था, ताकि वे समाज के वंचित और तिरस्कृत लोगों के उद्धार का मार्ग प्रशस्त कर सकें। बेतलहम जैसे पिछड़े क्षेत्र में जन्म लेकर यीशु ने गरीबों के उत्थान का संदेश दिया।” चर्च में महिला सहायक पुरोहित ग्लोरिया डहंगा ने कहा, “यीशु मसीह ने मानवता को बचाने के लिए क्रूस पर अपने प्राणों की आहुति दी। उनका बलिदान ईसाई समुदाय के लिए बहुमूल्य है, क्योंकि यह परमेश्वर के प्रेम को प्रकट करता है।”

संत मरिया महागिरजाघर चर्च
पुरूलिया रोड स्थित संत मरिया महागिरजाघर चर्च में सुबह की आराधना के दौरान पुरोहित आनंद डेविड खलखो ने प्रेम और भाईचारे का संदेश दिया। चर्च परिसर के मुख्य द्वार पर कैंडल जलाने की व्यवस्था की गई थी, जहां लोगों ने अपनी पसंदीदा रंगों की कैंडल जलाकर प्रार्थना की।
एनडब्ल्यू जीईएल चर्च
जीईएल चर्च के आर्च बिशप राजीव सतीश टोप्पो ने अपने संदेश में कहा, “प्रभु यीशु मसीह का जन्म मानवता के लिए एक अद्भुत कार्य है। पाप के कारण ईश्वर और मनुष्य के बीच जो संबंध टूट गया था, उसे जोड़ने के लिए यीशु ने मनुष्य के रूप में जन्म लिया। सभी मानव परमेश्वर की संतान हैं और यीशु मसीह का जीवन हमें यह सिखाता है कि हमें अपने जीवन में ईश्वर के प्रति विश्वास और आस्था बनाए रखनी चाहिए।”
चर्च परिसर में आस्था और उत्साह का संगम
चर्च परिसर में मेले जैसा माहौल देखने को मिला। चर्च के बाहर विभिन्न प्रकार की मिठाई, अइरसा, निमकी, केक, और आइसक्रीम की दुकानें सजी हुई थीं। लोगों ने इनका आनंद लिया और क्रिसमस का जश्न मनाया।
आस्था का प्रतीक और सांस्कृतिक उत्सव
क्रिसमस का यह दिन न केवल आस्था का प्रतीक था, बल्कि सांस्कृतिक उत्सव का भी रूप ले चुका था। विश्वासियों ने एक-दूसरे को क्रिसमस की शुभकामनाएं दीं और यीशु मसीह के जन्म के संदेश को साझा किया। चर्चों में दिनभर बाइबल पाठ और आराधना के साथ-साथ चाय, पानी, और केक की व्यवस्था की गई थी।
महिला मंडलियों की सक्रिय भागीदारी
महिला मंडलियों ने विशेष आराधना में भाग लिया और अपने गीतों से माहौल को और भी पवित्र बना दिया। चर्चों में विशेष प्रार्थना सत्र आयोजित किए गए, जहां विश्वासियों ने यीशु मसीह के जीवन और उनके बलिदान पर चर्चा की।
क्रिसमस के इस पवित्र दिन पर रांची के मसीही समुदाय ने न केवल यीशु मसीह के जन्म का जश्न मनाया, बल्कि प्रेम, भाईचारे और मानवता के संदेश को भी साझा किया।