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Indian Film Festival : नौवें इंडियन फिल्म फेस्टिवल में ज्यूरी के रूप में शामिल हुईं शहर की विजय शर्मा, ‘मिथ्या’ सर्वश्रेष्ठ पटकथा विजेता

फ़िल्म फ़ेस्टिवल की संस्थापक और निदेशक रति अपना ने सभी विजेताओं को बधाई दी और इस बात पर जोर दिया कि यह महोत्सव दक्षिण एशियाई सिनेमा को दुनिया के सामने लाने का एक महत्वपूर्ण मंच है।

by Anand Mishra
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जमशेदपुर : अमेरिका के सिनसिनाटी में आयोजित नौवें इंडियन फिल्म फेस्टिवल का आयोजन विगत तीन से छह अक्टूबर तक किया गया। इस फ़िल्म महोत्सव की शुरुआत प्रतिष्ठित मरीमोंट थियेटर में दर्शकों से खचाखच भरे हाल में हुई, जहां अपर्णा सेन पर आधारित डॉक्यूमेंट्री ‘परमा : ए जर्नी विद अपर्णा सेन’ प्रदर्शित की गई। इस विशेष मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. लक्ष्मी कोडे सैम्मार्को उपस्थित थीं। फ़ेस्टिवल में ‘परमा’ को उत्कृष्ट डॉक्यूमेंट्री का पुरस्कार मिला, जिससे यह और भी चर्चित हो गई।

यह दक्षिण एशियाई फ़िल्म महोत्सव अपने आप में एक अनूठा मंच है, जहाँ लघु, फीचर और डॉक्यूमेंट्री फिल्मों को प्रदर्शित किया जाता है। यह महोत्सव फ़िल्म निर्माताओं, कलाकारों और फ़िल्म उद्योग के विशेषज्ञों को एक साथ लाता है, जहाँ वे अपने काम को प्रदर्शित कर दर्शकों और अंतरराष्ट्रीय मीडिया से संवाद स्थापित करते हैं।

विजय शर्मा और ज्यूरी का फैसला


इस वर्ष की तीन-सदस्यीय ज्यूरी में ‘द हाउस ऑफ इल्यूशन्स’ फ़िल्म स्टूडियो के संस्थापक और सिने समीक्षक क्रिस्टोफ़र डॉल्टन, फ़िल्म समीक्षक और पॉडकास्टर अमर्त्य आचार्य, डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म निर्माता प्रो. अंजलि मोन्टेइरो और जानी-मानी सिने-समीक्षक डॉ. विजय शर्मा शामिल थीं। विजय शर्मा इससे पहले 5वें चलचित्रम् नेशनल फ़िल्म फ़ेस्टिवल और न्यूयॉर्क इंडियन फ़िल्म फ़ेस्टिवल जैसी प्रतिष्ठित ज्यूरी में भी रही हैं।

ज्यूरी ने पांच उत्कृष्ट फिल्मों की पटकथाओं का गहन अवलोकन किया, जिनमें ‘द क्वीन ऑफ माई ड्रीम्स’, ‘दि इन्वेस्टिगेटर’, ‘मिथ्या’, ‘आउटहाउस’ और ‘यलो बस’ शामिल थीं। इनमें से सुमंत भट्ट की फ़िल्म ‘मिथ्या’ की पटकथा को सर्वसम्मति से सर्वश्रेष्ठ घोषित किया गया। ज्यूरी ने फ़िल्म की तारीफ करते हुए कहा, “यह 11 साल के एक लड़के की आत्म-खोज और उसके भीतर की दुनिया को संजोने की मार्मिक कहानी है।” ‘मिथ्या’ को न केवल सर्वश्रेष्ठ पटकथा का पुरस्कार मिला, बल्कि इसे सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म, सर्वश्रेष्ठ निर्देशक (सुमंत भट्ट) और सर्वश्रेष्ठ अभिनेता (आतिश शेट्टी) के पुरस्कार भी प्राप्त हुए।

अन्य प्रमुख पुरस्कार


इस साल के महोत्सव में धनंजय कुलकर्णी को उनकी फ़िल्म ‘आउटहाउस’ के लिए सर्वश्रेष्ठ सिनेमाटोग्राफी का पुरस्कार मिला। उनकी कैमरा तकनीक, जिसमें दिन और रात के दृश्यों का अद्भुत संतुलन देखा गया, ने कहानी के भावों को गहराई से उकेरा। इसके अलावा, अंशुल अग्रवाल को ‘ए नाइट आफ्टर ऑल’ के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशक, ‘आउटहाउस’ को सर्वश्रेष्ठ रोमांटिक फ़िल्म, ‘क्वीन ऑफ माई ड्रीम्स’ को सर्वश्रेष्ठ स्क्रीनप्ले, और तनीषा चटर्जी को ‘यलो बस’ के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार मिला।

समारोह का समापन और आगे की राह


फ़िल्म फ़ेस्टिवल की संस्थापक और निदेशक रति अपना ने सभी विजेताओं को बधाई दी और इस बात पर जोर दिया कि यह महोत्सव दक्षिण एशियाई सिनेमा को दुनिया के सामने लाने का एक महत्वपूर्ण मंच है।

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