पटना : बिहार के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (PMCH) में एक ऐतिहासिक घटना घटी है। अस्पताल के 100 साल के इतिहास में पहली बार किसी मरीज की ‘कमांडो सर्जरी’ की गई, जिससे उसकी जान बचाई जा सकी। यह सर्जरी माउथ कैंसर से पीड़ित एक मरीज पर की गई, जिसमें कैंसरग्रस्त हिस्से को हटाकर मरीज की जीवन रक्षा की गई।
क्या है ‘कमांडो सर्जरी’
कमांडो सर्जरी एक विशेष प्रकार की सर्जरी है, जिसे आमतौर पर मुंह, जबड़े और गले के कैंसर के इलाज के लिए किया जाता है। यह सर्जरी तीन चरणों में पूरी की जाती है। इस सर्जरी के तहत कैंसरग्रस्त हिस्सों को बेहद सावधानी से हटाया जाता है, जिससे मरीज का चेहरा और बोलने की क्षमता यथासंभव सुरक्षित रहती है।
पीएमसीएच में की गई इस सर्जरी में, माउथ कैंसर के कारण मरीज के मुंह, जबड़े और गले का एक बड़ा हिस्सा कैंसर से प्रभावित था। डॉक्टरों की टीम ने इस कैंसरग्रस्त हिस्से को हटाकर मरीज की जान बचाई। इसके बाद, छाती से मांस और चमड़े का हिस्सा लेकर जबड़े की संरचना को फिर से तैयार किया गया।
कैसे हुआ माउथ कैंसर
कैंसर सर्जन डॉ. अमित कुमार ने बताया कि यह मरीज नालंदा जिले के जंगसारी गांव का रहने वाला है, जिसकी उम्र 43 साल है। इस मरीज को गुटखा और खैनी खाने की आदत थी, जिसके कारण उसे माउथ कैंसर हो गया। नवंबर 2024 में जब उसे कैंसर के लक्षण महसूस हुए, तो वह पीएमसीएच में इलाज के लिए आया। डॉ. अमित कुमार और उनकी टीम ने ‘कमांडो विधि’ से सफल सर्जरी करके उसकी जान बचाई।
सर्जरी की प्रक्रिया
कमांडो सर्जरी को तीन प्रमुख चरणों में पूरा किया जाता है।
पहला चरण : इसमें कैंसरग्रस्त हिस्से को हटाया जाता है, जिसमें मुंह, जबड़ा और गले का प्रभावित हिस्सा शामिल होता है। इस प्रक्रिया के दौरान हड्डी और मांस को निकालकर प्रभावित क्षेत्र को पूरी तरह से साफ किया जाता है।
दूसरा चरण : दूसरे चरण में, गर्दन से लिम्फ नोड्स (गिलटियां) को हटाया जाता है, जिससे कैंसर के फैलाव को रोका जा सके और शरीर के अन्य हिस्सों में कैंसर के फैलने की संभावना कम हो सके।
तीसरा चरण : इस चरण में, छाती से मांस और चमड़े का टिशू लेकर, मरीज के मुंह और जबड़े का रिकंस्ट्रक्शन किया जाता है। यह प्रक्रिया मरीज के चेहरे को यथासंभव सामान्य बनाए रखती है, जिससे उसकी बोलने की क्षमता भी बरकरार रहती है।
सर्जरी के बाद का असर
डॉ. अमित कुमार ने कहा, ‘यह सर्जरी करीब साढ़े तीन घंटे तक चली। अब मरीज की स्थिति में काफी सुधार है। उसे कैंसर से मुक्ति मिल चुकी है और अब वह सामान्य जीवन जीने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है’।
इस सर्जरी को पीएमसीएच के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि माना जा रहा है, क्योंकि यह पहली बार है जब इस प्रकार की जटिल सर्जरी इस अस्पताल में की गई। सर्जरी में डॉ. अमित कुमार, डॉ. आलोक रंजन, डॉ. कुणाल कुमार, डॉ. कुणाल आनंद, डॉ. अभिषेक अंकुर और एनेस्थेटिक डॉ. रवि रंजन की टीम ने मिलकर काम किया।
भविष्य में नई उम्मीदें
पीएमसीएच के डॉक्टरों द्वारा की गई इस सर्जरी से यह साबित होता है कि अब बिहार में भी अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधाएं और सर्जिकल तकनीकें उपलब्ध हैं। इस सर्जरी ने न केवल एक मरीज की जान बचाई, बल्कि अस्पताल की सर्जिकल टीम की दक्षता और क्षमता को भी उजागर किया है।
अब इस सफलता के बाद, यह उम्मीद जताई जा रही है कि इस प्रकार की सर्जरी अन्य कैंसर मरीजों के लिए भी एक नई उम्मीद बन सकती है। पीएमसीएच जैसे प्रतिष्ठित अस्पताल में इस तरह की उन्नत चिकित्सा विधियों का उपयोग मरीजों के लिए एक सकारात्मक संकेत है।