नयी दिल्ली। दिल्ली में 16 दिसंबर 2012 को सामूहिक बलात्कार के बाद जान गंवाने वाली 23 वर्षीय पैरामेडिकल छात्रा (Nirbhaya) की मां ने कहा कि 11 साल हो गए हैं, लेकिन कुछ नहीं बदला है। उन्होंने कहा कि सभी के सहयोग से उन्हें तो न्याय मिल गया, लेकिन कई मामले 10-12 साल से निचली अदालतों में लंबित हैं। सामूहिक बलात्कार की उस घटना को लेकर देश भर में आक्रोश देखने को मिला था।
दक्षिण दिल्ली में चलती बस में छह लोगों ने छात्रा से बलात्कार कर उसे सड़क पर फेंक दिया था। 29 दिसंबर 2012 को सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई थी। इस घटना के बाद देश भर में काफी बवाल मचा था। जिसे देश के लोग Nirbhaya नाम से जानते हैं।
Nirbhaya Kaand:घटना के सभी आरोपियों को मिली दर्दनाक सजा
छह आरोपियों में से एक राम सिंह ने मामले पर सुनवाई शुरू होने से कुछ दिन पहले तिहाड़ जेल में कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी जबकि किशोर आरोपी को तीन साल सुधार गृह में रखने के बाद रिहा कर दिया गया था। चार अन्य दोषियों मुकेश सिंह (32), पवन गुप्ता (25), विनय शर्मा (26) और अक्षय कुमार सिंह (31) को 20 मार्च 2020 को तिहाड़ जेल में फांसी दे दी गई। निर्भया के पिता बद्रीनाथ सिंह ने दावा किया कि अब भी जब कहीं बलात्कार की घटनाएं होती हैं, तब कोई भी पीड़िता के साथ खड़ा नहीं होता है। इस सोच में बदलाव लाने की जरूरत है। बिना सिस्टम में बदलाव के ऐसी घटनाएं होती रहेगी।
हमें इसलिए न्याय मिला, क्योंकि देश के लोग मेरे साथ थे
Nirbhaya के पिता ने कहा कि हमें न्याय इसलिए मिला क्योंकि पूरा देश हमारे साथ था। त्वरित अदालत ने हमारी बेटी को न्याय दिलाने में मदद की। Nirbhaya की मां आशा देवी ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में अब भी कमी नहीं आई है। उन्होंने कहा कि कानून बने, लेकिन हुआ कुछ नहीं। कभी-कभी हम यह सोचकर इतने निराश हो जाते हैं कि कुछ भी नहीं बदलने वाला है। हमारे पास भी कई मामले आते हैं और हम उन्हें अपना नैतिक समर्थन ही दे सकते हैं।
निर्भया की मां ने कहा-जो सिस्टम में बदलाव होने चाहिए वो जस के तस
Nirbhaya की मां ने कहा कि सिस्टम को ठीक से काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि बदलाव होना चाहिए, न्याय समय पर मिलना चाहिए और पुलिस भी ठीक से काम करे। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में भारत के 19 महानगरों में से दिल्ली में महिलाओं के खिलाफ अपराध के सबसे अधिक मामले दर्ज किए गए। राष्ट्रीय राजधानी में 2022 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 14,158 मामले दर्ज किए गए, इसके बाद मुंबई (6,176) और बेंगलुरु (3,924) रहे।