जमशेदपुर : बर्मामाइंस स्थित सीएसआईआर-राष्ट्रीय धातुकर्म प्रयोगशाला (एनएमएल) और मुंबई के मेसर्स मैकानी मेटल्स के बीच बुधवार को एक महत्वपूर्ण करार हुआ। इसका उद्देश्य ई-वेस्ट रिसाइक्लिंग के क्षेत्र में नए अवसरों का निर्माण करना है। इस करार के तहत, मैकानी मेटल्स कीमती और बहुमूल्य धातु निकालने में सक्षम होगी और यह पूरी परियोजना शून्य कचरा (Zero Waste) कंसेप्ट पर आधारित होगी। यह पर्यावरण अनुकूल है और इसके सही निष्पादन से न केवल पर्यावरण की सफाई होगी, बल्कि बेरोजगारी कम करने और असंगठित इकाइयों को संगठित करने में भी मदद मिलेगी।
परियोजना का उद्देश्य और इसके लाभ
इस करार का मुख्य उद्देश्य ई-कचरा रिसाइक्लिंग के माध्यम से प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करना है। इस तकनीकी के उपयोग के माध्यम से न केवल प्रदूषण में कमी आएगी, बल्कि भावी पीढ़ियों के लिए संसाधनों की सुरक्षा भी होगी। इस परियोजना के तहत कचरा उठाव और निष्पादन के लिए म्युनिसिपल इकाइयां भी इस प्लांट से संपर्क कर सकती हैं, जिससे स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन होगा और कचरे की सही तरीके से पुन: उपयोग की प्रक्रिया शुरू हो सकेगी।
एनएमएल और मैकानी मेटल्स के बीच सहयोग
इस मौके पर एनएमएल के निदेशक डॉ. संदीप घोष चौधरी ने इस साझेदारी की महत्वता पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि एनएमएल ने हाल के दिनों में कई स्वदेशी तकनीकियों को भारतीय कंपनियों को हस्तांतरित किया है और अब उम्मीद जताई जा रही है कि इस करार से भारत को ई-कचरा मुक्त समाज बनाने में भी मदद मिलेगी। मैकानी मेटल्स के संस्थापक रियाज मैकानी ने भी इस करार के बारे में बात की और कहा, “प्रदूषण मुक्त समाज बनाने और प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करने के उद्देश्य से इस महत्वपूर्ण परियोजना का हिस्सा बनकर खुश हूं।”
टीम का योगदान और भविष्य की संभावनाएं
इस करार में एनएमएल के कई वरिष्ठ अधिकारी और शोधार्थियों ने योगदान दिया। परियोजना प्रमुख डॉ. अंकुर शर्मा, प्रभारी (अर्बन और रीसाइकलिंग सेंटर) डॉ. मनीष कुमार झा, और अन्य टीम सदस्यों ने इस करार को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। डॉ. अंजनी कुमार साहू ने ई-वेस्ट रिसाइक्लिंग के क्षेत्र में भारत में आने वाले भविष्य के अवसरों को प्रेस और मीडिया के समक्ष उजागर किया।