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Deobandi Ulama : स्विट्जरलैंड में बुर्का बैन पर देवबंदी उलेमा का विरोध : महिलाओं के सम्मान पर उठाए सवाल

by Rakesh Pandey
Deobandi Ulama
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सहारनपुर : स्विट्जरलैंड सरकार ने महिलाओं के बुर्का पहनने पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक नया कानून लागू किया है, जिसे लेकर देवबंदी उलेमा नाराज हैं। इस फैसले को इस्लाम के खिलाफ और महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन मानते हुए उन्होंने इसकी कड़ी आलोचना की है। उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में देवबंदी उलेमा मौलाना कारी इसहाक गोरा ने कहा कि बुर्का महिलाओं के सम्मान और उनकी सुरक्षा का प्रतीक है और इसे इस्लामिक परंपरा के अनुसार एक महत्वपूर्ण पहनावा माना जाता है।

बुर्का बैन पर उलेमा का विरोध

स्विट्जरलैंड में बुर्का पहनने पर प्रतिबंध लगाने को लेकर देवबंदी उलेमा ने गहरी नाराजगी व्यक्त की है। मौलाना कारी इसहाक गोरा ने कहा कि इस्लाम में महिलाओं को अत्यधिक सम्मान दिया गया है और उन्हें बहुमूल्य समझा जाता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे किसी कीमती वस्तु को सुरक्षित रखने के लिए उसे ढककर रखा जाता है, वैसे ही महिलाएं भी समाज में सम्मान और सुरक्षा के कारण बुर्के में रहती हैं।

उलेमा का कहना है कि स्विट्जरलैंड सरकार का यह कदम महिलाओं के मौलिक अधिकारों का हनन करता है और यह समाज में महिलाओं की स्थिति को कमजोर करने की एक कोशिश है। उनके अनुसार, बुर्का पहनना महिलाओं का व्यक्तिगत अधिकार है और इसे किसी सरकार को नियंत्रित करने का अधिकार नहीं है।

महिलाओं के अधिकारों पर प्रश्नचिह्न

मौलाना कारी इसहाक गोरा ने कहा कि स्विट्जरलैंड जैसे विकसित देशों में महिलाओं के अधिकारों की बात की जाती है, लेकिन जब उन्हें अपने पहनावे पर नियंत्रण रखने का मौका नहीं दिया जाता, तो यह दोहरे मानदंडों को उजागर करता है।” उनका मानना है कि यह कदम महिलाओं के व्यक्तिगत अधिकारों को कुचलने के समान है और इससे उनकी स्वतंत्रता पर रोक लगाई जा रही है।

उन्होंने यह भी कहा कि जब एक तरफ हम महिलाओं की स्वतंत्रता और अधिकारों की बात करते हैं, तो दूसरी तरफ उन्हें उनके कपड़े पहनने की आजादी से वंचित करना अत्यंत अनुचित है। उनका कहना था कि महिलाओं को बुर्का पहनने से उनके व्यक्तित्व और गरिमा को बढ़ावा मिलता है और यह समाज में उनकी सशक्तीकरण का प्रतीक है।

भारत में भी इसी तरह की कोशिशों पर चिंता

हालांकि यह मामला स्विट्जरलैंड का है देवबंदी उलेमा ने भारत में भी इस तरह की कोशिशों पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग भारत में भी महिलाओं के पहनावे पर नियंत्रण लगाने की कोशिश कर रहे हैं। इन लोगों को महिला सम्मान और उनकी स्वतंत्रता का कोई अधिकार नहीं है और ऐसे लोग समाज में असल सम्मान और सशक्तीकरण के खिलाफ हैं।

मौलाना कारी इसहाक गोरा ने कहा कि जो लोग महिला का सम्मान नहीं कर सकते, वे समाज में किसी का सम्मान नहीं कर सकते। उन्होंने यह भी कहा कि अगर इस तरह की नीतियां लागू होती हैं, तो यह महिला विरोधी मानसिकता को बढ़ावा देगी और महिलाओं के लिए सुरक्षित वातावरण को कमजोर कर देगी।

स्विट्जरलैंड के फैसले को ठहराया गलत

स्विट्जरलैंड में बुर्का बैन को लेकर उलेमा ने सरकार की इस नीति को पूरी तरह से गलत बताया। उनका कहना था कि यह किसी एक धर्म, संस्कृति या परंपरा के खिलाफ नहीं है, बल्कि यह महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन है। उनके अनुसार, हर महिला को अपनी पसंद के अनुसार कपड़े पहनने की स्वतंत्रता होनी चाहिए और किसी भी सरकार को इस पर पाबंदी लगाने का कोई अधिकार नहीं है।

देवबंदी उलेमा का कहना है कि महिलाओं को सम्मान और सुरक्षा देने की जिम्मेदारी समाज की है और उनका इस तरह से बुर्का पहनने पर पाबंदी लगाना उन अधिकारों का उल्लंघन है जो महिलाओं को हासिल हैं। उन्होंने इस निर्णय को महिलाओं के लिए एक बड़ा धक्का बताया और कहा कि महिलाओं को खुद के पहनावे पर निर्णय लेने का पूरा अधिकार होना चाहिए।

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