देवरिया : भोजपुरी भाषा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान दिलाने वाले वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. अरुणेश नीरन का मंगलवार देर रात निधन (Arunesh Neeran Passes Away) हो गया। उन्होंने गोरखपुर के एक निजी अस्पताल में रात करीब 10.15 बजे अंतिम सांस ली। वे लंबे समय से मधुमेह (डायबिटीज) की बीमारी से पीड़ित थे। उनकी उम्र 80 वर्ष थी। उनके निधन से साहित्य और भोजपुरी जगत में शोक की लहर दौड़ गई है।
डॉ. नीरन का संबंध देवरिया जिले के देवरिया खास मोहल्ले से था। उन्होंने अपने पूरे जीवन को भोजपुरी भाषा और साहित्य के उत्थान में समर्पित कर दिया। डॉ. नीरन न केवल एक प्रतिभाशाली लेखक थे, बल्कि वे भोजपुरी भाषा के अंतरराष्ट्रीय प्रचारक के रूप में भी विख्यात रहे। उनके योगदान को साहित्यिक मंचों पर हमेशा याद किया जाएगा।
साहित्यिक योगदान
डॉ. अरुणेश नीरन ने दर्जनों महत्वपूर्ण भोजपुरी पुस्तकों की रचना की थी, जिनमें समाज, संस्कृति, भाषा और लोकजीवन पर आधारित विषयों को प्रमुखता दी गई। वे भोजपुरी को सिर्फ एक भाषा नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक आंदोलन मानते थे। उन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय भोजपुरी सम्मेलनों में निरंतर भाग लिया और भाषा की समृद्ध विरासत को वैश्विक मंचों पर प्रस्तुत किया। वे साहित्य अकादमी के सदस्य भी रहे।
Arunesh Neeran Passes Away : विश्व भोजपुरी सम्मेलन में अहम भूमिका
डॉ. नीरन ने विश्व भोजपुरी सम्मेलन में लंबे समय तक नेतृत्व किया। वे राष्ट्रीय महासचिव (1995-2004), अंतरराष्ट्रीय महासचिव (2004-2009) रहे। वर्ष 2014 तक के लिए माॅरीशस में आयोजित चौथे विश्व भोजपुरी सम्मेलन में 16 देशों के प्रतिनिधियों द्वारा पुनः अंतरराष्ट्रीय महासचिव चुने गए थे। उनके कार्यकाल में भोजपुरी को अफ्रीका, मॉरीशस, त्रिनिदाद, सूरीनाम, नेपाल, फिजी जैसे देशों में भी पहचान मिली।
शैक्षिक सेवा
डॉ. नीरन ने बुद्ध पीजी कॉलेज, कुशीनगर में प्राचार्य के पद पर सेवा दी और वहीं से सेवानिवृत्त हुए। उनका जीवन विद्यार्थियों और भाषा प्रेमियों के लिए प्रेरणा का स्रोत रहा है।
Arunesh Neeran Passes Away : साहित्य जगत में शोक
डॉ. नीरन के निधन से भोजपुरी साहित्य को अपूरणीय क्षति हुई है। सोशल मीडिया और साहित्यिक मंचों पर देशभर के साहित्यकारों, शिक्षाविदों और भाषा प्रेमियों ने गहरा शोक व्यक्त किया है।