रांची : झारखंड के खूंटी जिले में एक दुखद घटना घटी है, जब आदिवासी समाज के महान नेता धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा के परपोते मंगल मुंडा का निधन हो गया। मंगल मुंडा (45) ने रांची स्थित राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) में अंतिम सांस ली। उनके निधन का कारण हृदयगति रुकने को बताया गया है। इससे पहले, 25 नवंबर को एक सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल होने के बाद उनका इलाज रिम्स में चल रहा था।
सड़क दुर्घटना और इलाज
मंगल मुंडा उस वक्त एक यात्री वाहन की छत से गिर गए थे, जिससे उनके सिर में गंभीर चोट आई। इस हादसे के बाद उन्हें तुरंत रिम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया। दुर्घटना के बाद से उनकी हालत नाजुक बनी हुई थी और उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था। इस दौरान, अस्पताल में उनकी स्थिति को लेकर निरंतर निगरानी रखी जा रही थी, लेकिन अंततः रात के समय उनका हृदयगति रुकने के कारण निधन हो गया।
रिम्स के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. हिरेन बिरुआ ने बताया कि मंगल मुंडा की हालत बहुत ही गंभीर थी और अस्पताल के डॉक्टरों ने उन्हें बचाने के लिए पूरी कोशिश की थी, लेकिन दुर्भाग्यवश वे सफल नहीं हो पाए। उन्होंने यह भी बताया कि रात करीब साढ़े 12 बजे हृदयगति रुकने के कारण उनका निधन हो गया।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की संवेदना
मंगल मुंडा के निधन की खबर सुनते ही राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने संवेदना व्यक्त की। मुख्यमंत्री ने 27 नवंबर को रिम्स पहुंचकर घायल मंगल मुंडा की स्थिति का जायजा लिया था और उनके परिवारजनों से मुलाकात भी की थी। मुख्यमंत्री सोरेन ने अस्पताल प्रशासन को निर्देश दिया था कि मंगल मुंडा के इलाज में कोई कसर न छोड़ी जाए और उनकी स्वास्थ्य निगरानी सतत रूप से की जाए।
मुख्यमंत्री सोरेन ने कहा था कि मंगल मुंडा के इलाज को लेकर रिम्स अस्पताल में सभी संभव प्रयास किए जा रहे हैं। इसके अलावा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा के कार्यालय भी इस मामले में सक्रिय रूप से रिम्स प्रशासन से संपर्क में थे। उनकी कोशिश थी कि मंगल मुंडा को हरसंभव चिकित्सा सहायता उपलब्ध हो सके, लेकिन दुर्भाग्यवश उनकी जान नहीं बचाई जा सकी।
प्रधानमंत्री और अन्य अधिकारियों का सहयोग
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यालय, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा और झारखंड सरकार के अधिकारियों ने भी मंगल मुंडा के इलाज के मामले में रिम्स अस्पताल के अधिकारियों से निरंतर संपर्क बनाए रखा था। इस हादसे के बाद राज्य और केंद्र सरकार ने पूरी कोशिश की थी कि वे समय पर और उचित इलाज प्राप्त कर सकें, ताकि उनकी जान बचाई जा सके।
भगवान बिरसा मुंडा के वंशज के रूप में मंगल मुंडा की पहचान एक आदिवासी समाज के प्रति उनके योगदान के लिए भी थी। बिरसा मुंडा, जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष किया और आदिवासी समुदाय के अधिकारों के लिए आवाज उठाई, उनके परपोते मंगल मुंडा भी अपने समाज के लिए सक्रिय थे। उनकी मौत से आदिवासी समुदाय और राज्य के लोग गहरे शोक में हैं।
मंगल मुंडा के निधन ने न केवल उनके परिवार को, बल्कि पूरे झारखंड को एक गहरी हानि पहुंचाई है। भगवान बिरसा मुंडा के योगदान को मान्यता देने वाले लोग हमेशा उनके परिवार को आदर और सम्मान की नजर से देखते हैं। अब, जब मंगल मुंडा इस दुनिया में नहीं रहे, उनके कार्य और उनके जीवन की प्रेरणा आदिवासी समाज के लिए सदैव जीवित रहेगी।
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