मुंबई/ एजेंसी : IIT बॉम्बे ने विद्यार्थियों के लिए नई गाइडलाइंस जारी की हैं। इसमें कहा गया है कि साथ पढ़ने वाले छात्र किसी भी छात्र की रैंक या उसकी जाति नहीं पूछ सकते। अगर ऐसा किसी ने किया तो उस छात्र पर कारवाई की जा सकती है। यह फैसला छात्र दर्शन सोलंकी की आत्म हत्या के पांच महीने बाद आया है। इस पर दर्शन सोलंकी के पिता रमेशभाई सोलंकी का कहना है कि यह नियम पहले भी थे पर उसका पालन नहीं होता था,अगर पालन किया गया होता तो दर्शन जकंदा होता।
उन्होंने कहा कि कॉलेज की ओर इन नियमों को कड़ाई से पालन करना चाहिए ताकि आगे कोई दूसरा छात्र इस तरह की कदम नहीं उठाये। उन्होंने कहा कि दर्शन ने उदय मीना को सब कुछ बताया था फिर भी उसका कमरा चेंज नहीं किया गया। दर्शन को उसके रूम मेट परेशान करते थे और रैंकपूछने के बाद ही उनका रवैय्या बदल गया था जो साफ दर्शाता है वज़ह क्या थी।
SIT ने उदय मीना का बयान लिया पर उसे चार्जशीट मे नही रखा। एसा क्यों किया गया उसका किसी के पास कोई जवाब नहीं है। नियम सिर्फ सरकार और लोगों को दिखाने के लिए है उसका पालन हो तभी भेदभाव रुकेगा। महत्वपूर्ण है कि दर्शन की आत्महत्या के बाद परिवार ने IIT प्रबंधन पर प्रश्न उठाये थे। बेटे के साथ जाति की वजह से भेदभाव के आरोप भी लगाये थे जिसके बाद SIT बनाई गई थी और इस मामले की जांच हो रही है।
क्या है नई गाइडलाइंस ?
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान बॉम्बे (आईआईटी बी) ने दिशानिर्देश जारी कर छात्रों से आग्रह किया है कि वे साथी छात्रों से ऐसी जानकारी न मांगें जिससे उनकी जाति का पता चल सकता हो। इसके बजाय उन्हें खेल, संगीत और फिल्मों जैसी समान रुचियों से जुड़ने के लिएप्रोत्साहित किया जाये। छात्रों के बीच दिशानिर्देशों को प्रसारित करने के अलावा, अधिकारियों ने उन्हें संस्थान के परिसर में विभिन्न स्थानों पर भी चिपकाया है।
दिशानिर्देशों के अनुसार, साथी छात्रों से उनके जन्म, प्रवेश और वे जिस श्रेणी में आते हैं, उसके बारे में पूछना अनुचित है। क्योंकि इससे सचेत या अवचेतन पूर्वाग्रह पैदा हो सकता है। गाइडलाइंस में छात्रों को ऐसे संदेश साझा करने से भी रोका गया है जिनमें ऐसे चुटकुले भी शामिल हैं जो अपमानजनक, घृणित, जातिवादी, लिंगवादी या धर्म या यौन अभिविन्यास पर आधारित कट्टरता प्रदर्शित करते हैं, जिन्हें उत्पीड़न या धमकाने के रूप में माना जा सकता है।