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Electrical Worker Sitting Strike Shroud : पहना कफन और बैठ गया धरने पर, दो साल से वेतन न मिलने पर विद्युत कर्मी ने उठाया कदम

by Rakesh Pandey
Electrical Worker Sitting Strike Shroud
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बांका: बांका जिले के शंभूगंज प्रखंड में एक विद्युत कर्मी ने अपनी समस्याओं को लेकर ऐसी कदम उठाया, जिसे सुनकर हर कोई हैरान रह जाए। इस कर्मी ने पिछले दो वर्षों से वेतन न मिलने के कारण कफन पहनकर धरना दिया। उसकी हालत और संघर्ष किसी के लिए भी चिंता का विषय है, क्योंकि यह केवल एक वेतन की देरी नहीं, बल्कि एक परिवार के अस्तित्व का सवाल बन चुका है।

2022 में ज्वॉइन की थी ड्यूटी

यह कहानी मुत्रा राजा की है, जो औरंगाबाद जिले के निवासी हैं। उन्होंने 2022 में शंभूगंज विद्युत विभाग कार्यालय में ड्यूटी जॉइन की थी। हालांकि, वे पिछले दो वर्षों से वेतन की कमी से जूझ रहे हैं। मुत्रा राजा का कहना है कि पहले बांका में काम करने के दौरान उन्हें समय पर वेतन मिलता था, लेकिन शंभूगंज में आकर यह समस्या गंभीर रूप धारण कर चुकी है। उन्हें न केवल वेतन नहीं मिल रहा है, बल्कि विभागीय अधिकारी उनकी उपस्थिति भी दर्ज नहीं करने देते।

आर्थिक स्थिति खराब होने से बेटियां नहीं जा रहीं स्कूल

मुत्रा राजा ने बताया कि उनकी तीन बेटियां हैं, जो एक साल से स्कूल नहीं जा पा रही हैं। बच्चों की शिक्षा और घर का खर्च चलाना उनके लिए अब असंभव सा हो गया है। दो साल से वेतन न मिलने के कारण उनकी पत्नी रिंकी देवी और पूरा परिवार भुखमरी की कगार पर पहुंच चुके हैं। इसके अलावा, जिस मकान में वे किराए पर रह रहे हैं, वह भी अब उन्हें घर खाली करने के लिए कह रहा है। मुत्रा राजा का कहना है कि उन्हें और उनके परिवार को यह स्थिति अब सहन नहीं हो रही है, जिसके बाद उन्होंने धरने पर बैठने का निर्णय लिया।

डीएम से शिकायत का भी नहीं हुआ असर

मुत्रा राजा ने बताया कि इस मुद्दे को लेकर उन्होंने बांका के डीएम अंशुल कुमार से भी शिकायत की थी, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इसके बाद, उन्होंने विद्युत विभाग के प्रबंध निदेशक से भी लिखित शिकायत की थी, फिर भी उन्हें न्याय नहीं मिला। उन्होंने कहा, “अब धरना और आमरण अनशन ही मेरा एकमात्र रास्ता बचा है। मैं कफन पहनकर धरने पर बैठा हूं ताकि मेरी आवाज सुनी जा सके।”

कनीय अभियंता ने कहा- कर्मी के खिलाफ दर्ज है शिकायत

इस मामले पर कनीय अभियंता राजीव कुमार ने अपनी सफाई दी है। उन्होंने कहा कि मुत्रा राजा अक्सर ड्यूटी से गायब रहता है और कई महीनों बाद कार्यालय आता है। वह ड्यूटी में अनुपस्थित रहने के बावजूद उपस्थिति बनवाने का दबाव डालता है। राजीव कुमार ने यह भी कहा कि उन्होंने मुत्रा राजा के खिलाफ विभाग के वरीय अधिकारियों से शिकायत की है, और इसके बाद विभाग के आदेशानुसार कार्रवाई की जाएगी।

क्या है इसका समाधान?

यह मामला केवल एक वेतन विवाद तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सरकारी विभागों की कार्यप्रणाली और कर्मचारियों के अधिकारों के प्रति संवेदनशीलता की कमी को भी उजागर करता है। जहां एक ओर मुत्रा राजा जैसे कर्मचारी कठिन परिस्थितियों में अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं, वहीं उन्हें अपने हक के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। यह घटना यह सवाल खड़ा करती है कि क्या सरकारी विभागों में कर्मचारियों को उनके अधिकार समय पर और सही तरीके से नहीं मिलते?

सरकारी व्यवस्था पर उठ रहे सवाल

मुत्रा राजा का धरना एक गंभीर संकेत है कि सरकारी कर्मचारियों को उनके अधिकार समय पर और पूरी जिम्मेदारी के साथ मिलना चाहिए। जब तक विभागीय अधिकारी अपनी कार्यप्रणाली में सुधार नहीं करते और कर्मचारियों के साथ न्यायपूर्ण व्यवहार नहीं करते, तब तक इस तरह के संघर्षों का सिलसिला जारी रहेगा। इस मामले में अब देखना यह होगा कि क्या प्रशासन मुत्रा राजा के मामले को गंभीरता से लेकर उसे न्याय दिलवाने की दिशा में कदम उठाता है या नहीं।

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