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नियुक्ति के 16 साल बाद भी विवि के शिक्षकों को नहीं मिली प्रोन्नति, इसलिए यहां के शिक्षक नहीं बन पा रहे कुलपति : टाकू

by Rakesh Pandey
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जमशेदपुर : टीचर्स एसोसिएशन ऑफ कोल्हान यूनिवर्सिटी (टाकू) का प्रतिनिधिमंडल बुधवार को रांची स्थित राजभवन में राज्यपाल सह कुलाधिपति संतोष गंगवार से मिला। इस दौरान एसोसिएशन की ओर से शिक्षकों से जुड़े कई मामलों को उनके समक्ष उठाया गया। संघ की ओर से कहा गया कि वर्ष 2008 में नियुक्त शिक्षकों को 16 वर्ष बाद भी पदोन्नति नहीं मिली है। वर्ष 2008 में नियुक्त शिक्षक आज सहायक प्राध्यापक पद (लेवल 10) पर ही सेवा दे रहे हैं।

पदोन्नति की प्रतीक्षा में कई शिक्षक सेवानिवृत हो गए हैं। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अनुसार शिक्षकों को योगदान की तिथि से 4 वर्ष के बाद पदोन्नति हो जानी चाहिए थी। पदोन्नति के अभाव में कुलपति, प्रति कुलपति, कुलसचिव, परीक्षा नियंत्रक, वित्त पदाधिकारी आदि पदों पर राज्य के शिक्षक सेवा देने के लिए योग्य नहीं बन पा रहे हैं।

बिहार राज्य के विश्वविद्यालयों में यहां के शिक्षकों के साथ योगदान देने वाले शिक्षक आज प्रोफेसर के पद पर प्रोन्नत हो गए हैं, जबकि झारखंड के शिक्षक पदोन्नति की आस लगाए हुए हैं। इसके साथ ही एसोसिएशन की ओर से कोल्हान विश्वविद्यालय, चाईबासा में 19 महीने से कुलपति व प्रतिकुलपति के रिक्त पदों को भरने की भी मांग की गई। कहा गया कि अभी कोल्हान प्रमंडल के आयुक्त को ही विश्वविद्यालय के कुलपति का प्रभार दिया गया है।

नियमित कुलपति के अभाव में विश्वविद्यालय के कई महत्वपूर्ण एवं नीतिगत कार्य नहीं हो पा रहे हैं। कई बार तो सामान्य दैनिक कार्य भी समय पर नहीं हो रहे हैं। ऐसे में जल्द से जल्द कोल्हान विश्वविद्यालय में नियमित कुलपति की नियुक्ति होनी चाहिए।
प्रतिनिधिमंडल में टाकू के अध्यक्ष डॉ. संजय कुमार सिंह, डॉ. रंजीत कुमार कर्ण व सुभाष चंद्र दास भी शामिल थे।

पूर्व की तरह मिले अवकाश

टाकू ने इसके साथ ही अवकाश कटौती का मामला भी राज्यपाल के समक्ष उठाया। कहा गया कि राज्य के सभी राजकीय विश्वविद्यालयों द्वारा अपने नियंत्रणाधीन महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालय के शिक्षक तथा कर्मचारियों के लिए वार्षिक अवकाश की सूची जारी की जाती थी, लेकिन वर्ष 2024 में राजभवन सचिवालय ने राज्य के विश्वविद्यालयों के लिए एकरूप अवकाश तालिका जारी की गई है, जिसमें पहले से शिक्षकों को मिलने वाले ग्रीष्मावकाश, शीतकालीन अवकाश, क्रिसमस छुट्टी आदि में कटौती कर दिया गया है। पहले एक साप्ताह का शीतकालीन अवकाश या क्रिसमस त्योहार की छुट्टी रहती थी, जो वर्तमान में कटौती कर मात्र एक दिन का कर दिया गया है।

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