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Jharkhand News : नीलगायों का आतंक झेल रहे गढ़वा के किसान, अब शिफ्टिंग के प्रयास में वन विभाग

किसानों का कहना है कि जब वे थोड़ी बहुत फसल उगाते हैं, तो नीलगाय झुंड में आकर खेतों को रौंद डालते हैं। इससे उन्हें भारी नुकसान हो रहा है, खेती छोड़ने की नौबत आ रही है।

by Rakesh Pandey
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गढ़वा: झारखंड के गढ़वा जिले में नीलगायों का बढ़ता आतंक किसानों के लिए नई चुनौती बन गया है। एक ओर जहां बारिश की अनियमितता और सिंचाई की कमी ने किसानों की कमर तोड़ रखी है, वहीं दूसरी ओर खेतों में घुसकर नीलगायों द्वारा फसलों को बर्बाद करना किसानों की मेहनत पर पानी फेर रहा है। अब इस समस्या के स्थायी समाधान के लिए वन विभाग ने नीलगायों को दूसरी जगह शिफ्ट करने की योजना बनाई है।

Nilgai Attack on Crops: खेती के दोहरे संकट में किसान

गढ़वा जिले के कांडी, बरडीहा, विशुनपुरा और भवनाथपुर जैसे प्रखंडों में यह समस्या सबसे ज्यादा देखने को मिल रही है। यहां के किसान बारिश आधारित खेती करते हैं। सिंचाई की कोई खास व्यवस्था नहीं है, ऐसे में यदि मौसम साथ दे भी दे, तो नीलगायों के कारण फसलें पूरी तरह बर्बाद हो जाती हैं। किसानों का कहना है कि जब वे थोड़ी बहुत फसल उगाते हैं, तो नीलगाय झुंड में आकर खेतों को रौंद डालते हैं। इससे उन्हें भारी नुकसान हो रहा है, खेती छोड़ने की नौबत आ रही है।

फसल बचाने के लिए किसान कर रहे रातभर निगरानी

विशुनपुरा प्रखंड के कर्णपुरा गांव के किसान इस संकट को झेल रहे हैं। उन्होंने बताया कि वे सब्जी की खेती कर रहे हैं, लेकिन फसल बचाने के लिए रातभर खेतों की निगरानी करनी पड़ती है। कई किसान खेतों के चारों ओर बांस की घेराबंदी, बल्ब लगाना और घंटी बजाने जैसे उपाय कर रहे हैं, ताकि नीलगाय खेतों के पास न आ सके।

Forest Department Action on Nilgai: नीलगायों को शिफ्ट करने की योजना

गढ़वा उत्तर वन प्रमंडल (DFO) के अनुसार गढ़वा और पलामू में नीलगायों की समस्या व्यापक है। वन विभाग ने लगभग 1000 नीलगायों को पकड़कर अन्यत्र स्थानांतरित करने का प्रस्ताव तैयार किया है और इसके लिए पत्राचार भी किया गया है। वन विभाग का कहना है कि जैसे ही उच्चस्तरीय अनुमति प्राप्त होती है, केज की व्यवस्था, देसी तकनीक, और मानव संसाधन की तैनाती के साथ यह कार्य शुरू कर दिया जाएगा। किसानों को मुआवजा देने की प्रक्रिया पर भी काम चल रहा है। वन विभाग अधिकारी ने बताया कि ‘हम पूरी योजना बना रहे हैं कि नीलगायों को कैसे पकड़कर सुरक्षित स्थान पर ले जाया जाए, जिससे किसानों को राहत मिले।’

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