पटना : बिहार के प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता और पूर्व आईपीएस अधिकारी किशोर कुणाल का निधन हो गया। उनका निधन शनिवार को कार्डियक अरेस्ट (दिल का दौरा) के कारण हुआ। 73 वर्षीय किशोर कुणाल को गंभीर हालत में पटना स्थित महावीर वत्सला अस्पताल लाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।
समाजसेवा और धार्मिक कार्यों में समर्पण
किशोर कुणाल का जीवन एक अधिकारी से ज्यादा एक समाजसेवी के रूप में जाना जाता था। भारतीय पुलिस सेवा से रिटायर होने के बाद उन्होंने अपनी पूरी ऊर्जा सामाजिक कार्यों में लगा दी। वे महावीर मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष थे, जो पटना स्थित एक प्रमुख धार्मिक संस्था है। रेलवे स्टेशन के पास स्थित महावीर मंदिर के माध्यम से उन्होंने कई समाजसेवी योजनाओं की शुरुआत की थी, जिनमें स्कूलों, अस्पतालों और अन्य शैक्षणिक संस्थानों का संचालन शामिल है। महावीर मंदिर न्यास बोर्ड के तहत कई प्रमुख सामाजिक कार्य किए जाते हैं, जिसमें कैंसर अस्पताल और स्कूलों का संचालन शामिल है।
किशोर कुणाल ने अयोध्या राम मंदिर ट्रस्ट के संस्थापक सदस्य के रूप में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। इसके अलावा, वे बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड के अध्यक्ष के पद पर भी कार्यरत थे, जहां उन्होंने धार्मिक न्यास और जातिवादी प्रथाओं को सुधारने के लिए कई पहल की थीं। उनका मानना था कि धर्म के नाम पर होने वाली अनावश्यक सामाजिक ध्रुवीकरण को समाप्त किया जाए, ताकि एक सशक्त और समृद्ध समाज का निर्माण हो सके।
आईपीएस अधिकारी के रूप में उल्लेखनीय सेवा
किशोर कुणाल का जन्म 10 अगस्त 1950 को बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के बरुराज गांव में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मुजफ्फरपुर से प्राप्त की और इसके बाद पटना विश्वविद्यालय से इतिहास और संस्कृत में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। वर्ष 1972 में उन्होंने गुजरात कैडर से भारतीय पुलिस सेवा (IPS) ज्वाइन की।
अपने कॅरियर के दौरान उन्होंने अहमदाबाद में डिप्टी पुलिस कमिश्नर के तौर पर भी कार्य किया, जहां उन्होंने कानून व्यवस्था बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1983 में उन्हें वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के रूप में पदोन्नति मिली और वे पटना में तैनात हो गए। उनके कार्यकाल के दौरान उनकी सादगी, ईमानदारी और कार्य के प्रति समर्पण को लेकर उन्हें काफी सराहना मिली।
1990 से 1994 तक उन्होंने गृह मंत्रालय में ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी (OSD) के रूप में काम किया। इस दौरान वे बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी और विश्व हिंदू परिषद के बीच मध्यस्थता का महत्वपूर्ण कार्य भी निभा रहे थे। उनके प्रयासों के कारण ही कई कठिन परिस्थितियों में शांतिपूर्ण समाधान खोजने में मदद मिली।
सामाजिक और धार्मिक सुधारक के रूप में योगदान
सेवानिवृत्ति के बाद किशोर कुणाल ने समाज के विभिन्न पहलुओं में सुधार लाने के लिए कई योजनाओं की शुरुआत की। वे केएसडी संस्कृत विश्वविद्यालय, दरभंगा के कुलपति भी रहे और यहां उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में कई सुधारात्मक कदम उठाए। 2000 में उन्हें बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड का प्रशासक नियुक्त किया गया, जहां उन्होंने जातिवाद और धार्मिक प्रथाओं में सुधार लाने की दिशा में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए। उनका उद्देश्य था कि समाज में समरसता और समानता को बढ़ावा दिया जाए।
बिहार और देश के लिए अपूरणीय क्षति
किशोर कुणाल के निधन से समाज को एक बड़ा धक्का लगा है। उनके समर्पण और मेहनत ने न केवल बिहार, बल्कि समूचे देश में एक सकारात्मक बदलाव की दिशा में योगदान दिया। उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा, चाहे वह पुलिस सेवा में हो, सामाजिक कार्यों में हो या धार्मिक सुधारों के लिए उनकी पहलें। किशोर कुणाल के निधन के बाद उनके चाहने वाले, सहयोगी और समाज के विभिन्न वर्गों के लोग गहरी शोक संतप्त हैं।
सांसद शाम्भवी चौधरी पुत्रवधू
यहां बता दें कि भारतीय संसद की सबसे युवा सांसद शाम्भवी चौधरी किशोर कुणाल की पुत्रवधू हैं। समस्तीपुर (बिहार) से लोक जनशक्ति-आर की सांसद शाम्भवी चौधरी ने किशोर कुणाल के पुत्र सायन कुणाल से अंतरजातीय विवाह किया है। शाम्भवी चौधरी की पहचान अच्छे वक्ता के रूप में भी है।