बेंगलुरु / नई दिल्ली : भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान के एक युग का अंत हो गया। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के पूर्व अध्यक्ष और प्रख्यात वैज्ञानिक डॉ. के. कस्तूरीरंगन का शुक्रवार (25 अप्रैल) की सुबह बेंगलुरु स्थित अपने आवास पर निधन हो गया। वह 84 वर्ष के थे और उन्होंने सुबह करीब 10:00 बजे अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है।
प्रधानमंत्री मोदी ने व्यक्त किया गहरा दुख
डॉ. के. कस्तूरीरंगन के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गहरा शोक व्यक्त किया है। प्रधानमंत्री ने अपने शोक संदेश में डॉ. कस्तूरीरंगन को भारत की वैज्ञानिक और शैक्षिक यात्रा का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बताया।
‘एक्स’ पर प्रधानमंत्री का भावुक पोस्ट
प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक भावुक पोस्ट साझा करते हुए लिखा, ‘‘भारत की वैज्ञानिक और शैक्षिक यात्रा में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले डॉ. के. कस्तूरीरंगन के निधन से मुझे गहरा दुख हुआ है। उनके दूरदर्शी नेतृत्व और राष्ट्र के प्रति निस्वार्थ योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा।’’
इसरो में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका
प्रधानमंत्री ने इसरो में डॉ. कस्तूरीरंगन के समर्पण और योगदान की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया, जिसके परिणामस्वरूप अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक विशिष्ट पहचान मिली। मोदी ने कहा कि उनके नेतृत्व में कई महत्वाकांक्षी उपग्रह प्रक्षेपित किए गए और नवाचार पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति में योगदान अविस्मरणीय
प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) का मसौदा तैयार करने में डॉ. कस्तूरीरंगन के प्रयासों को भी याद किया। उन्होंने कहा कि शिक्षा को अधिक समग्र और दूरदर्शी बनाने की उनकी कोशिशों के लिए राष्ट्र हमेशा उनका आभारी रहेगा। डॉ. कस्तूरीरंगन एनईपी की मसौदा समिति के अध्यक्ष थे और उन्होंने इस नीति को तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
युवा वैज्ञानिकों के लिए थे प्रेरणास्रोत
प्रधानमंत्री मोदी ने डॉ. कस्तूरीरंगन को कई युवा वैज्ञानिकों और शोधार्थियों के लिए एक उत्कृष्ट मार्गदर्शक भी बताया। उन्होंने कहा, ‘‘मेरी संवेदनाएं उनके परिवार, छात्रों, वैज्ञानिकों और अनगिनत प्रशंसकों के साथ हैं।’’
पारिवारिक सूत्रों और अंतिम दर्शन की जानकारी
दिवंगत डॉ. के. कस्तूरीरंगन के पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि उनके दो बेटे हैं और वह पिछले कुछ महीनों से उम्र संबंधी बीमारियों से पीड़ित थे। अधिकारियों ने जानकारी दी है कि उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए 27 अप्रैल को रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट (RRI) में रखा जाएगा, ताकि लोग उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर सकें।
शिक्षा जगत में भी अमिट छाप
डॉ. कस्तूरीरंगन न केवल एक महान अंतरिक्ष वैज्ञानिक थे, बल्कि वे नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) को तैयार करने वाली मसौदा समिति के अध्यक्ष के रूप में शिक्षा सुधारों के प्रणेता भी थे। उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के कुलाधिपति और कर्नाटक नॉलेज कमीशन के अध्यक्ष के रूप में भी अपनी सेवाएं दी थीं, जिससे शिक्षा जगत में भी उनकी अमिट छाप है।
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