बिजनेस डेस्क: क्या भारत की अर्थव्यवस्था का बुरा दौर अब खत्म हो चुका है? यह सवाल आजकल चर्चा का विषय बना हुआ है और इसके जवाब में अच्छे संकेत दिखाई दे रहे हैं। भारत की जीडीपी ग्रोथ पिछले कुछ महीनों से एक कठिन दौर से गुजर रही थी, जहां सितंबर तिमाही में जीडीपी ग्रोथ सात तिमाहियों के सबसे निचले स्तर पर गिरकर केवल 5.4% पर पहुंच गई थी। इसने न सिर्फ सरकार और नीति निर्माताओं को चिंतित किया, बल्कि निवेशकों और आम लोगों को भी आर्थिक स्थिरता को लेकर सवाल खड़े कर दिए थे। लेकिन अब, ताजा आंकड़ों के मुताबिक, भारत की अर्थव्यवस्था में सुधार के स्पष्ट संकेत दिखने लगे हैं और आने वाले दिनों में इसके और बेहतर होने की उम्मीद जताई जा रही है।
दिसंबर तिमाही में तेज सुधार की संभावना
जर्मन ब्रोकरेज फर्म डॉयचे बैंक (Deutsche Bank) के अनुसार, 2024-25 की तीसरी तिमाही यानी अक्टूबर-दिसंबर में विकास दर में तेजी देखने को मिल सकती है और यह 6.2% तक पहुंचने की संभावना है। इस वृद्धि के पीछे ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार, सरकारी खर्च में बढ़ोतरी और निवेश गतिविधियों में आई गति को मुख्य कारण माना जा रहा है। हालांकि, इसमें यह भी कहा गया है कि विकास दर 7% के आंकड़े से नीचे रह सकती है, लेकिन फिर भी यह एक सकारात्मक संकेत है कि देश की अर्थव्यवस्था सुधार की दिशा में बढ़ रही है।
अप्रैल में हो सकता है EMI में कमी
आखिरकार, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से भी सकारात्मक खबरें आ रही हैं। डॉयचे बैंक के अनुसार, अप्रैल में ब्याज दरों में 0.25% की कटौती हो सकती है, जिससे अर्थव्यवस्था को और सपोर्ट मिलेगा। इसका असर आम लोगों के EMI पर भी पड़ेगा, जिससे उनके खर्चों में कमी आएगी और आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी। इस संभावित कटौती का उद्देश्य है कि ब्याज दरें सामान्य स्तर पर आएं और लोगों को आसान लोन उपलब्ध हो सके।
SBI और ICRA ने जताई ग्रोथ में तेजी की उम्मीद
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) की रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार, 2024-25 में जीडीपी ग्रोथ 6.3% रहने का अनुमान है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार और महंगाई में कमी से उपभोक्ता खर्च बढ़ा है, जिससे डिमांड में तेजी आ रही है। इसके अलावा, सरकारी खर्च में भी वृद्धि देखी गई है, जो अर्थव्यवस्था के सुधार के संकेत देता है।
वहीं, रेटिंग एजेंसी ICRA ने भी तीसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 6.4% रहने का अनुमान जताया है। इसके अनुसार, सरकारी खर्च और खपत में सुधार के कारण विकास दर में बढ़ोतरी हो सकती है। इसके अलावा, केंद्र और राज्य सरकारों के खर्च में वृद्धि और खनन, बिजली जैसे क्षेत्रों में सुधार देखा गया है, जिससे आर्थिक विकास को बढ़ावा मिल रहा है।