रांची : झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने चीफ जस्टिस की नियुक्ति के मामले में सुप्रीम कोर्ट (SC) का दरवाजा खटखटाया है। झारखंड सरकार का आरोप है कि केंद्र की सरकार कोलेजियम की सिफारिशों की अवमानना कर रही है। सोरेन सरकार चाहती है, केंद्र सरकार पर मामला दर्ज किया जाए। इसके लिए JMM सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है।
गौरतलब है कि इससे पहले भी झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति में देरी हो चुकी है। खबरों के अनुसार, देश के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने 19 सितंबर को इस बाबत अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि को सूचना दी। CJI ने उन्हें बताया कि झारखंड हाई कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति में देरी को लेकर अवमानना याचिका दायर की गई है।
यह याचिका राज्य की सकार ने केंद्र सरकार के खिलाफ दायर की है। इस मामले में चंद्रचूड़ ने कहा कि झारखंड सरकार ने अवमानना दायर की है। कल रात जब मैं घर के लिए निकल रहा था, तब मुझे इसकी सूचना मिली। इस मामले पर अटॉर्नी जनरल ने कहा कि उन्हें इस मामले की जानकारी नहीं है।
मामला क्या है
19 जुलाई के बाद से ही झारखंड में चीफ जस्टिस का पद खाली है। इस बात को लगभग दो महीने बीत गए है। फिलहाल जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश के तौर पर कार्यभार संभाल रहे हैं। सोरेन सरकार द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश पर एक माह से अधिक इस पद की जिम्मेदारी नहीं होनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने केंद्र सरकार को इस पद के लिए मध्य प्रदेश, मद्रास, जम्मू-कश्मीर समेत 8 राज्यों के हाई कोर्ट के जजों की सिफारिश भेजी थी। इस कोलेजियम में CJI के अलावा दो अन्य सदस्य भी हैं। कोलेजियम ने जस्टिस एम एस रामचंद्र राव को नियुक्त किए जाने की सिफारिश की थी।
15 दिन में ही रिटायर हो गए थे पिछले चीफ जस्टिस
झारखंड सरकार ने बताया कि पिछली बार भी चीफ जस्टिस की नियुक्ति में 7 माह की देरी हुई थी। ओडिशा हाई कोर्ट के जज B R सारंगी को चीफ जस्टिस बनाए जाने की सिफारिश 27 दिसंबर 2023 में की गई थी, जबकि निर्णय 3 जुलाई 2024 को आया। इसके कारण जस्टिस सारंगी 15 दिन में ही रिटायर हो गए और तब से यह पद खाली है।