रांची : स्वास्थ्य विभाग अब राज्य में हेल्थ सिस्टम को पटरी पर लाने में जुटा है। इसके लिए हर स्तर पर काम शुरू कर दिया गया है। प्राइवेट हॉस्पिटलों के सिस्टम को भी दुरुस्त करने की तैयारी है। इसके तहत अब 50 से कम बेड वाले हॉस्पिटलों को आयुष्मान योजना से बाहर कर दिया जाएगा। जल्द ही स्वास्थ्य विभाग इसे लेकर सर्कुलर जारी कर देगा। इतना ही नहीं, प्राइवेट हॉस्पिटलों पर सख्ती भी बरती जाएगी, ताकि प्राइवेट हॉस्पिटलों की मनमानी पर रोक लगाई जा सके। बता दें कि केवल रांची में छोटे-बड़े हॉस्पिटल-क्लिनिक की संख्या 700 से अधिक है।
नए सिरे से बनेंगे नियम
राजधानी में चल रहे 700 हॉस्पिटलों में ज्यादातर वैसे हॉस्पिटल और क्लिनिक हैं, जिनके पास 10-20 बेड हैं। इसमें से कई हॉस्पिटलों ने आयुष्मान योजना के तहत इंपैनल करा रखा था। वहीं मरीजों का इलाज कर विभाग से क्लेम भी ले रहे थे। अब जिनके पास 50 बेड की सुविधा होगी, उन हॉस्पिटलों को ही आयुष्मान से इंपैनल किया जाएगा। इसके बाद वे योजना के तहत मरीजों का इलाज कर सकेंगे। इसके लिए नए सिरे से इंपैनल करने की भी तैयारी विभाग कर रहा है।
आयुष्मान योजना से फ्री होता है इलाज
आयुष्मान योजना के तहत मरीजों का 5 लाख रुपये तक का इलाज मुफ्त है। वहीं झारखंड सरकार ने इसे बढ़ाकर 15 लाख रुपये तक कर दिया है। 5 लाख तक के इलाज के बाद मरीजों को झारखंड सरकार की योजना का लाभ मिलेगा। हालांकि कुछ बीमारियों का आयुष्मान योजना के तहत इलाज नहीं किया जाता है। ऐसे में उन बीमारियों का मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी योजना से इलाज किया जाता है।
क्लिनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट का पालन
राजधानी में चल रहे सभी हॉस्पिटलों को क्लिनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट का पालन करना होगा। इसके तहत रजिस्ट्रेशन से लेकर अन्य प्रक्रिया पूरी करनी होगी। इतना ही नहीं, मरीजों के इलाज में पारदर्शिता भी बरतनी होगी। स्वास्थ्य विभाग ने क्लिनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट के तहत सख्ती से नियमों का पालन कराने का निर्देश दिया है।
हॉस्पिटल संचालकों ने मांगी है छूट
प्राइवेट हॉस्पिटलों की मनमानी पर रोक लगाने के लिए विभाग क्लिनिकल इस्टैबलिशमेंट एक्ट का पालन कराने का निर्देश दिया है। इसके तहत सभी छोटे-बड़े हॉस्पिटल व क्लिनिक को क्लिनिकल इस्टैबलिशमेंट एक्ट के तहत रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य किया गया है। इस पर प्राइवेट हॉस्पिटल संचालकों ने सरकार से छूट की मांग की है। संचालकों का कहना है कि 50 से कम बेड वाले हॉस्पिटलों को क्लिनिकल इस्टैबलिशमेंट एक्ट के दायरे से बाहर रखा जाए। लेकिन, सरकार इसमें राहत देने के मूड में नहीं है।
Read Also- Rims : रिम्स के आउटसोर्सिंग कर्मियों का प्रदर्शन, छह महीने से वेतन न मिलने पर जताई नाराजगी