– जल प्रतिरोधी जूट को पानी से बचाने के लिए साइलेन आधारित कोटिंग का किया इस्तेमाल, ढाई वर्ष के शोध के बाद निकला बेहतर परिणाम
धनबाद : आपको याद होगा कि पहले अधिकतर अनाज जूट के बाेरे में आया करता था। बरसात या अन्य दिनों में इसके सड़ने और अनाज खराब होने की संभावना बनी रहती थी। इसके बाद प्लास्टिक का बोरा आ गया। यह जल्दी सड़ता नहीं है, इसलिए पर्यावरण के लिए भी खतरनाक है। आइआइटी आइएसएम ने ऐसा बायोडिग्रेडेबल जूट विकसित किया है जो न केवल अनाज को सड़ने से बचाएगा बल्कि पर्यावरण के लिहाज से भी अनुकूल होगा। जूट को पानी से बचाने के लिए साइलेन आधारित कोटिंग का प्रयोग किया गया है। ऐसे समय में जब ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को यथासंभव शून्य के करीब लाने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है, आइआइटी आइएसएम के शोधकर्ताओं ने जल प्रतिरोधी लेकिन बायोडिग्रेडेबल जूट विकसित किया है। इसमें खाद्यान्न आदि की पैकेजिंग के दौरान प्लास्टिक की बोरियों या बैगों की तुलना में कम कार्बन फुटप्रिंट है। आइआइटी आइएसएम के केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डा.आदित्य कुमार और इसी विभाग की रिसर्च स्कालर डा. पूनम चौहान ने ढाई वर्ष में शोध पूरा किया। इसके पेटेंट के लिए भी आवेदन कर दिया गया है। नए विकसित जूट का उपयोग इसके अतिरिक्त गुणों के कारण निर्माताओं, उद्योग मालिकों और ग्राहकों द्वारा किया जा सकता है। बिना किसी अतिरिक्त समय में इसे सरल विधि से तैयार किया जा सकता है। अभी नवविकसित जूट प्रयोगशाला के स्तर पर तैयार किया गया है। पेटेंट हो जाने के बाद हम बाद में व्यावसायीकरण कर सकते हैं।
70 रुपये प्रतिलीटर है कोटिंग सामग्री की कीमत
डा.आदित्य कुमार ने बताया कि फरवरी 2020 में इस प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू किया। जल प्रतिरोधी जूट को पानी से बचाने वाली क्रीम बनाने के लिए साइलेन आधारित कोटिंग का इस्तेमाल किया गया है। हमने नए जूट को विकसित करने के लिए सस्ती सामग्री का इस्तेमाल किया है। किसी भी परिष्कृत उपकरण का उपयोग किए बिना स्प्रेड के माध्यम से रासायनिक रूप से कोटिंग की गई। कोटिंग पर्यावरण के अनुकूल और बायोडिग्रेडेबल है। यह मानव स्वास्थ्य के पर्यावरण पर किसी भी नकारात्मक प्रभाव की संभावना को कम करती है। प्रो. कुमार ने स्पष्ट कहा कि लेपित जूट यांत्रिक रूप से टिकाऊ है और इसके अलावा कोटिंग जूट के वजन या मोटाई को भी प्रभावित नहीं करती है। पारंपरिक जूट की तुलना में जल प्रतिरोधी जूट के फायदों के बारे में भी विस्तार से बताया। जल प्रतिरोधी जूट स्वयं-सफाई गुण दिखाता है, जो दाग और धूल प्रदूषण को सुधारने में मदद कर सकता है।जूट से तैयार बैग का उपयोग अनाज को अत्यधिक नम वातावरण में नमी से बचाने के लिए किया जा सकता है। प्रो आदित्य ने बताया कि इसकी लागत काफी कम है। कोटिंग सामग्री की लागत लगभग 70 रुपये प्रति लीटर है।