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समंदर के अंदर भारत होगा और ताकतवर, नौसेना को मिलेगी 27 सबमरीन

by Rakesh Pandey
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चेन्नई: भारत अपनी नौसेना को मजबूत करने में लगा हुआ है। यही वजह है कि दुनियाभर में आज भारतीय सेनाओं का लोहा माना जा रहा है, आने वाले दिनों में इंडियन नेवी दुनिया की सबसे ताकतवर नौसेना में शामिल हो जाएगी। दरअसल जल्द ही भारतीय नौसेना को 27 सबमरीन मिलने जा रही है। जिसमें विश्व की सबसे शक्तिशाली पनडुब्बियां शामिल हैं। ये पनडुब्बियां परमाणु, बैलिस्टिक मिसाइल जैसे घातक हथियारों से लैस होंगी। यही वजह है कि इन्हें स्ट्रैटेजिक स्ट्राइक न्यूक्लियर सबमरीन कहा जाता है।

भारतीय नौसेना का असल मकसद 2035 तक अपने बेड़े में कम से कम 175 युद्धपोत को शामिल करने का है। इसके जरिए न केवल रणनीतिक बढ़त हासिल की जा सकेगी, बल्कि हिंद महासागर क्षेत्र में पकड़ भी बढ़ेगी। इसके अलावा लड़ाकू विमानों, एयरक्राफ्ट, हेलिकॉप्टर्स और ड्रोन्स की संख्या को भी बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा। भारतीय नौसेना हमारी सेना के तीनों अंगों में सबसे अधिक भारतीयकृत या आत्मनिर्भर है।

जानिए इन पनडुब्बियों के बारे में:

अरिहंत क्लास बैलिस्टिक मिसाइल सबमरीन भारत की सबसे बेहतरीन पनडुब्बियों में से एक है, इसमें 4 पनडुब्बियां हैं। फिलहाल 2 सर्विस में हैं, 1 हाल ही में लॉन्च हुई है जबकि 1 बन रही है। अरिहंत क्लास की सबमरीन में INS अरिहंत और INS अरिघट शामिल हैं। ये सभी परमाणु ईंधन संचालित पनडुब्बियां हैं। अरिहंत क्लास बैलिस्टिक मिसाइल सबमरीन के अलावा 3 S5 क्लास की बैलिस्टिक मिसाइल सबमरीन भी बनाई जाएंगी।

6 न्यूक्लियर पावर्ड अटैक सबमरीन भी बनेंगी:

भारत की 6 न्यूक्लियर पावर्ड अटैक सबमरीन बनाने की भी तैयारी है। इनमें वरुणास्त्र हैवी वेट टॉरपीडो होंगे. निर्भय, ब्रह्मोस और ब्रह्मोस-2 हाइपरसोनिक लैंड अटैक और एंटी-शिप क्रूज मिसाइलें लगी होंगी। कलवारी क्लास की 6 अटैक सबमरीन प्लान में थीं। 5 सेवा में है। साल के अंत तक छठी पनडुब्बी भी नौसेना में शामिल हो जाएगी। मिली जानकारी के अनुसार प्रोजेक्ट 75I में 6 सबरमीन बनेंगी। इसके साथ ही प्रोजेक्ट 75I क्लास में 6 अटैक सबमरीन भी बनाए जाएंगे। जो 3 से 4 हजार टन डिस्प्लेसमेंट की पनडुब्बियां होगी। जिन्हें एंटी-सरफेस वॉरफेयर, एंटी-सबमरीन वॉरफेयर, आईएसआर, स्पेशल ऑपरेशंस फोर्सेस के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। इसके अलावा प्रोजेक्ट 76 क्लास के तहत भी 6 अटैक सबमरीन बनाई जाएंगी।

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इस लिए ताकत को बढ़ाना जरूरी:

दरअसल IOR में चीन ने हिंद महासागर में जासूसी काफी बढ़ा दी है। चीन का रिसर्च शिप ‘शी यान 6’ कोलंबों पोर्ट पर आया है। जो वैज्ञानिक शोध के साथ ही दूसरे देशों की जासूसी भी करता है। खबर है कि यह शिप 3 महीने तक कोलंबो में रुकेगा। ऐसे में भारत को भी IOR में अपनी ताकत और ज्यादा बढ़ाने की जरूरत है।

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