जमशेदपुर: पूर्वी सिंहभूम जिले के सरकारी विद्यालयों में कार्यरत 160 शिक्षक दूसरे जिलों में भेजे जाएंगे। जिला शिक्षा विभाग ने अंतर जिला स्थानांतरण के लिए आए 248 शिक्षकों के आवेदन के स्क्रूटनी की प्रक्रिया पूरी करते हुए फाईनल सूची राज्य कार्यालय को भेज दी है। विभाग से मिली जानकारी के अनुसार अलग अलग कारणों से कुल 88 शिक्षकों के आवेदन को रद्द किया गया है। इसमें वैसे शिक्षक शामिल हैं जिनके विकलांगता प्रमाणपत्र जांच में फर्जी मिले थे।
अब स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग सभी जिलों से सूची लेकर एक साथ जिन शिक्षकों का स्थानांतरण होगा उसकी सूची जारी करेगा। मालूम हो कि स्थानांतरण की यह प्रक्रिया पिछले तीन महीने से चल रही है। स्थानांतरण के लिए आवेदन करने वाले शिक्षक जल्द से जल्द इस प्रक्रिया को पूरा करने की मांग कर रहे हैं। यह लगातार दूसरा साल है जब अंतर जिला शिक्षकों का स्थानांतरण हो रहा है। इससे पहले पिछले वर्ष कुल 166 शिक्षकों का अंतर जिला स्थानांतरण किया गया था।
शिक्षकों के स्थानांतरण से जिले में 1:60 पहुंच गया छात्र शिक्षक अनुपात:
जिले में शिक्षक-छात्र अनुपात बिगड़ने के बावजूद धड़ल्ले से हो रहा अंतर जिला स्थानांतरण, शिक्षा विभाग की पारदर्शिता पर उठे गंभीर सवाल शिक्षक संघों ने आरोप लगाया है कि शिक्षा के अधिकार कानून (आरटीई एक्ट) के तहत तय किए गए शिक्षक-छात्र अनुपात (पीटीआर) को ताक पर रखकर पूर्वी सिंहभूम जिला शिक्षा विभाग द्वारा बड़े पैमाने पर शिक्षकों का अंतर जिला स्थानांतरण किया जा रहा है। यह प्रक्रिया अब शंकाओं और आरोपों के घेरे में आ चुकी है। आंकड़ों पर नज़र डालें तो पिछले वर्ष कुल 166 शिक्षकों का अंतर जिला स्थानांतरण किया गया, जबकि जिले को इसके बदले में सिर्फ 37 नए शिक्षक ही प्राप्त हुए।
इसकी वजह से जिले में पीटीआर अनुपात 1:60 पर पहुंच गया है, जबकि आरटीई कानून के अनुसार 1 शिक्षक पर अधिकतम 40 छात्रों का अनुपात निर्धारित है। वहीं इस बार भी करीब 160 शिक्षकों का स्थानांतरण होने दूसरे जिले में स्थानांतरण के लिए आवेदन किया। इससे शिक्षकों की कमी से जूझ रहे जिले के विद्यालयों में शिक्षकों की भारी कमी उत्पन्न हो जाएगी है।
असाध्य रोग बन रहा है स्थानांतरण का ‘कॉमन ग्राउंड’
जांच में सामने आया है कि अधिकांश स्थानांतरित शिक्षकों ने एक जैसा असाध्य रोग (रीढ़ की गंभीर बीमारी) दर्शाया है। यह संयोग नहीं, बल्कि प्रक्रिया में मिलीभगत की आशंका को जन्म देता है। शिक्षक संघों का कहना है कि एक ही वर्ष में सौ से अधिक शिक्षकों के जीवनसाथी एक जैसी गंभीर बीमारी से ग्रसित हों? यदि हां, तो इसकी भी उच्चस्तरीय चिकित्सकीय जांच की जानी चाहिए। यदि नहीं, तो स्थानांतरण प्रक्रिया में फर्जीवाड़े की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। इस स्थिति का सीधा असर प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा पर पड़ रहा है। गांवों के स्कूलों में एक-एक शिक्षक को 60 से अधिक छात्रों की जिम्मेदारी उठानी पड़ रही है, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है।
स्थानीय शिक्षकों और अभिभावकों की मांग है कि:
:: स्थानांतरण प्रक्रिया की न्यायिक या प्रशासनिक जांच कराई जाए।
:: पीटीआर अनुपात को प्राथमिकता के आधार पर संतुलित किया जाए।
:: असाध्य रोग के नाम पर हो रहे मनमाने स्थानांतरण पर तत्काल रोक लगाई जाए।
:: स्थायी और पारदर्शी नीति के तहत ही स्थानांतरण किया जाए।
वर्जन:
शिक्षकों के अंतर जिला स्थानांतरण से पहले यह सुनिश्चित किया जाएगा की इस स्थानांतरण की वजह से कोई विद्यालय एकल शिक्षक वाले विद्यालय न हों। साथ ही जिस संख्या में यहां के शिक्षकों को दूसरे जिलों में स्थानांतरित किया जा रहा है उतने ही संख्या में दूसरे जिलों से भी शिक्षकों को यहां स्थानांतरित कर लाया जाएगा। क्योंकि पिछले वर्ष यहां जा जाने वाले शिक्षकों के अनुपात में बहुत कम शिक्षक यहां आए थे।
अरूण सिंह, जिला अध्यक्ष, झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ
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