Home » यह हमारा साैभाग्य है कि इस क्षेत्र में हिंदी को समर्पित एक अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का महोत्सव हो रहा है और हम उसका हिस्सा बन रहे हैं: सविता महताे

यह हमारा साैभाग्य है कि इस क्षेत्र में हिंदी को समर्पित एक अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का महोत्सव हो रहा है और हम उसका हिस्सा बन रहे हैं: सविता महताे

झारखंड में हिंदी के उत्थान में मील का पत्थर साबित हाेगा यह महाेत्सव: प्रभाकर सिंह

by Dr. Brajesh Mishra
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जमशेदपुर: ‘यह सौभाग्य है कि इस क्षेत्र में हिंदी को समर्पित एक अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का महोत्सव हो रहा है और हम सब इसका हिस्सा बन रहे हैं।’ यह बातें शुक्रवार काे श्रीनाथ विश्वविद्यालय में आयाेजित तीन दिवसीय श्रीनाथ अन्तर्राष्ट्रीय हिंदी महोत्सव के पहले दिन मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित विधायक सविता महताे ने कही। वहीं बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर प्रभाकर सिंह ने कहा कि ‘इस क्षेत्र में हिंदी के उत्थान में यह महाेत्सव बेहद ही उपयोगी साबित हाे रहा है। इसके जरिए नए साहित्यकार निकलकर सामने आ रहे हैं। साथ ही लाेगाें में हिंदी के प्रति नयी चेतना उभर रही है।’

दिनेश रंजन ने अपने वक्तव्य में कहा कि ‘भाषा जहां भाषाविदों के बीच एकता लाती है उस एकता को कोई तोड़ नहीं सकता। हिंदी हमारा सम्मान, अभिमान और पहचान है।’ विवि के कुलाधिपति सुखदेव महतो ने कहा कि ‘अन्तर्राष्ट्रीय हिंदी महोत्सव हिंदी भाषा के लिए एक छोटा सा प्रयास है और हमारी यह कोशिश होती है कि इस महोत्सव के द्वारा हम देश-विदेश के विद्वानों को एक मंच पर ला सके साथ ही विद्यार्थियों को विभिन्न प्रतियोगिताओं से जोड़े ताकि उनका भाषा का ज्ञान भी बढ़े और तकनीक से भी वे खुद को जोड़ सके।’

पूर्व कुलपति डॉ गोविंद महतो ने कहा कि विभिन्न विश्वविद्यालय से आए छात्र-छात्राएं अलग-अलग प्रतियोगिताओं में हिस्सा बनेंगे। हिंदी भारत को शैक्षणिक और सांस्कृतिक रूप से एक धागे में पिरोती है। हिंदी एक वैज्ञानिक भाषा है और हमें अपनी भाषा पर गर्व होना चाहिए । इससे पहले महाेत्सव की शुरुआत अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलित कर की। माैके पर संस्थापक शंभू महतो, संध्या महतो, विश्वविद्यालय के कुलाधिपति सुखदेव महतो, जीयाडा के निर्देशक दिनेश रंजन, विश्वविद्यालय के वरिष्ठ सलाहकार कौशिक मिश्रा, वक्ता सदानंद शाही, विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो डॉ एसएन सिंह, आस्तिक महताे आदि उपस्थित थे।

कार्यक्रम के पहले दिन साहित्यिक व अकादमी संवाद ये सवाल पूछा गया

साहित्यकार कुमुद शर्मा से सवाल: पहले और वर्तमान के लेखकों के लिए आज देश में जो स्थिति है आप उसमें क्या अंतर है?
जवाब: पहले के समय में और आज के लेखकों के समय में काफी अंतर है और यह अंतर स्पष्ट दिखाई पड़ता है जो पहले लेखकों की जो स्थिति थी वह स्थिति आज नहीं है क्योंकि पाठक अब उन्हें प्रकाशकों का जो प्यार मिल रहा है शायद पहले वह नहीं मिल पाता था।


मोर्जुम लोई से सवाल: पूर्वाेत्तर भारत का हाेते हुए भी भोजपुरी भाषा को अपने शोध कार्य के लिए क्यों चुना?

जवाब: मेरी भोजपुरी में रुचि रही है और कुछ लोक गायक ऐसे हैं जिन्हें मैं बहुत पसंद करती हूं शायद यही वजह थी कि मैं भोजपुरी लोकगीतों को अपने शोध कार्य के लिए चुना।

साहित्यकार दिव्या माथुर से सवाल: लंदन में हिंदी भाषा के प्रति वहां के लोगों की क्या सोच है क्या हिंदी भाषा को लेकर युवाओं के लिए रोजगार के अवसर हैं?
जवाब: लंदन में लोग हिंदी भाषा एवं भारतीय संस्कृति को बहुत पसंद करते हैं इसलिए रोजगार के कई अवसर यूनाइटेड किंगडम में भी हिंदी भाषा के जानकारों के लिए उपलब्ध है।

सदानंद शाही से सवाल: क्या वजह है कि आज का युवा किताबों से दूर हो रहा है?
जवाब: ऐसी बात नहीं है कि सभी युवा किताबों से दूर हो रहे हैं बल्कि आज का युवा ज्यादा सचेत हो चुका है और तकनीक को लेकर बहुत आगे बढ़ चुका है। जो हमारे समय में युवाओं को उपलब्ध नहीं था वह तकनीक आज उनके साथ है इसलिए आज का युवा बहुत तेजी से आगे बढ़ने के लिए भी तैयार है ।

महाेत्सव के पहले दिन ये प्रतियोगिताएं आयाेजित हुईं


हास्य कवि सम्मेलन व्यक्तित्व झांकी, मुद्दे हमारे विचार आपके ,नुक्कड़ नाटक, मुखड़े पर मुखड़ा एवं लिखो कहानी जैसी प्रतियोगिताएं आयोजित हुई।
इसमें आशु किस्कू रवि किस्कू मेमोरियल काॅलेज, अरका जैन विश्वविद्यालय, करीम सिटी कॉलेज, साइनाथ विश्वविद्यालय, जेकेएस कॉलेज इत्यादि विद्यार्थियों ने विभिन्न प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया।

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