Jamshedpur (Jharkhand) : कोल्हान विश्वविद्यालय का अंगीभूत जमशेदपुर वर्कर्स कॉलेज, जो शहर के हृदयस्थल में स्थित है, इन दिनों अपनी जर्जर इमारत के कारण सुर्खियों में है। पर्याप्त छात्र संख्या और अच्छी शैक्षणिक गतिविधियों के बावजूद, कॉलेज भवन की बदहाल अवस्था शिक्षकों और विद्यार्थियों दोनों के लिए गंभीर चिंता का विषय बन गई है। स्थिति इतनी बिगड़ चुकी है कि आए दिन छत से प्लास्टर के बड़े-बड़े टुकड़े या छज्जे गिरने की घटनाएं आम होती जा रही हैं। वहीं कॉलेज परिसर और भवन के अंदर जहरीले सांप भी रेंगते देखे जा रहे हैं। इससे छात्रों में भय और कॉलेज प्रशासन की चिंता और भी बढ़ गई है।
कभी भी हो सकती है अप्रिय घटना
शहर के अलावा जिले के दूरदराज के प्रखंडों जैसे पटमदा, बांगुड़दा और घाटशिला से भी छात्र-छात्राएं यहां शिक्षा ग्रहण करने आते हैं। पढ़ाई और छात्र संख्या के मामले में यह कॉलेज किसी से पीछे नहीं है, लेकिन कॉलेज भवन की खस्ता हालत कभी भी किसी अप्रिय घटना का कारण बन सकती है। चौंकाने वाली बात यह है कि कॉलेज प्रशासन द्वारा कोल्हान विश्वविद्यालय प्रशासन से लेकर राज्य के मानव संसाधन विकास विभाग (HRD) तक कई बार पत्राचार किया जा चुका है, लेकिन भवन की मरम्मत के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
पहले भी हो चुकी हैं प्लास्टर और छज्जे गिरने की घटनाएं
यह कोई नई बात नहीं है कि कॉलेज भवन की छत का प्लास्टर टूटकर गिरा हो। पूर्व में भी परीक्षाओं और कक्षाओं के दौरान ऐसी घटनाएं सामने आ चुकी हैं। इसके अलावा, कॉलेज के छज्जे भी गिर चुके हैं। ताजा घटना दो दिन पहले हुई, जब कॉलेज भवन के प्रवेश द्वार के पास के छज्जे का प्लास्टर अचानक टूटकर गिर गया। गनीमत यह रही कि उस समय वहां कोई छात्र, शिक्षक या कर्मचारी मौजूद नहीं था, अन्यथा कोई बड़ा हादसा हो सकता था।
कॉलेज प्रशासन बेबस, विश्वविद्यालय ने झाड़ा पल्ला
जमशेदपुर वर्कर्स कॉलेज के प्राचार्य डॉ. एसपी महालिक ने बताया कि कॉलेज भवन की जर्जर स्थिति और आए दिन प्लास्टर आदि गिरने की घटनाओं की जानकारी विश्वविद्यालय प्रशासन को कई बार दी जा चुकी है। एचआरडी विभाग को भी इस बारे में लिखा गया है, लेकिन अभी तक स्थिति जस की तस बनी हुई है। वहीं, कोल्हान विश्वविद्यालय के सीसीडीसी डॉ. आरके चौधरी का कहना है कि छोटे-मोटे मरम्मत कार्यों के लिए कॉलेज के ए अकाउंट से राशि ट्रांसफर की जाती है, जिससे मरम्मत कराई जा सकती है। लेकिन वर्कर्स कॉलेज का पूरा भवन ही जर्जर हो चुका है। ऐसे में यदि कॉलेज विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) बनाकर देता है, तो आगे की प्रक्रिया शुरू की जाएगी, ताकि इस समस्या का समाधान हो सके।