जमशेदपुरः झारखंड का औद्योगिक शहर जमशेदपुर अब स्टील उत्पादन के साथ नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में भी पहचान बना रहा है। इस दिशा में शिक्षण संस्थान अच्छी पहल करते हुए दिख रहे हैं। शहर के कई कॉलेजों ने सौर ऊर्जा को अपनाया है। इससे न केवल पर्यावरण संरक्षण में मदद मिली है, बल्कि बिजली बिल भी आधा हो गया है।
इन कॉलेजों की छतों पर लगे संयंत्र उत्पादित कर रहे ऊर्जा
को-ऑपरेटिव, वर्कर्स, एबीएम और एलबीएसएम कॉलेज ने अपनी छतों पर सोलर पैनल लगाए हैं। इन कॉलेजों में 50 किलोवाट तक की क्षमता वाले सौर संयंत्र लगे हैं। ये संयंत्र रोज सैकड़ों यूनिट बिजली का उत्पादन कर रहे हैं। कॉलेज प्रशासन के मुताबिक, सौर ऊर्जा के उपयोग से बिजली बिल में 40 से 60 प्रतिशत तक की कमी आई है। पहले मासिक बिजली बिल 20,000 से 3 लाख रुपये तक आता था। अब यह घटकर 10,000 से 1.5 लाख रुपये रह गया है।
सरकारी सब्सिडी ने काम किया आसान
यह परियोजना झारखंड सरकार की सौर ऊर्जा नीति और केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के तहत संचालित हो रही है। सरकार द्वारा दी जा रही 100 प्रतिशत सब्सिडी से कॉलेजों के लिए सोलर पैनल लगाना आसान हो गया है। को-ऑपरेटिव कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. अमर सिंह ने बताया कि सौर ऊर्जा ने खर्च कम करने के साथ छात्रों को नवीकरणीय ऊर्जा का महत्व समझाने में भी मदद की है। कॉलेज इसे पाठ्यक्रम में शामिल करने की योजना बना रहा है।
ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की पहल
सौर ऊर्जा की इस पहल ने जमशेदपुर के कॉलेजों को आत्मनिर्भर बनाया है। हालांकि, कुछ कॉलेजों में ऑन-ग्रिड सिस्टम के कारण बिजली बैकअप की कमी एक चुनौती बनी हुई है। विशेषज्ञों का कहना है कि हाइब्रिड इनवर्टर लगाने से इस समस्या का समाधान हो सकता है। साथ ही शहर को हरित भविष्य की ओर बढ़ाने में भी योगदान दिया है।
एलबीएसएम कॉलेज होगा 100 प्रतिशत ग्रीन कैंपस:
शहर का एलबीएसएम कॉलेज सोलर पावर स्टेशन लगाने में अन्य सभी कॉलेजों से आगे है। यहां के छह भवनों पर 2015 केवी के सोलर पैनल लगाए गए हैं। इसमें से 100 केवी के पैनल से बिजली उत्पादन हो रहा है। इससे कॉलेज की कुल बिजली खपत का 60 प्रतिशत पूरा किया जा रहा है। शेष 115 केवी के बिजली उत्पादन अगले महीने शुरू हो जाएगा। इसके बाद यह 100 प्रतिशत ग्रीन एनर्जी यूज करने वाला कॉलेज बन जाएगा। इतना ही नहीं, उपयोग करने के बाद जो शेष बिजली बचेगी उसे बिजली विभाग को भी बेचा जा सकेगा।
तीन की जगह डेढ़ लाख हुआ को-ऑपरेटिव कॉलेज का बिल
को-ऑपरेटिव कॉलेज की बिल्डिंग में सबसे अधिक तीन भवनों पर 50-50 केवी के सोलर पैनल लगाए गए हैं। वहीं तीन लाईब्रेरी, साइंस भवन व मल्टीपर्पज भवन पर सोलर पैनल लगाए जाने की योजना है। कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ अमर सिंह ने बताया कि पहले इस कॉलेज का मासिक बिजली बिल 3 से सवा तीन लाख रुपए आता था। जब से सोलर पैनल लगाए गए हैं डेढ़ लाख रुपए हो गया है। उन्होंने बताया कि कॉलेज के जो शेष तीन भवन हैं अगर उन भवनों की छतों पर सोलर पैनल लग जाएगा तो बिजली बिल शून्य के स्तर पर पहुंच सकता है। इससे हर महीने लाखों रुपए की वचत हो जाएगी।
गैर कंपनी क्षेत्र के कॉलेज में अब नहीं कटती बिजली:
सोलर पैनल लगाने का सबसे अधिक फायदा शहर के उन कॉलेजों हुआ है जो गैर कंपनी क्षेत्र में स्थित हैं। मानगो स्थित वर्कर्स कॉलेज भी इनमें है। यहां पहले गर्मियों के दिन में क्लास के दौरान बिजली कट जाना आम बात थी। इससे छात्रों, शिक्षकों व कर्मचारियों को परेशानी होती थी। कामकाम पर भी असर पड़ता था। लेकिन पिछले वर्ष इस कॉलेज में सोलर पैनल लगने के बाद एक दिन बिजली नहीं गयी है।
किस कॉलेज में कितनी हो रही बिजली की बचत:
कॉलेज बिजली बिल (पहले) बिजली बिल (अब)
को ऑपरेटिव कॉलेज: 315000, 150000
एबीएम कॉलेज: 22000, 12000
वर्कर्स कॉलेज: 15000, 2500
एलबीएसएम कॉलेज: 3500, 15000
बिजली में पूरी तरह आत्मनिर्भर होगा एलबीएसएस कॉलेज
जमशेदपुर स्थित एलबीएसएम कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ एके झा बताते हैं, ‘मेरा कॉलेज 100 प्रतिशत ग्रीन एनर्जी यूज करने वाला राज्य का पहला कॉलेज बनने जा रहा है। यहां 215 केवी के सोलर पैनल लगाए गए हैं। इसमें 100 केवी बिजली का उत्पादन हो रहा है। जबकि शेष 115 केवी का उत्पान अगले महीने से होने लगेगा। इसका ट्रायल चल रहा है। इसके शुरू होने पर हम बिजली की अपनी जरूरत को पूरा करने के साथ ही बिजली विभाग को भी अतिरिक्त बिजली दे पाएंगे। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अब परिसर में 24 घंटे बिजली रहती है।