जमशेदपुर : झारखंड की बेटी को अर्जुन अवॉर्ड मिलना वाकई में एक गौरव भरा क्षण है। सलीमा टेटे, झारखंड के सिमडेगा जिले के बड़की छापर गांव से लेकर एक बड़े अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट के फाइनल तक का सफर बॉलीवुड की किसी पटकथा से कम नहीं रहा है। 22 वर्षीय टेटे का जन्म एक किसान परिवार में हुआ था। उनके पिता (सुलक्षण टेटे) एक किसान होने के साथ-साथ पूर्व हॉकी खिलाड़ी भी रह चुके है। पिता ने ही उनका परिचय हॉकी से कराया, उनके जुनून को प्रज्वलित किया और उनके जीवन को बदल दिया। शुरूआत में उनके पिता ने शरीफा के पेड़ की लकड़ियों से हॉकी स्टिक बनाकर उनकी प्रैक्टिस शुरू की।
माता-पिता का जीवन भर आभारी रहूंगी
सलीमा खुद कहती हैं, मैं एक छोटे से गांव से आती हूं और मेरे लिए टीम इंडिया का नेतृत्व करने का मौका एक महत्वपूर्ण उपलब्धि रही है। मेरे माता-पिता एक किसान हैं, उन्होंने हमेशा तमाम संघर्षों के बावजूद मेरा साथ दिया है। मैं दृढ़ता से मानती हूं कि सब कुछ एक कारण से होता है। मैं अपने माता-पिता के समर्थन के लिए उनकी आभारी हूं।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी यात्रा के बारे में बताते हुए, सलीमा कहती है, शुरुआती दौर में, मेरे पास हॉकी स्टिक भी नहीं थी और लकड़ी के साथ अभ्यास करना पड़ता था। समय के साथ, मेरे पिता ने मेरी पहली हॉकी स्टिक खरीदने के लिए पैसे बचाए, तब जाकर पहली हॉकी स्टिक आ पाई।
सलीमा की चार बहनें और एक भाई है। इनमें से सलीमा की बहन महिमा टेटे भी हॉकी प्लेयर है। हमेसा मां के हाथ का खाना पसंद करने वाली सलीमा अकसर टुर्नामेंट के बाद घर आकर मां के हाथ का राजमा-चावल खाना पसंद करती है।
अपने संघर्षों की दास्तां को साझा करते हुए सलीमा ने कई बार कहा है कि मेरे माता-पिता ने कभी भी अपनी कठिनाइयों को मेरे साथ साझा नहीं किया। मेरे पिता ने हमेशा सुनिश्चित किया कि वह मेरी जरूरतों को पूरा करे। मेरे सपनों को आगे बढ़ाने के लिए उनके द्वारा किए गए बलिदानों को कभी नहीं भूलूंगी। उनका बलिदान मुझे हर दिन कड़ी मेहनत करने के लिए प्रेरित करता है।
रेलवे से भी मिल चुका है ऑफर
2021 में भारतीय रेलवे की ओर से सलीमा को क्लास थर्ड कर्मचारी की जॉब भी ऑफर हो चुकी है। उन्होंने साउथ इस्टर्न रेलवे में जॉब और रेलवे स्पोर्टस प्रोमोशन बोर्ड हॉकी टीम दोनों को ज्वाइन किया। वो भारत की ओर से दो साल के लिए 2023 में एशियन हॉकी फेडरेशन एथलीट अंबेसडर भी अप्वाइंट हो चुकी है। इसके तहत उनका रोल इंटरनेशनल एथलीट को रिप्रेजेंट करना, उनके ग्रोथ के लिए काम करना और उनकी वकालत करना है।
कोच ने दी प्रेरणा
सिमडेगा हॉकी अकादमी के पूर्व अध्यक्ष मनोज कोनबेगी ने टेटे की प्रतिभा को पहली बार एक स्थानीय टूर्नामेंट के दौरान देखा। उन्होंने ही सलीमा के परिजनों को राजी किया और सिमडेगा प्रोफेशनल हॉकी प्रोग्राम में इनरोल करने के लिए राजी किया। बाद में कोच प्रतिमा बरवा के मार्गदर्शन में उनका हुनर निखरता गया। सलीमा बताती है कि इस पूरी यात्रा में कई लोगों ने मुझे प्रेरित किया और मेरा समर्थन किया जिसमें मनोज कोनबेगी और कोच प्रतिमा बरवा शामिल है। बरवा पूर्व खिलाड़ी रह चुकी है, लेकिन चोट के कारण खेल छोड़ना पड़ा।
16 की उम्र से की शुरूआत
2017 में महज 16 साल की उम्र मेंसलीमा ने बेलारूस के खिलाफ राष्ट्रीय शुरुआत की और जल्दी ही अपने कौशल के दम पर पहचान हासिल की। फिर, 2018 में, उन्होंने ब्यूनस आयर्स में युवा ओलंपिक में जूनियर महिला हॉकी टीम को रजत पदक दिलाया। 2020 में टोक्यो ओलंपिक में भारतीय महिला हॉकी टीम के ऐतिहासिक चौथे स्थान पर रहने और एफआईएच हॉकी महिला प्रो लीग (2021-22) में तीसरे स्थान पर रहने में भी सलीमा ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सलीमा 2020 के ओलंपिक में भाग लेने वाली झारखंड की दूसरी महिला हॉकी खिलाड़ी बनीं, इससे पहले निक्की प्रधान ने भी ओलंपिक में अच्छा प्रदर्शन किया था। उनकी उपलब्धि उनके गृह राज्य में युवा एथलीटों को प्रेरित करती है।
जूनियर्स को भी देती है सीख
मैं अपने जूनियर्स को स्वतंत्रता और धैर्य के साथ खेलने के लिए मार्गदर्शित करती हूं। खेल के दौरान प्रेशर को संभालना महत्वपूर्ण है और मैं हमेशा उन्हें अपनी चुनौतियों को एक-दूसरे के साथ बांटकर शांत रहने और तनाव से निपटने की सलाह देती हूं। मिडफील्डर खेलने वाली सलीमा ने बताया कि जब मैंने शुरूआत की, तब सीनियर खिलाड़ियों ने मेरा मार्गदर्शन किया। उनके समर्थन ने मुझे सिखाया कि उम्मीदों को कैसे संभालना है।
अपने प्रभावशाली टूर्नामेंट रिकॉर्ड के अलावा, सलीमा को आगामी प्लेयर ऑफ द ईयर (महिला अंडर 21) के लिए हॉकी इंडिया की ओर से साल 2021 में असुंता लकड़ा अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था और 2023 में उन्हें प्रतिष्ठित हॉकी इंडिया बलबीर सिंह सीनियर पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
सलीमा का जीवन मंत्र
मैं अपने माता-पिता और अपने कोचों के लिए सब कुछ ऋणी हूं। उनका समर्थन मेरी सबसे बड़ी ताकत रही है। यदि आप ईमानदारी के साथ कड़ी मेहनत करते हैं, तो भगवान आपको सफल होने में मदद करेंगे।