जमशेदपुर : झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने राज्य की शिक्षा व्यवस्था को सुधारने और उसे गुणवत्तापूर्ण बनाने के लिए कई अहम फैसले लिए हैं। शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन ने मंगलवार को विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक की और राज्य में शिक्षा के क्षेत्र में सुधार की दिशा में कई महत्वपूर्ण पहल की।
मातृभाषा में शिक्षा देने की योजना
मंत्री ने कहा कि राज्य में मातृभाषा में शिक्षा देने की दिशा पर ध्यान केंद्रित किया जाए। उन्होंने विभाग के अधिकारियों से कहा कि जो भी जनजातीय और क्षेत्रीय भाषाएं उपलब्ध हैं, उनके लिए एक प्रस्ताव तैयार किया जाए, ताकि बच्चों को उनकी मातृभाषा में शिक्षा दी जा सके। मंत्री ने बताया कि विधानसभा सत्र के बाद इस मुद्दे पर फिर से बैठक होगी और अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
शिक्षकों की नियुक्ति और प्रशिक्षण पर जोर
मंत्री रामदास सोरेन ने शिक्षकों की नियुक्ति पर भी जोर दिया और कहा कि जिन पदों पर शिक्षक की भर्ती नहीं हो पाई है, उन पर जल्द से जल्द नियुक्ति की जाए। उन्होंने यह भी कहा कि हेमंत सोरेन की पिछली सरकार द्वारा किए गए निर्णयों और घोषणाओं को जल्द लागू किया जाए। पारा शिक्षकों, बीआरपी-सीआरपी, और कस्तूरबा विद्यालयों की शिक्षिकाओं की समस्याओं का समाधान भी शीघ्र किया जाएगा।
स्कूली छात्रों के लिए योजनाओं का विस्तार
मंत्री ने स्कूली छात्रों के लिए कई योजनाओं का ऐलान किया। उन्होंने अधिकारियों को आदेश दिया कि पोशाक, किट, साइकिल आदि छात्रवृत्तियों के तहत शीघ्र उपलब्ध कराए जाएं। इससे छात्रों को उनकी पढ़ाई में सहारा मिलेगा और उनके स्कूल जाने की स्थिति बेहतर होगी। अधिकारियों ने इस बैठक में शिक्षा विभाग द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न योजनाओं की प्रगति की जानकारी भी दी।
बंद स्कूलों को फिर से खोले जाने की योजना
पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के कार्यकाल में जो स्कूल मर्ज किए गए थे और बंद कर दिए गए थे, उन सभी स्कूलों को शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन द्वारा पुनः खोला जाएगा। उनका मानना है कि इन बंद विद्यालयों के खुलने से बच्चों को उनके आवास के पास ही शिक्षा मिल सकेगी, और इससे शत-प्रतिशत छात्र विद्यालयों से जुड़ सकेंगे। यह कदम आरटीई 2009 के अनुपालन में भी एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।
शिक्षकों के प्रशिक्षण पर ध्यान
मंत्री ने कहा कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा केवल तब संभव है, जब शिक्षक प्रशिक्षित हों और उन्हें नए-नए बदलावों से अवगत कराया जाए। उन्होंने कहा कि शिक्षकों की क्षमता बढ़ाने के लिए उनका नियमित प्रशिक्षण कराया जाए और उन्हें शिक्षा के क्षेत्र में हो रहे नए बदलावों से अवगत किया जाए।