Ranchi : झारखंड में आबकारी सिपाही भर्ती परीक्षा के दौरान हुई 12 प्रतिभागियों की मौत के मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने गंभीर संज्ञान लिया है। इस संबंध में आयोग ने झारखंड सरकार के गृह विभाग के विशेष सचिव को चार सप्ताह के भीतर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है।
शिकायत पर हुई कार्रवाई
यह कार्रवाई जमशेदपुर के समाजसेवी दीपक कुमार की शिकायत पर की गई है। दीपक कुमार ने इसे युवाओं के अधिकारों का उल्लंघन बताते हुए आयोग को पत्र भेजा था, जिसमें उन्होंने भर्ती प्रक्रिया की कठोरता और लापरवाही को मौतों का कारण बताया।
शारीरिक परीक्षा के दौरान बिगड़ी थी सैकड़ों प्रतिभागियों की हालत
घटना वर्ष 2024 के अगस्त और सितंबर महीने की है, जब झारखंड के सात केंद्रों पर आबकारी सिपाही की भर्ती के लिए शारीरिक दक्षता परीक्षा आयोजित की गई थी। इनमें से छह केंद्रों पर 12 युवाओं की मौत हो गई, जबकि लगभग 400 प्रतिभागियों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। रिपोर्ट्स के अनुसार, इस दौड़ में कुल 1,27,572 उम्मीदवारों ने भाग लिया था।
कठोर मानकों पर उठे सवाल
शिकायतकर्ता दीपक कुमार ने एनएचआरसी को बताया कि 10 किलोमीटर की दौड़ जैसे कठोर मानकों को भर्ती का आधार बनाना असंवेदनशील निर्णय था। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने प्रतिभागियों के स्वास्थ्य परीक्षण (हार्ट, ब्लड प्रेशर आदि) की कोई समुचित व्यवस्था नहीं की थी। साथ ही, इतनी बड़ी घटना के बाद भी शारीरिक परीक्षा के पैटर्न में कोई बदलाव नहीं किया गया, जो दुर्भाग्यपूर्ण है।
आयोग ने रिपोर्ट मांगी, भविष्य की योजना पर भी जवाब तलब
एनएचआरसी के सहायक रजिस्ट्रार (विधि) अतुल कुमार द्वारा जारी पत्र में झारखंड सरकार से 4 जुलाई तक विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है। आयोग ने यह भी पूछा है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए सरकार ने क्या नीतिगत कदम उठाए हैं।
युवाओं की मौत पर गहरा सवाल
दीपक कुमार ने कहा कि, “अगर नौकरी की चाह में युवाओं को अपनी जान गंवानी पड़े, तो यह सरकार और व्यवस्था के लिए शर्मनाक स्थिति है। सरकार को चाहिए कि वह मानवीय संवेदनाओं को ध्यान में रखते हुए भर्ती प्रक्रिया को सुरक्षित और न्यायसंगत बनाए।”