Home » ‘टाइगर’ की दहाड़ पर लगा समय का पहरा

‘टाइगर’ की दहाड़ पर लगा समय का पहरा

by Rakesh Pandey
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Follow Now

जमशेदपुर : Jharkhand former CM Champai Soren :   झारखंड में उठा सियासी बवंडर लगातार शिफ्ट कर रहा है। सत्ताधारी गठबंधन से जुड़ी पार्टी कांग्रेस के नेताओं की मानें तो भाजपा कोल्हान टाइगर कहे जाने वाले चम्पाई सोरेन के कंधे पर झारखंड में ऑपरेशन लोटस को अंजाम देने की तैयारी में थी।

अब दावा किया जा रहा है कि समय से पहले फैली राजनीतिक सनसनी ने टाइगर की दहाड़ पर समय का पहरा लगा दिया है। जिस कंधे पर पूरे ऑपरेशन की जिम्मेदारी थी, वह कंधा दस से बारह विधायकों का भार नहीं उठा सका। शनिवार तक मीडिया से बातचीत में जहां हूं, वहीं हूं… की ताल ठोंकने वाले पूर्व मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन के सुर दिल्ली पहुंचते ही बदल गए। उन्होंने पार्टी में अपने साथ हुई नाइंसाफी को लेकर लंबा पोस्ट लिखा, लेकिन चम्पाई सोरेन इस कवायद के बावजूद अपने करीबी विधायकों में यह विश्वास ही नहीं पैदा कर सके कि झामुमो छोड़कर भाजपा में जाना सबके लिए बेहतर होगा।

नतीजा यह हुआ कि चम्पाई सोरेन की गाड़ी ऑपरेशन लोटस के ऐसे कीचड़ में फंस गयी, जहां से आगे बढने पर अब कुछ खास फायदा होता नहीं दिख रहा और पीछे लौटना भी मुश्किल हो रहा है। अब सबकी निगाहें टाइगर के अगले कदम पर लगी हैं।

Jharkhand former CM Champai Soren : कुछ ऐसी थी पूरी योजना

राजनीतिक विश्लेषकों का अनुमान है कि दरअसल कोल्हान टाइगर के कंधे पर भाजपा ने बड़ा दांव लगाया था। सबकुछ योजना के अनुसार ही चल रहा था। चम्पाई गुपचुप तरीके से पहले कोलकाता पहुंचे। वहां रात भर होटल में रूके। पश्चिम बंगाल में भाजपा के बडे नेता शुभेंदु अधिकारी से मिले। वहां से फिर दिल्ली पहुंचे। दिल्ली पहुंचते ही घर से जेएमएम का झंडा गायब, सोशल मीडिया अकाउंट से जेएमएम का सिंबल गायब।

इसके बाद जनता के नाम लंबा-चौडा पत्र लिखा, जिसमें कहा कि वे झारखंड मुक्ति मोरचा में अपमानित महसूस कर रहे हैं। यह सारा कुछ उनके प्लान के मुताबिक ही हो रहा था,लेकिन अगर प्लान के मुताबिक कुछ नहीं हुआ तो वह यह कि जिन विधायकों को झारखंड मुक्ति मोर्चा से तोड़ कर भाजपा में शामिल कराने वाले थे, उन विधायकों ने अगली सुबह दिल्ली की फ्लाइट नहीं पकड़ी।

चम्पाई सोरेन दिल्ली में इंतजार करते रह गए, लेकिन झारखंड का कोई विधायक नहीं पहुंचा। राजनीतिक कयासों के बीच खरसावां से जेएमएम के विधायक दशरथ गागराई ने तो बाकायदा अपने लेटरपैड पर यह लिख कर जारी किया कि वे कहीं नहीं जा रहे हैं।

उन्होंने तो यहां तक कहा कि आधी रोटी खाएंगे, गुरुजी शिबू सोरेन का मान बढ़ाएंगे। इसी प्रकार समीर मोहंती ने कहा कि गुरुजी शिबू सोरेन उनके राजनीतिक गुरु और झारखंड मुक्ति मोर्चा उनकी राजनीतिक पाठशाला है। वह कहीं नहीं जा रहे हैं।

इसी प्रकार रामदास सोरेन, मंगल कालिंदी समेत अन्य सभी विधायकों ने सफाई दी कि वह चम्पाई सोरेन की राह नहीं पकड रहे हैं। ऐसे में चम्पाई सोरेन ने दूसरे विधायकों के भरोसे जो राजनीतिक गुब्बारा फुलाया था, वह गुब्बारा हवा में उड़ने से पहले ही लीक कर गया।

Jharkhand former CM Champai Soren : अब बचा सीमित विकल्प

अब अगर चम्पाई सोरेन अकेले भाजपा में जाते हैं तो वहां पार्टी के सामने अपनी शर्त रखने जैसी मजबूत स्थिति में नहीं होंगे। भाजपा पहले ही बाबूलाल मरांडी को बड़े आदिवासी चेहरे के तौर पर पार्टी में शामिल करा चुकी है। मरांडी की अध्यक्षता में ही वह अगला विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। इसके अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा,  नीलकंठ सिंह मुंडा जैसे नेता पार्टी के पास पहले से मौजूद हैं। चम्पाई के सामने अब सीमित विकल्प बचे हैं। उन्हें भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के समक्ष यह बताना होगा कि प्रदेश की आदिवासी बहुल 28 सीटों पर वह पार्टी के लिए नया वोट बैंक तैयार करने में सक्षम हैं।

पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिली हार के पीछे यह बड़ी वजह रही थी। फिलहाल कोल्हान टाइगर यानी चम्पाई सोरेन राजनीति के चौराहे पर खड़े हैं। अगर वह भाजपा के साथ आगे बढ़ते हैं तो यह स्पष्ट है कि भाजपा उन्हें सीएम का चेहरा नहीं बनाएगी, वह साधारण विधायक की हैसियत से भाजपा में शामिल होंगे।

अगर वह पीछे आते हैं और कहते हैं कि भाजपा में जाने का कोई सवाल ही नहीं, बस मन की पीड़ा थी, जिसे जाहिर किया और इस स्थिति में अगर वह फिर झारखंड मुक्ति मोर्चा की तरफ ही मुड़ते हैं तो पार्टी उन पर एतबार नहीं करेगी। उनका वह कद नहीं रहेगा, जो अब तक रहा था।

तीसरे विकल्प के रूप में उन्हें कुछ भरोसेमंद साथियों को जोड़ कर नया संगठन तैयार करना होगा। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले शायद ही कोई नेता बड़ा दल छोड़ कर चम्पाई के साथ चलने को तैयार होगा। चौथा और अंतिम रास्ता, जिसका जिक्र उन्होंने अपने पत्र में किया है, वह राजनीति से संन्यास लेने का है। चम्पाई शायद ही अपने कॅरियर के इस मोड़ पर इतना कठिन फैसला लेने की हिम्मत जुटा सकेंगे।

Jharkhand former CM Champai Soren : डैमेज कंट्रोल में जुटे हेमंत

झारखंड में सियासी घटनाक्रम तेजी से बदल रहे हैं। चम्पाई सोरेन प्रकरण का खास असर सरकार और झामुमो की सेहत पर नहीं पड़े, इसके लिए सीएम हेमंत सोरेन ने खुद डैमेज कंट्रोल की कमान संभाल ली है।

यही कारण है कि मंगलवार को झारखंड मुक्ति मोर्चा के कोल्हान प्रमंडल से आने वाले चार विधायकों को रांची सीएम हाउस बुलाया गया था। इसमें बहरागोड़ा के विधायक समीर मोहंती, घाटशिला के विधायक रामदास सोरेन, जुगसलाई के विधायक मंगल कालिंदी समेत अन्य विधायक शामिल थे।

सभी विधायकों से सीएम हेमंत सोरेन ने बातचीत की। सूत्र दावा कर रहे हैं कि सीएम ने उक्त विधायकों से पूछा कि आखिर चम्पाई सोरेन से क्या बातचीत हुई है। चम्पाई सोरेन की आगे की क्या रणनीति है। क्या दिल्ली जाने के बाद चंपई सोरेन ने उन सभी विधायकों से संपर्क साधा या नहीं ? तमाम जानकारियों को इकट्ठा करने के बाद हेमंत अपनी आगे की रणनीति तय करेंगे।

इस बीच बैठक से बाहर निकल कर समीर मोहंती ने यह कहा कि उनकी चम्पाई सोरेन से किसी प्रकार की कोई बातचीत नहीं हुई है। वे झामुमो में ही रहेंगे। सीएम हेमंत सोरेन से बातचीत के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि सीएम ने कहा कि बहरागोड़ा में वीमेंस कॉलेज की स्वीकृति प्रदान कर दी गयी है। उन्होंने कहा कि वे झामुमो के सिंबल पर ही चुनाव लड़ेंगे, क्योंकि झामुमो से ही जीत की गारंटी है।

चम्पाई सोरेन को घर वापसी पर विचार करना चाहिए : सुखराम उरांव

चक्रधरपुर : पश्चिमी सिंहभूम जिला के झामुमो जिला अध्यक्ष सह चक्रधरपुर विधायक सुखराम उरांव ने कहा कि चम्पाई दा आदर्श थे, आदर्श हैं आदर्श रहेंगे..। अगर कोई ऐसा बात है तो पार्टी फोरम में रखना चाहिए था। उनका भतीजा है हेमंत बाबू। दोनों एक बार विचार-विमर्श करते तो अच्छा होता‌। हमको ऐसा लगता है कि आज जो दूरी बनी है, वह नहीं बनती। अभी भी समय है आपस में बैठकर विचार विमर्श करें, ज्यादा खाई नहीं हुई है। जैसा संगठन था वैसा ही रहेगा। क्योंकि चम्पाई सोरेन ने एक बयान दिया था कि जिस पार्टी को हमने बनाया है, उस पार्टी को तोड़ने का प्रयास हम कभी नहीं करेंगे।

आज भी उनके प्रति हमलोगों की श्रद्धा है। हम कोशिश करेंगे, इसके लिए आलाकमान से बात करेंगे । एक बार फिर से प्रयास कर चंपाई सोरेन को घर वापसी पर विचार करना चाहिए।

Related Articles