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Jharkhand High Court Decision: डिजिटल सिग्नेचर के बिना नोटिस देना अस्वीकार्य

यह फैसला डिजिटल गवर्नेंस की प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और वैधता की आवश्यकता को रेखांकित करता है।

by Reeta Rai Sagar
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रांची। झारखंड हाईकोर्ट ने राजेन्द्र मोदी बनाम झारखंड राज्य मामले में एक अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने धनबाद सर्कल के राज्य कर अधिकारी द्वारा जारी कई शो कॉज नोटिस और आदेश को डिजिटल सिग्नेचर की कमी के कारण रद्द (quash) कर दिया। अदालत ने इस प्रथा को “निंदनीय (deprecated)” करार दिया।

किन दस्तावेजों को किया गया रद्द?
याचिकाकर्ता राजेन्द्र मोदी ने हाईकोर्ट से निम्नलिखित दस्तावेजों को रद्द करने की मांग की थी:
• धारा 73 के तहत शो कॉज नोटिस (संदर्भ संख्या: 1589, दिनांक: 30 मई 2024)
• फॉर्म GST DRC-01 में जारी नोटिस (संदर्भ संख्या: ZD2005240079060, दिनांक: 30 मई 2024)
• फॉर्म GST DRC-07 में आदेश का सारांश (संदर्भ संख्या: ZD2008240146100, दिनांक: 30 अगस्त 2024)
• धारा 73(9) के तहत अंतिम आदेश (आदेश संख्या: 561/24-25, दिनांक: 30 अगस्त 2024)

याचिकाकर्ता की दलील: दस्तावेज बिना हस्ताक्षर के
राजेन्द्र मोदी के अधिवक्ता ने दलील दी कि इन दस्तावेजों में ना तो डिजिटल सिग्नेचर था और ना ही मैनुअल साइन। यह झारखंड जीएसटी नियम 26(3) का उल्लंघन है, जो स्पष्ट रूप से कहता है कि सभी आदेश या नोटिस डिजिटल सिग्नेचर प्रमाणपत्र (DSC) के साथ ही जारी होने चाहिए।

कोर्ट की टिप्पणी: नियमों की अवहेलना निंदनीय
हालांकि राज्य पक्ष ने दावा किया कि दस्तावेज डिजिटल साइन से लैस थे, लेकिन वे अदालत के समक्ष ऐसे कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर सके। इसके उलट, याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत Annexure 2 और Annexure 3 में साइन का स्पष्ट अभाव था।

कोर्ट ने यह भी कहा कि यह नियम 26(3) का उल्लंघन है और इस तरह की लापरवाही कानूनी रूप से अस्वीकार्य है।

हाईकोर्ट का फैसला: दस्तावेज रद्द, ₹10,000 का जुर्माना
कोर्ट ने Annexure 2 और 3 को रद्द करते हुए ₹10,000 की लागत राशि याचिकाकर्ता को देने का निर्देश दिया। हालांकि, कोर्ट ने राज्य को ये स्वतंत्रता दी है कि वे कानून के अनुसार नए सिरे से कार्यवाही शुरू कर सकते हैं, लेकिन इस बार उचित डिजिटल सिग्नेचर के साथ।

इसके साथ ही, याचिकाकर्ता द्वारा पहले उठाई गई सभी दलीलों को अगली कार्यवाही में जीवित रखा गया है। यह फैसला डिजिटल गवर्नेंस की प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और वैधता की आवश्यकता को रेखांकित करता है। झारखंड हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि टैक्स नोटिस या आदेश बिना डिजिटल सिग्नेचर के मान्य नहीं होंगे, और अधिकारी को सभी वैधानिक औपचारिकताओं का पालन करना होगा।

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