रांची : झारखंड सरकार ने राज्य में शराब दुकानों के संचालन में बड़ा बदलाव करते हुए 30 जून की रात 10 बजे के बाद प्लेसमेंट एजेंसियों के माध्यम से संचालन की प्रक्रिया समाप्त कर दी है। अब राज्य की नई शराब नीति के तहत इन दुकानों का संचालन JSBCL (Jharkhand State Beverages Corporation Limited) द्वारा किया जाएगा, जब तक कि नया टेंडर नहीं हो जाता।
हैंडओवर व टेकओवर की प्रक्रिया शुरू होने तक राज्य भर की 1453 खुदरा शराब दुकानें बंद रहेंगी। JSBCL के प्रबंध निदेशक एवं उत्पाद आयुक्त ने इस संबंध में सभी जिलों के उपायुक्तों को पत्र भेजा है।
वीडियो रिकॉर्डिंग के साथ होगी सत्यापन प्रक्रिया
JSBCL के निदेशक ने आदेश जारी किया है कि हैंडओवर-टेकओवर के दौरान शराब दुकानों के भौतिक स्टॉक, सेल डेटा और डिपोजिट राशि की पूरी जांच की जाएगी। जिलों के डीसी को निर्देश दिया गया है कि वे इस कार्य के लिए दंडाधिकारी व अन्य कर्मियों की प्रतिनियुक्ति करें और प्रक्रिया की वीडियोग्राफी भी कराई जाए।
अधिकारी रहेंगे मौजूद, 5 जुलाई तक पूरी होगी प्रक्रिया
इस प्रक्रिया के दौरान वर्तमान प्लेसमेंट एजेंसियों के प्रतिनिधि भी उपस्थित रहेंगे। जिला स्तर पर पर्यवेक्षण के लिए अपर समाहर्ता एवं अपर उपायुक्त को नोडल पदाधिकारी नियुक्त किया गया है। 5 जुलाई तक पूरी प्रक्रिया को खत्म करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके बाद दुकानों के संचालन को लेकर निर्देश जारी किए जाएंगे।
मंत्री ने दी जानकारी, 45 दिन लगेंगे नई व्यवस्था में
राज्य के उत्पाद एवं मद्य निषेध मंत्री योगेंद्र प्रसाद ने कहा कि नई शराब नीति के पूर्ण रूप से लागू होने में करीब 45 दिन का समय लग सकता है। इस दौरान JSBCL ही दुकानों का संचालन करेगा।
मंत्री ने बताया कि जिन एजेंसियों पर सरकार का बकाया था, उनमें से केवल 3-4 जिलों की एजेंसियों ने ही पूर्ण भुगतान किया है। बाकी के खिलाफ विधिसम्मत कार्रवाई की जाएगी।
शराब व्यापारी संघ ने उठाए गंभीर सवाल
झारखंड शराब व्यापारी संघ ने राज्य सरकार और JSBCL से पिछले तीन वर्षों की ऑडिट रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग की है। संघ का आरोप है कि राज्य की करीब 1453 दुकानों की ऑडिट रिपोर्ट आज तक जारी नहीं हुई, जिससे बड़ी अनियमितताओं की आशंका है।
बिलिंग से बिक्री तक का लेखा-जोखा मांगा
संघ के महासचिव सुबोध कुमार जायसवाल ने पूछा है कि अब तक कितनी शराब की बिलिंग, बिक्री और उससे प्राप्त राशि बैंक में जमा हुई है, उसका विवरण सार्वजनिक क्यों नहीं किया गया? उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि प्लेसमेंट एजेंसियों ने बैंक गारंटी से अधिक राशि उठाई है।
शराब चोरी और हेराफेरी पर चुप्पी क्यों
संघ ने कहा कि एजेंसियों के माध्यम से शराब दुकानों के संचालन के दौरान शराब की चोरी और हेराफेरी के मामलों को अब तक सामने नहीं लाया गया है और कोई विभागीय कार्रवाई नहीं हुई है।
उन्होंने कहा कि JSBCL द्वारा पिछले दो वर्षों में ही बिलिंग की गई, लेकिन एजेंसियों ने बिक्री से प्राप्त राशि पूरी तरह जमा नहीं की। दुकानों में कार्यरत कर्मचारियों को 8 महीने से वेतन नहीं मिला।
करोड़ों की गड़बड़ी का दावा
संघ ने विभिन्न जिलों में हुई गड़बड़ी की सूची भी दी है:
• धनबाद – ₹55 करोड़
• जमशेदपुर – ₹65 करोड़
• पलामू – ₹45 करोड़
• हजारीबाग – ₹35 करोड़
• बोकारो – ₹45 करोड़
• रांची – ₹32 करोड़
• रामगढ़ – ₹6 करोड़
• खूंटी – ₹8 करोड़
• गिरिडीह – ₹7 करोड़
• देवघर – ₹8 करोड़
• संताल – ₹6 करोड़
• चाईबासा – ₹9 करोड़
• सरायकेला – ₹7 करोड़
निष्पक्ष जांच की मांग
संघ ने मांग की है कि इस पूरे मामले की जांच राज्य सरकार की स्वतंत्र एजेंसी या जिला मजिस्ट्रेट की निगरानी में कराई जाए ताकि सच्चाई सामने आ सके और दोषियों को सजा मिल सके।
इसके साथ ही संघ ने वर्तमान उत्पाद आयुक्त से तत्काल हस्तक्षेप कर मामले में पारदर्शिता सुनिश्चित करने की अपील की है।