Jharkhand News : झारखंड हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह आउटसोर्सिंग के जरिए काम कर रहे कर्मियों को भी नियमित कर्मचारियों के समान न्यूनतम वेतनमान दे। न्यायमूर्ति दीपक रोशन की एकलपीठ ने स्पष्ट कहा कि समान कार्य के लिए सभी कर्मियों को समान वेतन मिलना चाहिए, चाहे वे प्रत्यक्ष रूप से सरकार के अधीन हों या ठेकेदार के माध्यम से नियोजित हों।
इस मामले में याचिकाकर्ता बिमल कुमार ठाकुर ने कोर्ट से गुहार लगाई थी कि उन्हें आउटसोर्सिंग के नाम पर बेहद कम वेतन दिया जा रहा है, जबकि वे वही कार्य कर रहे हैं जो स्थायी कर्मचारी करते हैं। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सौरभ शेखर ने अदालत में दलील दी कि पहले बिमल कुमार को दैनिक वेतन भोगी के तौर पर रखा गया था, लेकिन बाद में उसे एक ठेकेदार के अधीन आउटसोर्स कर्मचारी बना दिया गया। इसके बावजूद उसके कार्य में कोई बदलाव नहीं हुआ। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के जगजीत सिंह बनाम हरियाणा सरकार केस का हवाला देते हुए समान कार्य के लिए समान वेतन की मांग की।
Jharkhand News : हाईकोर्ट ने सरकार के तर्ज को किया खारिज
सरकार की ओर से पक्ष रखते हुए कहा गया कि चूंकि कर्मचारी की नियुक्ति ठेकेदार के माध्यम से हुई है, इसलिए राज्य सरकार की कोई सीधी भूमिका नहीं है। लेकिन कोर्ट ने इस तर्क को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि नियम के अनुसार, सभी आउटसोर्स कर्मचारियों को भी न्यूनतम वेतन मिलना चाहिए। उन्हें कम वेतन देना न केवल गैरकानूनी है, बल्कि यह संवैधानिक अधिकारों का भी हनन है।
यह मामला जल संसाधन विभाग से जुड़ा हुआ है और कोर्ट ने आदेश दिया है कि आठ सप्ताह के भीतर इसका अनुपालन सुनिश्चित किया जाए। इस फैसले से राज्य भर के हजारों आउटसोर्स कर्मियों को राहत मिलने की उम्मीद है, जो लंबे समय से उचित वेतनमान की मांग कर रहे थे।