रांची : झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की स्वीडन और स्पेन यात्रा पर प्रदेश की सियासत गरमा गई है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष व नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने इस दौरे पर कड़ा तंज कसते हुए कहा है कि जब प्रदेश में कानून व्यवस्था चरमरा चुकी है। बिजली संकट गहराता जा रहा है। दिनदहाड़े हत्याएं हो रही हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री अपने परिवार और अधिकारियों की टोली के साथ विदेश यात्रा पर निकल पड़े हैं।
विदेश दौरे में नहीं शामिल हैं उद्योग मंत्री, सवालों के घेरे में उद्देश्य
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि अगर यह यात्रा विदेशी निवेश को आकर्षित करने के उद्देश्य से हो रही है, तो “राज्य के उद्योग मंत्री को इसमें शामिल क्यों नहीं किया गया? केवल विभाग के सचिव और निदेशक को ले जाना पर्याप्त नहीं है।” उन्होंने कहा है कि पहले भी कोलकाता में एक अहम निवेश बैठक में उद्योग मंत्री को जानबूझकर बाहर रखा गया था, जबकि उस बैठक में मुख्यमंत्री अपनी विधायक पत्नी कल्पना सोरेन को साथ ले गए थे।
यात्रा में कल्पना सोरेन की भूमिका पर सवाल
बाबूलाल मरांडी ने कहा है, “अगर यह सरकारी यात्रा है, तो कल्पना सोरेन किस हैसियत से प्रतिनिधिमंडल में शामिल हैं? और यदि यह निजी दौरा है, तो सरकारी खर्च पर अधिकारियों की फौज क्यों भेजी जा रही है?” उन्होंने आरोप लगाया है कि सरकार की कार्यप्रणाली में कल्पना सोरेन की भूमिका अघोषित रूप से प्रभावशाली हो चुकी है और उनके पास अब विभिन्न विभागों के निर्णय लेने की शक्तियां केंद्रित हो गई हैं।
सेवानिवृत्त अधिकारी की नियुक्ति पर भी जताई आपत्ति
बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि मुख्यमंत्री के इस दौरे में एक ऐसे सेवानिवृत्त आईएफएस अधिकारी को भी शामिल किया गया है, जिनकी कार्यशैली और ‘ख्याति’ को लेकर पूरे राज्य में पहले से चर्चा है। “क्या यह प्रतिनिधिमंडल योग्यता के आधार पर चुना गया है या फिर खास लोगों को उपकृत करने के लिए?” इस प्रश्न ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है।
सहयोगी दलों के मंत्रियों का अपमान सरकार की परंपरा : भाजपा
भाजपा ने आरोप लगाया कि हेमंत सोरेन सरकार में अब यह एक चलन बन गया है कि सहयोगी दलों के मंत्रियों को निर्णयों से दूर रखा जाता है। नियत भूमिका होने के बावजूद उन्हें सार्वजनिक रूप से उपेक्षित किया जाता है। बाबूलाल मरांडी ने दावा किया कि “अब तो ऐसा लगता है मानो राज्य में निर्णय लेने की सत्ता एक व्यक्ति विशेष तक सीमित रह गई है। यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया के खिलाफ है।”
यात्रा को बाबूलाल मरांडी के सवाल
बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री से यह स्पष्ट करने की मांग की है कि यह यात्रा पूरी तरह से सरकारी है या निजी? किन उद्देश्यों के तहत कौन-कौन से समझौते होंगे? जनता के पैसे से हो रही इस यात्रा का व्यवसायिक लाभ क्या होगा?