रांची : झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने विधानसभा में एक अहम बयान देते हुए कहा कि राज्य में राइस मिलों की संख्या में वृद्धि की जाएगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि धान क्रय की प्रक्रिया एक रोटेशन सिस्टम के तहत काम करती है, जिसमें उठाव और बिलिंग नियमित तरीके से होती है। हालांकि, कभी-कभी अधिक समय लग सकता है, लेकिन यह पूरी प्रक्रिया में कोई असामान्यता नहीं है। मुख्यमंत्री सोरेन ने गुरुवार को सदन में विधायक जयराम महतो के सवाल का जवाब देते हुए यह बातें कहीं।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बताया कि धान क्रय का तरीका पूरी तरह से योजनाबद्ध और नियमित है, जिसमें कोई देरी नहीं होती है। लेकिन कभी-कभी परिस्थितियों के कारण यह प्रक्रिया थोड़ी देर से पूरी हो सकती है। उन्होंने कहा कि राइस मिलों की संख्या बढ़ाने से प्रदेश में धान की खरीदारी में और अधिक पारदर्शिता और सुगमता आएगी, जिससे किसानों को ज्यादा फायदा होगा।
क्या किसानों को देरी से मिलने वाली राशि पर ब्याज मिलेगा?
जयराम महतो द्वारा पूछे गए सवाल पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने स्पष्ट किया कि विधायकों का वेतन एकमुश्त आता है, लेकिन किसानों को समर्थन मूल्य की राशि किस्तों में दी जाती है। महतो ने पूछा कि अगर किसानों को समर्थन मूल्य की राशि समय पर नहीं मिलती है, तो क्या सरकार इसका ब्याज भी देगी? इस सवाल पर मंत्री इरफान अंसारी ने जवाब दिया कि धान की खरीदारी के समय किसानों को 50 फीसदी राशि अग्रिम दी जाती है और बाकी 50 फीसदी राशि बाद में दी जाती है। उन्होंने कहा कि एकमुश्त राशि देने से भ्रष्टाचार बढ़ सकता है, और इसे रोकने के लिए यह प्रणाली बनाई गई है।
समर्थन मूल्य योजना का उद्देश्य और पारदर्शिता की ओर कदम
मंत्री इरफान अंसारी ने यह भी कहा कि किसानों को समय पर सहायता देने की पूरी कोशिश की जा रही है। सरकार की कोशिश है कि किसानों को किसी भी प्रकार की परेशानी न हो और उन्हें समय पर उनकी पूरी राशि मिल सके। राइस मिलों की संख्या में वृद्धि से न केवल किसानों को बेहतर समर्थन मिलेगा, बल्कि राज्य की कृषि व्यवस्था में भी पारदर्शिता आएगी, जिससे भ्रष्टाचार की संभावना कम होगी।