सरायकेला (झारखंड): झारखंड की समृद्ध जनजातीय संस्कृति को बढ़ावा देने की दिशा में राज्य सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। राज्य के शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन ने घोषणा की है कि झारखंड के स्कूलों के पाठ्यक्रम में अब छऊ और पाता नृत्य को शामिल किया जाएगा। यह घोषणा उन्होंने पौराणिक चड़क पूजा सह मेला के उद्घाटन कार्यक्रम में की।
200 वर्षों पुरानी संस्कृति का संरक्षण
शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन ने कहा कि सरायकेला के दिंदली बस्ती में 1818 से आयोजित हो रहे चड़क पूजा मेला में आदिवासी कला, परंपरा और आस्था की समृद्ध झलक देखने को मिलती है। उन्होंने कहा कि यह परंपरा अंग्रेजी शासनकाल के दौरान भी कायम रही, जब आदिवासी समुदायों ने अपनी पहचान और संस्कृति को बचाए रखने के लिए संघर्ष किया। यह हमारी सांस्कृतिक विरासत है जिसे आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाना जरूरी है।
स्कूली पाठ्यक्रम में छऊ-पाता नृत्य
छऊ नृत्य उद्घाटन समारोह के दौरान शिक्षा मंत्री ने कहा कि छऊ और पाता नृत्य, जो प्रकृति, प्रेम, युद्ध और सामाजिक जीवन पर आधारित होते हैं, इन्हें राज्य के स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। इसके लिए जल्द ही ब्लूप्रिंट तैयार किया जाएगा। यह पहल छात्रों को अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ने और लोककला के संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
जनजातीय शिक्षकों की होगी बहाली
शिक्षा मंत्री ने यह भी जानकारी दी कि राज्य सरकार जनजातीय शिक्षकों की बहाली की दिशा में कार्य कर रही है, ताकि स्कूलों में जनजातीय भाषाओं की पढ़ाई को भी बढ़ावा दिया जा सके।
आयोजन में शामिल हुए गण्यमान्य लोग
छऊ नृत्य कार्यक्रम के उद्घाटन में पूजा कमेटी अध्यक्ष लालटू महतो, छवि महतो, रितेन महतो समेत कई प्रमुख स्थानीय जनप्रतिनिधि एवं सांस्कृतिक कार्यकर्ता उपस्थित थे। कार्यक्रम में पारंपरिक वेशभूषा और नृत्य के जरिए झारखंड की सांस्कृतिक समृद्धि का भव्य प्रदर्शन हुआ।