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Jharkhand : Usha Martin lease scam : उषा मार्टिन लीज घोटाला मामले में पूर्व खनन निदेशक इंद्रदेव पासवान ने किया सरेंडर, कोर्ट ने…

by The Photon News
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रांची : उषा मार्टिन कंपनी को अवैध तरीके से खदान आवंटन करने के मामले में आरोपित राज्य के तत्कालीन खनन निदेशक इंद्रदेव पासवान ने गुरुवार को रांची स्थित सीबीआई अदालत में सरेंडर कर दिया। उनके खिलाफ आरोप है कि उन्होंने 2005 में उषा मार्टिन को पश्चिमी सिंहभूम जिले के घाटकुरी में एक लौह अयस्क खदान अवैध रूप से आवंटित किया। सरेंडर के साथ ही इंद्रदेव पासवान ने जमानत की याचिका भी दाखिल की, जिस पर सुनवाई के बाद अदालत ने उन्हें सशर्त जमानत की सुविधा प्रदान की।

जमानत पर शर्तें और कानूनी प्रक्रिया

सशर्त जमानत मिलने के बाद पासवान को 50-50 हजार रुपये के दो निजी मुचलके और पासपोर्ट जमा करने की शर्त पर जमानत दी गई। उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए सीबीआई कोर्ट के विशेष न्यायाधीश पीके शर्मा ने यह फैसला सुनाया। इंद्रदेव पासवान पर आरोप है कि उन्होंने भ्रष्टाचार की साजिश के तहत उषा मार्टिन को खदान का आवंटन किया और कंपनी से लाभ पहुंचाने के लिए सरकारी नियमों का उल्लंघन किया।

सीबीआई ने जनवरी 2023 में दाखिल किया था चार्जशीट

सीबीआई ने 2016 में मामले की जांच शुरू की थी और 2023 में चार्जशीट दाखिल की। आरोप है कि उषा मार्टिन के प्रमोटरों और खनन विभाग के अधिकारियों ने मिलकर केंद्र सरकार को गलत तरीके से सिफारिश भेजी थी। यह सिफारिश राज्य सरकार द्वारा की गई थी, जिसमें उषा मार्टिन को लौह अयस्क खदान का आवंटन किया गया। इस मामले में तत्कालीन खान सचिव अरुण कुमार सिंह और अन्य अधिकारियों पर भी आरोप हैं।

घोटाला और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप

उषा मार्टिन को खदान आवंटन के बदले एक अंडरटैकिंग दी गई थी, जिसमें कंपनी ने यह वादा किया था कि वह हाट गम्हरिया में स्थित अपने इस्पात संयंत्र में लौह अयस्क का उपयोग करेगी। हालांकि, बाद में कंपनी ने इसका पालन नहीं किया और यह कहते हुए मुकर गई कि कैबिनेट नोट में इसका कोई उल्लेख नहीं था। सीबीआई ने इसे एक गंभीर आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी माना है।

राज्य और केंद्र सरकार के अधिकारियों पर आरोप

सीबीआई की जांच में यह भी सामने आया कि खदान के आवंटन में पक्षपात किया गया था। अधिकारियों ने जानबूझकर उषा मार्टिन के पक्ष में निर्णय लिया, जिससे कंपनी को लाभ हुआ। यह मामला राज्य और केंद्र सरकार के स्तर पर भ्रष्टाचार के आरोपों को उजागर करता है, जो पूरी प्रक्रिया को संदेहास्पद बनाता है।

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