Ranchi: 2009 बैच के चर्चित भारतीय राजस्व सेवा (IRS) के अधिकारी कपिल राज का इस्तीफा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने स्वीकार कर लिया है। कपिल राज अपने आठ वर्षों के ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) कार्यकाल में कई हाईप्रोफाइल मामलों की जांच के लिए चर्चित रहे हैं। उन्होंने दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ कार्रवाई की निगरानी की थी।
कोर्ट की टिप्पणी के बीच ईडी की कार्यप्रणाली बनी थी सवाल
हालांकि हेमंत सोरेन के खिलाफ ईडी द्वारा की गई कार्रवाई पर झारखंड हाईकोर्ट ने तीखी टिप्पणी की थी। सोरेन को ज़मानत देते समय कोर्ट ने ईडी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए थे। इस कार्यवाही की निगरानी भी कपिल राज ही कर रहे थे।
कपिल राज ने कई राज्यों में देखे हाईप्रोफाइल केस
ईडी में प्रतिनियुक्ति के दौरान कपिल राज ने मुंबई, दिल्ली, झारखंड और पश्चिम बंगाल में कई संवेदनशील और बड़े मामलों की जांच की। वे झारखंड स्थित ईडी के जोनल कार्यालय में संयुक्त निदेशक और फिर अपर निदेशक के पद पर रहे। इस दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को जमीन घोटाले में गिरफ्तार किया।
साथ ही, मनी लाउंड्रिंग मामलों में कार्रवाई करते हुए तत्कालीन मंत्री आलमगीर आलम, आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल और छवि रंजन को गिरफ्तार कर जेल भेजा।
दिसंबर 2024 में ईडी से वापसी, अब मूल विभाग में थे तैनात
दिसंबर 2024 में कपिल राज की सेवा प्रवर्तन निदेशालय से समाप्त कर उन्हें उनके मूल विभाग डायरेक्टर जनरल ऑफ गुड्स एंड सर्विस इंटेलिजेंस (DDGI) में वापस बुला लिया गया था। इसके बाद वे दिल्ली जोन में अपर आयुक्त के पद पर तैनात हुए। अब केंद्र सरकार ने उनका त्यागपत्र स्वीकार कर इसके आदेश भी जारी कर दिए हैं।
रांची में रहते हुए की थी कई बड़ी कार्रवाइयां
रांची में संयुक्त निदेशक और बाद में अपर निदेशक रहते हुए कपिल राज ने अवैध खनन, भूमि घोटाला, ग्रामीण विकास में कमीशनखोरी, और मनी लाउंड्रिंग जैसे मामलों की जांच की थी। उन्होंने खूंटी में मनरेगा घोटाले की भी जांच की थी, जिसमें कई प्रभावशाली नाम सामने आए।
कोलकाता में पशु तस्करी और इसीएल घोटाले की जांच
कोलकाता में तैनाती के दौरान कपिल राज ने इसीएल घोटाले और पशु तस्करी जैसे मामलों की जांच की थी, जो राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में रहे थे।
आईआरएस अधिकारी कपिल राज का कार्यकाल प्रवर्तन निदेशालय में बेहद सक्रिय और प्रभावशाली रहा। उन्होंने देश के कई संवेदनशील मामलों की निगरानी करते हुए सटीक कार्रवाई की। अब उनके सरकारी सेवा से त्यागपत्र को मंजूरी के साथ ही उनके अध्याय का एक अहम दौर समाप्त हो गया है।
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