Home » AIMIM प्रदेश अध्यक्ष के बयान पर काशी के संतों का तीखा पलटवार

AIMIM प्रदेश अध्यक्ष के बयान पर काशी के संतों का तीखा पलटवार

by Anand Mishra
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Follow Now

वाराणसी: मुरादाबाद में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लमीन (एआईएमआईएम) के प्रदेश अध्यक्ष शौकत अली द्वारा कावड़ यात्रा को लेकर दिया गया विवादास्पद बयान अब काशी में संतों की नाराजगी का कारण बन गया है। मंगलवार को अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जीतेन्द्रानंद सरस्वती ने शौकत अली के बयान पर तीखा प्रतिक्रिया दी और इसे “घोर निंदनीय” करार दिय

स्वामी जीतेन्द्रानंद ने कहा, “सड़कें चलने के लिए होती हैं, नमाज पढ़ने के लिए नहीं, मियां जी।” उन्होंने वक्फ द्वारा जबरन कब्जे की गई भूमि पर नमाज न पढ़ने का सवाल उठाया और कहा कि कावड़ यात्रा करने वाले श्रद्धालु उसी सड़क पर चलते हैं, जो उनके चलने के लिए बनाई गई हैं। स्वामी जीतेन्द्रानंद ने आरोप लगाया कि शौकत अली का बयान समाज में धार्मिक सौहार्द को तोड़ने की कोशिश है और ऐसे बयानों से हिंदू-मुसलमान के बीच दरारें डालने की साजिश की जा रही है।

शौकत अली का बयान और संतों का पलटवार

शौकत अली ने मुरादाबाद में एक जनसभा में कहा था कि “अगर हम दो मिनट सड़क पर नमाज पढ़ने की कोशिश करते हैं तो शोर मच जाता है। यह सड़कें किसी के बाप की नहीं हैं।” इसके बाद उन्होंने कावड़ यात्रा के दौरान कांवड़ियों के व्यवहार पर सवाल उठाए, यह कहते हुए कि वे शराब पीते हैं, हुडदंग मचाते हैं और गाड़ियां भी तोड़ते हैं। साथ ही उन्होंने यह भी पूछा कि, “मुरादाबाद-बरेली से लेकर गाजियाबाद तक कांवड़ यात्रा के दौरान सड़कें क्यों ब्लॉक की जाती हैं, जबकि हम पर नमाज पढ़ने के लिए सड़क की इजाजत नहीं दी जाती?”

स्वामी जीतेन्द्रानंद ने पलटवार करते हुए कहा, “कांवड़िये अपनी श्रद्धा और भक्ति के साथ यात्रा करते हैं, उनके पैरों में छाले पड़ते हैं, तब श्रद्धालु उनकी सेवा करते हैं। जो लोग आज कांवड़ियों की वजह से सत्ता में आए हैं, वे ही उनके पैरों को धोते हैं और फूल बरसाते हैं। यह एक धार्मिक परंपरा है, और इसमें कोई गड़बड़ी नहीं है।”

समाज में सौहार्द की अपील

स्वामी जीतेन्द्रानंद ने इस विवाद को बढ़ावा देने के बजाय समाज में सौहार्द बनाए रखने की अपील की। उन्होंने कहा कि सभी को मिलकर इस देश की संस्कृति और धर्म की रक्षा करनी चाहिए और किसी भी प्रकार के बयानबाजी से बचना चाहिए, जो हिंदू-मुसलमान के बीच विवाद पैदा करे। इस विवाद ने मुरादाबाद में शुरू हुआ एक स्थानीय मुद्दा अब काशी समेत अन्य इलाकों में भी तूल पकड़ लिया है, और इसके परिणाम स्वरूप विभिन्न धार्मिक समुदायों के बीच तनाव पैदा होने की संभावना जताई जा रही है।

Read Also- हेमंत सोरेन और कल्पना सोरेन ने झारखंड चुनाव में 100 सभाएं पूरी की, पीएम मोदी और राहुल गांधी ने कीं आधा दर्जन

Related Articles