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बिहार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने रोका सीपीआई एमएलसी का पेंशन, पत्र लिखकर जारी किया आदेश

by Rakesh Pandey
केके पाठक ने रोका सीपीआई एमएलसी का पेंशन
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पटना : बिहार में शिक्षा विभाग के अपर सचिव केके पाठक अक्सर सुर्खियों में रहते हैं। कभी शिक्षकों को नए-नए फरमान सुनाने के लिए, तो कभी शिक्षा मंत्री के साथ कथित विवाद के लिए। पिछले दिनों शिक्षा विभाग ने 2024 में छुट्टियों को लेकर जो कैलेंडर जारी किया है उस पर हुआ बवाल अभी थमा नहीं है, अब केके पाठक ने एक नया फरमान सुना दिया है। केके पाठक ने अपने एक आदेश से सत्तारूढ़ दल के एमएलसी संजय सिंह के पेंशन पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही यूनिवर्सिटी शिक्षक संघ फुटाब के कार्यकारी अध्यक्ष बहादुर सिन्हा के पेंशन और वेतन पर भी रोक लगा दी गई है।

अगले आदेश तक रोक जाएंगे पेंशन

उच्च शिक्षा विभाग की निदेशक रेखा कुमारी ने वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. रणविजय कुमार को पत्र भेजकर फुटाब के अध्यक्ष प्रो. कन्हैया बहादुर सिन्हा का वेतन और पेंशन अगले आदेश तक रोकने का आदेश दिया है। वहीं, निदेशक ने फुटाब के महासचिव सह विधान पार्षद डॉ. संजय कुमार सिंह का भी पेंशन अगले आदेश तक रोकने का निर्देश दिया है। उच्च शिक्षा विभाग की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि कॉलेजों में प्रत्येक लेक्चरर, अस्सिटेंट प्रोफेसर और प्रोफेसर को प्रतिदिन पांच कक्षा संचालित करने का आदेश दिया गया है। इसके अलावा कक्षा में बिना कारण बताए लगातार तीन दिनों तक अनुपस्थित रहने वाले स्टूडेंट्स से स्पष्टीकरण मांगे जाने का निर्णय लिया गया था। इन दोनों शिक्षक नेताओं ने विरोध किया है। शिक्षा विभाग ने इसे उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के प्रयास का विरोध माना है।

परीक्षाफल के प्रकाशन में देरी पर भी कइयों पर कार्रवाई

जानकारी के मुताबिक, परीक्षाफल के प्रकाशन में विलंब होने को लेकर शिक्षा विभाग ने मगध विश्वविद्यालय बोधगया और जयप्रकाश विश्वविद्यालय छपरा के कुलपति, प्रतिकुलपति, कुलसचिव, परीक्षा नियंत्रक, वित्त पदाधिकारी और वित्त परामर्शी का वेतन बंद कर दिया है। विभाग ने जारी आदेश में कहा है कि विलंबित परीक्षाओं के लंबित परीक्षाफल के प्रकाशन होने तक वेतन स्थगित रहेगा। विभाग ने कहा है कि रिजल्ट में लेट-लतीफी से स्टूडेंट्स को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

विश्वविद्यालयों के कुलसचिवों को लिखा गया पत्र

विभागीय आदेश में कहा गया है कि मंगलवार को दोनों विश्वविद्यालयों की परीक्षा और परीक्षाफल के प्रकाशन की समीक्षा एसीएस सचिव केके पाठक ने की। उन्होंने पाया कि जेपी यूनिवर्सिटी छपरा में विशेषकर यूजी पार्ट थ्री (2020-23) का परीक्षाफल जनवरी, 2024, पीजी सेमेस्टर चार (सत्र 2020-22) का परीक्षा फल मार्च, 2024 में प्रकाशित करने की योजना बनाई गई है। इसी तरह मगध यूनिवर्सिटी में पाया गया कि खास तौर पर यूजी पार्ट थ्री (2020-23) का परीक्षाफल जनवरी 2024 तथा पीजी सेमेस्टर पार्ट श्री जनवरी 2020 तथा सेमेस्टर चार (2019-21) का परीक्षा फल फरवरी 2024 में प्रकाशित करने की योजना है। इस संबंध में विभाग के सचिव वैद्यनाथ यादव ने दोनों विश्वविद्यालयों के कुलसचिवों को पत्र लिखा है।

शिक्षा विभाग की ओर से पत्र जारी कर स्पष्ट किया गया है कि स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय का कोई भी शिक्षक और शिक्षकेतर कर्मचारी अनर्गल बयान देंगे, तो उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। विभाग की ओर से यह भी कहा गया है कि स्कूल से लेकर यूनिवर्सिटी तक किसी भी शिक्षक और कर्मचारियों की ओर से किसी संघ की स्थापना नहीं की जाएगी और ना ही उसका कोई सदस्य बनेगा। ऐसा करने वालों पर कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।

वेतन रोकने के कारण सियासी हंगामा
रिपोर्ट्स के मुताबिक, केके पाठक के निर्देश पर शिक्षा विभाग ने आदेश पर शिक्षक संघ फुटाब के दो पदाधिकारियों पर कार्रवाई की है। प्रोफेसर बहादुर सिन्हा का जहां सैलरी और पेंशन दोनों रोका गया है, वहीं एमएलसी प्रो. संजय सिंह की पेंशन रोकी गई है। केके पाठक का यह एक्शन बिहार में बड़ा सियासी हंगामा खड़ा कर सकता है। संजय सिंह प्रोफेसर होने के साथ ही राजनीतिक पहुंच रखते हैं। उन्होंने शिक्षा विभाग के आदेश को तुगलकी फरमान बताया है और नीतीश सरकार के खिलाफ धरने का ऐलान भी कर दिया है।

केके पाठक ने रोका सीपीआई एमएलसी का पेंशन

बता दें कि संजय सिंह तिरहुत शिक्षक सीट से एमएलसी हैं। इसके अलावा वे यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर भी हैं। सीपीआई अभी नीतीश सरकार को बाहर से समर्थन दे रही है। पार्टी के बिहार विधानसभा में दो विधायक हैं। इसके अलावा सीपीआई विपक्षी दलों के इंडिया गठबंधन का हिस्सा है। इसमें सीएम नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू भी शामिल है। केके पाठक के इस एक्शन से जेडीयू और सीपीआई के बीच तकरार की आशंका बढ़ गई है।

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