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Kolhan University New Tradition Update : बैनर लगाकर किया गया वीसी का स्वागत, फोटो खींचने पर प्राइवेट बीएड कॉलेज की प्रिंसिपल को लगाई फटकार

* जमशेदपुर वीमेंस यूनिवर्सिटी की कुलपति रहते हुए डॉ. अंजिला गुप्ता ने कई विवादित निर्णय लिए। यूजीसी की गाइडलाइन और राज्य मानव संसाधन विकास विभाग (HRD) की खुलेआम अनदेखी की जाती रही है। बावजूद डॉ. अंजिला गुप्ता का प्रभाव इतना है कि इन सभी मामलों की जांच व कार्रवाई के बजाए पुरस्कार स्वरूप उन्हें अब कोल्हान विश्वविद्यालय की बागडोर सौंप दी गई है। इतना ही नहीं, इसके साथ ही जमशेदपुर वीमेंस कॉलेज की कुलपति का अतिरिक्त प्रभार सौंप दिया गया है।

by Anand Mishra
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Jamshedpur/Chaibasa (Jharkhand) : कोल्हन विश्वविद्यालय में कुलपति की चापलूसी के नये अध्याय की शुरुआत की गई है। शनिवार को बाकायदा कुलपति के स्वागत के लिए विश्वविद्यालय परिसर के अंदर मंच सजाया गया। बैनर लगाया गया। इसके बाद स्वागत समारोह का आयोजन किया गया। नए-नए पदाधिकारी बनकर विश्वविद्यालय पहुंचे शिक्षकों ने अंग वस्त्र और पुष्प गुच्छ देकर कुलपति डॉ.अंजिला गुप्ता का स्वागत किया। स्वागत के लिए बनाए गए बैनर पर कुलपति की तस्वीर भी लगाई गई थी।

झारखंड के उच्च शिक्षा जगत में ऐसा आयोजन कर चापलूसी की अद्वितीय पटकथा लिखने वाला कोल्हान विश्वविद्यालय राज्य का पहला और एकमात्र सरकारी विश्वविद्यालय बन गया है। बताया जा रहा है कि स्वागत समारोह में शामिल होने के लिए सभी कॉलेज के प्राचार्य को आधिकारिक तौर पर अधिसूचना जारी कर निर्देशित किया गया था। कार्यक्रम के दौरान फोटोग्राफी करने पर रोक लगाई गई थी। जानकारी के मुताबिक जमशेदपुर में स्थित एक बीएड कॉलेज की महिला प्राचार्य की ओर से कार्यक्रम के दौरान फोटोग्राफी की जा रही थी। इसके लिए कुलपति ने उन्हें सरेआम फटकार लगाई। हालांकि, कुलपति से नजदीकी दिखाने के लिए कई पदाधिकारियों ने अपनी फोटोग्राफी कराने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी।

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पदाधिकारियों को सख्त निर्देश, विश्वविद्यालय की सूचनाएं न करें सार्वजनिक 

बताया जाता है कि स्वागत समारोह के बाद कुलपति की अध्यक्षता में विश्वविद्यालय के पदाधिकारियों की बैठक भी हुई। इसमें अधिकारियों को निर्देश दिया गया कि वह बैठक सहित अन्य जानकारी व सूचनाएं सार्वजनिक न करें। ऐसा पहली बार हो रहा है, जब विश्वविद्यालय की कार्यप्रणाली लगातार छिपाई जा रही है। बैठक में विश्वविद्यालय के अंगीभूत एवं संबद्ध कॉलेजों के प्राचार्य व प्रभारी प्राचार्य भी शामिल थे। उन्हें भी इस आदेश का पालन करने का निर्देश दिया गया।

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वीमेंस यूनिवर्सिटी की कुलपति के रूप में भी लेती रही हैं विवादित फैसले

गौरतलब है कि इससे पूर्व जमशेदपुर वीमेंस यूनिवर्सिटी की कुलपति रहते हुए भी डॉ. अंजिला गुप्ता विवादित फैसले लेती रही हैं। कभी आरक्षण रोस्टर की अनदेखी कर संविदा शिक्षकों की बहाली निकालना, तो कभी बीएड एडमिशन में बीसी-1 की जगह अन्य कैटेगरी की आवेदक का नामांकन लेकर बाद में रद्द कर देना। इसके अलावा संविदा शिक्षकों की नियुक्ति में गड़बड़ी, पीएचडी एडमिशन में मेरिट की अनदेखी कर विश्वविद्यालय के वित्त पदाधिकारी की बेटी का एडमिशन, इस एक एडमिशन की वजह से सिंडिकेट की बैठक कर असिस्टेंट प्रोफेसर को एसोसिएट प्रोफेसर का दर्जा दिया जाना और नियमों की अनदेखी करते हुए एक गाइड के अधीन शोधार्धियों की संख्या अधिकतम चार से बढ़ा कर छह तक किया जाना समेत ऐसे कई निर्णय समय-समय पर प्रकाश में आते रहे हैं, जिसमें यूजीसी की गाइडलाइन और राज्य मानव संसाधन विकास विभाग (HRD) की खुलेआम अनदेखी की जाती रही है। बावजूद डॉ. अंजिला गुप्ता का प्रभाव इतना है कि इन सभी मामलों की जांच व कार्रवाई के बजाए पुरस्कार स्वरूप उन्हें अब कोल्हान विश्वविद्यालय की बागडोर सौंप दी गई है। इतना ही नहीं, इसके साथ ही जमशेदपुर वीमेंस कॉलेज की कुलपति का अतिरिक्त प्रभार सौंप दिया गया है।

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झारखंड की उच्च शिक्षा व्यवस्था पर उठा सवाल, क्या बाहर से आए हुए लोगों के हाथ ही रहेगी पूरी सत्ता

छात्र बनता हेमंत पाठक का आरोप है कि डॉ अंजिला गुप्ता को एक साथ दो-दो विश्वविद्यालय का कुलपति बनाकर रखा जाना झारखंड की उच्च शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करता है। पूरे राज्य में तमाम योग्य उम्मीदवारों को दरकिनार दूसरे राज्यों से लोगों को बुलाकर राज्य विश्वविद्यालय के उच्च पदों पर स्थापित किया जा रहा है। ऐसी व्यवस्था का विरोध करने की बजाय झारखंड के शिक्षक चापलूसी की नई इबादत लिखने में व्यस्त हैं।

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