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LPG TANKERS : OMG ! हड़ताल पर जाएगा LPG टैंकर संघ, छह राज्यों में गैस आपूर्ति हो सकती है प्रभावित

तेल कंपनियों की ओर से लागू किए गए नए नियमों के खिलाफ विरोध जताने के लिए एलपीजी टैंकर संघ ने हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया है। इसस दक्षिण भारत में गैस की समस्या उत्पन्न होने का खतरा है।

by Rakesh Pandey
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चेन्नई: तमिलनाडु के नमक्कल में एलपीजी टैंकर मालिकों ने तेल कंपनियों के साथ बातचीत विफल होने के बाद दक्षिण भारत में हड़ताल करने का ऐलान किया है। इस हड़ताल के चलते कल से दक्षिणी भारत में 4000 एलपीजी टैंकर नहीं चलेंगे, जिससे छह राज्यों में घरेलू और वाणिज्यिक गैस सिलेंडर की भारी कमी हो सकती है।

तेल कंपनियों के साथ वार्ता विफल:

दक्षिण भारतीय एलपीजी टैंकर संघ के अध्यक्ष सुंदरराजन ने नमक्कल में मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि तेल कंपनियों के साथ तीन दौर की वार्ता के बावजूद कोई समाधान नहीं निकल सका। तेल कंपनियों ने वर्ष 2025-30 के लिए नए अनुबंध नियम जारी किए हैं, जिनमें कई प्रतिबंध लगाए गए हैं।

इन वजहों से हो रहा विरोध

नए अनुबंध नियमों में एक महत्वपूर्ण नियम है कि अब केवल तीन एक्सल वाले ट्रकों का ही उपयोग किया जाएगा, जबकि दो एक्सल वाले ट्रकों को नहीं चलने दिया जाएगा। इसके अलावा, यदि वैकल्पिक ड्राइवर या क्लीनर नहीं होते, तो 20,000 रुपये का जुर्माना और छोटी दुर्घटना पर ट्रक को तीन साल तक टेंडर में हिस्सा लेने से रोका जाएगा। इन नियमों के कारण ट्रक मालिकों पर दबाव बढ़ गया है।

किसे प्रभावित करेगी हड़ताल:

सुंदरराजन ने कहा कि इस हड़ताल में तमिलनाडु, केरल, तेलंगाना, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और पुडुचेरी के 4000 ट्रक शामिल होंगे, जो भारतीय तेल निगम (IOC), भारत पेट्रोलियम (BPCL) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम (HPCL) के बॉटलिंग प्लांट्स तक गैस की आपूर्ति करते हैं। उन्होंने बताया कि तेल कंपनियों से सहमति न मिलने तक यह हड़ताल जारी रहेगी।

छह राज्यों में गैस की कमी का खतरा:

इस हड़ताल से इन छह राज्यों में घरेलू रसोई गैस और वाणिज्यिक सिलेंडरों की भारी कमी हो सकती है। संघ ने यह हड़ताल इसलिए शुरू करने का निर्णय लिया है ताकि रोजगार की समाप्ति को रोका जा सके और राजस्व हानि से बचा जा सके।
सुंदरराजन ने कहा कि जब तक तेल कंपनियां स्वेच्छा से आगे आकर बातचीत के लिए नहीं आतीं, तब तक हड़ताल जारी रहेगी। संघ ने यह स्पष्ट किया है कि इस हड़ताल का उद्देश्य किसी को नुकसान पहुंचाना नहीं है, बल्कि यह केवल तेल कंपनियों द्वारा लागू किए गए नए नियमों के खिलाफ विरोध जताने के लिए है।

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