हेल्थ डेस्क। World Pneumonia Day: देश में हर साल 12 नवंबर को विश्व निमोनिया दिवस मनाया जाता है। ऐसे में इस साल भी रविवार को जमशेदपुर के विभिन्न अस्पताल व नर्सिंग होम में यह दिवस मनाया जा रहा है। इसके माध्यम से अधिक से अधिक लोगों को जागरूक किया जा रहा है। पहली बार विश्व निमोनिया दिवस वर्ष 2009 में मनाया गया था। बढ़ती ठंड व प्रदूषण के बीच निमोनिया होने का खतरा काफी बढ़ जाता है। इस मौसम में निमोनिया के मामले अधिक देखने को मिलते हैं। अस्पतालों में निमोनिया के मामले पहुंचने लगे हैं।
0-5 साल के बच्चों में निमोनिया का खतरा सबसे अधिक
निमोनिया का सबसे अधिक खतरा 0-5 साल के बच्चे को रहता है। इसके साथ ही बुजुर्गों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है। चूंकि, उनके शरीर का रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। ऐसे में संक्रमण उनपर जल्दी अटैक करता है। निमोनिया में अगर मरीज को समय पर इलाज नहीं मिले तो उसकी स्थिति गंभीर हो जाती है और मौत भी होने का खतरा रहता है।
निमोनिया क्या है?
जमशेदपुर के जाने-माने शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. शुभोजित बनर्जी कहते हैं कि निमोनिया में संक्रमण की वजह से फेफड़ों में सूजन आ जाती है। यह वायरल, बैक्टीरियल या फंगल संक्रमण हो सकता है। सबसे अधिक मामले बैक्टीरिया जनित संक्रमण के होते हैं। इसका दूसरा बड़ा कारण होता है वायरल। आमतौर पर शुरुआत वायरल संक्रमण से होती है और फिर वह बैक्टीरिया संक्रमण में बदल जाता है। फेफड़े में संक्रमण होने पर सामान्य तौर पर बुखार, सीने में दर्द, खांसी और सांस की तकलीफ जैसे लक्षण होते हैं।
निमोनिया से होने वाली मौतों में भारत दूसरे स्थान पर
निमोनिया से भारत में हर साल लाखों बच्चों की मौत हो जाती है। वर्ष 2018 का आंकड़ा देखा जाए तो निमोनिया से पांच वर्ष से कम उम्र के कुल 1.27 लाख बच्चों की मौत हुई थी। ऐसे में लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक व सचेत होने की जरूरत है। निमोनिया से होने वाली मौत में भारत दूसरे स्थान पर है।
निमोनिया का लक्षण
– निमोनिया के दौरान लाल, पीला या हरा रंग के बलगम बनता है।
– खांसी के दौरान ये बलगम बाहर निकलता है।
– बुखार, पसीना और ठंड लगना।
– सांस लेने में तकलीफ होना।
– भूख में कमी व शरीर सुस्त हो जाना।
– मतली व उल्टी की शिकायत।
निमोनिया से किस तरह से बचें
– शरीर का रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए समय पर सोना व जगना जरूरी है।
– दिनचर्या व जीवनशैली ठीक करें।
– सामान्य वायरल इंफेक्शन को हल्के में नहीं लें। इसका समुचित इलाज कराएं।
– निमोनिया की पहचान होने तत्काल चिकित्सक से दिखाएं। गंभीर अवस्था में वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती है।
– प्रदूषण के बढ़ते स्तर से बचने के लिए मास्क का उपयोग करें।
इससे भी बढ़ता निमोनिया का जोखिम
– वायु प्रदूषण
– दूषित पेयजल
– स्वास्थ्य देखभाल में कमी
– पोषण आहार की कमी
– अशिक्षा और गरीबी
इस तरह से होती निमोनिया की पहचान
डॉ. शुभोजित बनर्जी ने कहा कि निमोनिया की पहचान के लिए छाती का एक्सरे किया जाता है। वहीं, निमोनिया की पुष्टि होने पर तत्काल चिकित्सा शुरू करना होता है। इसमें लापरवाही नहीं की जा सकती।
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