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Panem Coal Mines : पैनम माइंस के मामले में झारखंड HC में पेश हुए खनन सचिव, बढ़ सकती है राज्य सरकार की मुसीबत

पाकुड़ व दुमका में सीमा से अधिक खनन का आरोप, सीबीआई जांच की उठ रही मांग

by Rakesh Pandey
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रांची : पैनम कोल माइंस के अवैध खनन मामले में सीबीआई जांच की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सोमवार को झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। इस मामले में खनन विभाग के सचिव को कोर्ट के आदेश पर सशरीर उपस्थित होना पड़ा। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से जवाब दाखिल किया गया, जिस पर कोर्ट ने प्रार्थी को प्रतिउत्तर देने का निर्देश दिया। इसके बाद, कोर्ट ने अगली सुनवाई में खान विभाग के सचिव के सशरीर उपस्थित होने पर छूट देने की बात कही।

सीमा से अधिक खनन से राजस्व का नुकसान

यह मामला पैनम कोल माइंस के लीज से ज्यादा कोयला खनन करने के आरोपों से जुड़ा हुआ है। झारखंड सरकार ने दुमका और पाकुड़ जिले में पैनम माइंस कंपनी को कोयला खनन के लिए लीज दी थी। लेकिन आरोप है कि कंपनी ने निर्धारित सीमा से कहीं ज्यादा खनन किया, जिसके कारण राज्य सरकार को करोड़ों रुपए का राजस्व नुकसान हुआ। इस मामले को लेकर जनहित याचिका दाखिल करने वाले अधिवक्ता राम सुभग सिंह ने सीबीआई जांच की मांग की है, ताकि मामले की निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच हो सके।

कोर्ट में सशरीर हाजिर होने से खान सचिव को मिली छूट

कोर्ट ने इस पर राज्य सरकार से जवाब तलब किया था और पिछले सुनवाई में राज्य सरकार के जवाब पर असंतोष जताया था। अदालत ने यह भी कहा कि अगर राज्य सरकार अपनी तरफ से कोई ठोस कार्रवाई नहीं करती है, तो इस मामले में उच्च स्तरीय जांच की आवश्यकता हो सकती है। अब, इस मामले की अगली सुनवाई में खान विभाग के सचिव को फिर से सशरीर उपस्थित होने का निर्देश दिया गया है, लेकिन कोर्ट ने इस बार उन्हें उपस्थित होने के लिए छूट भी दी है।

सीबीआई ने जांच की तो हो सकते हैं बड़े खुलासे

यह मामला खासतौर पर इस कारण महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें सरकारी राजस्व की भारी क्षति का आरोप लगाया जा रहा है। पैनम माइंस द्वारा कोयला खनन की तय सीमा से अधिक खनन करने से राज्य को वित्तीय नुकसान हुआ है, और इस मुद्दे पर झारखंड सरकार पर गंभीर सवाल उठाए जा रहे हैं। अगर सीबीआई जांच का आदेश दिया जाता है, तो यह इस मामले में एक नई दिशा की ओर संकेत करेगा, जो अवैध खनन और भ्रष्टाचार की रोकथाम में मददगार साबित हो सकता है। इस याचिका को लेकर उच्च न्यायालय की अगली सुनवाई में मामले की और अधिक गहराई से जांच की संभावना है। यदि सीबीआई को जांच सौंपने का आदेश मिलता है, तो इस मामले में कुछ बड़े खुलासे हो सकते हैं जो राज्य सरकार और खनन विभाग की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिह्न लगा सकते हैं।

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