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धनबाद समेत राज्य के सभी नगर निकायों में नहीं जमा हो रहा टैक्स

by Rakesh Pandey
Tax not being deposited
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  • पांच दिन से सूडा के सर्वर का लिंक फेल, 30 लाख रुपये से अधिक राजस्व की क्षति
  • हर दिन निगम कार्यालय से लौट रहे 80-90 लोग, मंगलवार से पहले सर्वर ठीक होने की उम्मीद कम

धनबाद/Tax not being deposited: स्टेट अर्बन डेवलपमेंट एजेंसी (सूडा) के सर्वर में खराबी और लिंक फेल होने की वजह से पिछले पांच दिन से धनबाद समेत राज्य के सभी नगर निकायों में टैक्स नहीं जमा हो पा रहा है। नगर निगम में प्रापर्टी टैक्स, वाटर टैक्स और ट्रेड लाइसेंस शुल्क जमा करने में लोगों को भारी मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है। धनबाद से लेकर सिंदरी-कतरास तक से लोग निगम कार्यालय से आकर लौट जा रहे हैं।

इस भीषण गर्मी में टैक्स जमा करने पहुंच रहे लोग खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। एक तो चिलचिलाती गर्मी और दूसरा 20-30 किमी दूर से किराया-भाड़ा लगाकर आ रहे लोगों को बैरंग लौटना पड़ रहा है।

लुबी सर्कुलर रोड के नगर निगम कार्यालय में के टैक्स काउंटर में लिंक फेल का बोर्ड भी लगा दिया है। एक महीने के अंदर यह दूसरी बार है जब इतने अधिक समय तक टैक्स जमा नहीं हुआ। इससे पहले सूडा के सर्वर अपडेशन की वजह से एक से 15 अप्रैल तक टैक्स जमा नहीं हुआ था। सूडा के सर्वर में खराबी होने की वजह से धनबाद समेत पूरे झारखंड के नगर निकायों में टैक्स कलेक्शन पूरी तरह से बंद है। नगर निगम के अनुसार मंगलवार से पहले यह समस्या दूर नहीं होने वाली।

हर दिन निगम काउंटर पर टैक्स मद में छह से सात लाख रुपये जमा होता है। ऐसे में पांच दिन में टैक्स के तौर पर लगभग 30 लाख रुपये राजस्व का नुकसान हुआ है। लोगों की परेशानी अलग से बढ़ी है। हर दिन 80-90 लोग निगम के टैक्स काउंटर से वापस लौट रहे हैं। सभी पांचों अंचल धनबाद, झरिया, कतरास, छाताटांड़ और सिंदरी को जोड़ें तो यह संख्या लगभग 400 हो जाती है। यहां बता दें कि राज्य के 48 नगर निकायों में प्रापर्टी टैक्स जमा होता है।

Tax not being deposited: टैक्स नहीं चुकाने पर कुर्क हो सकती है प्रापर्टी

टैक्स जमा नहीं होने से लोग इसलिए भी परेशान है, क्योंकि देर होने पर जुर्माना भरना पड़ जाएगा। विभागीय गलती की खामियाजा आम लोगों को उठाना पड़ेगा। शहरों में किसी भी मकान, जमीन, बिल्डिंग, फ्लैट आदि पर प्रापर्टी टैक्स चुकाने का प्राविधान है। इनकम टैक्स की तरह अचल संपत्ति पर प्रापर्टी टैक्स लगता है।

प्ररपर्टी के मालिक को हर साल या छमाही आधार पर संबंधित नगर निकाय को टैक्स चुकाना होता है। टैक्स चुकाने से चूक होने पर कई तरह की मुसीबतों का सामना करना पड़ेगा। डिफाल्टर होने पर टैक्स के साथ पेनाल्टी या ब्याज अथवा दोनों वसूला जा सकता है। डिफाल्टर पर वारंट जारी कर उसकी संपत्ति कुर्क भी की जा सकती है।

 

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